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Pal Gehlot : लाखों की नौकरी छोड़कर ऋषिकेश की वादियों में योगा टीचर बन गई इंजीनियर पल गहलोत

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जयपुर। जब ​किसी काम में मन नहीं लग रहा तो ज्यादा दिमाग ना लगाएं। सिर्फ अपने दिल की सुनें और वो ही करें जिसके लिए दिल की मंजूरी हो। इस बात का जीता जागता उदाहरण है 25 साल की लड़की पल गहलोत। यह इंजीनियर की अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर उत्तराखंड के ऋषिकेश के वादियों में रच-बस गई।

इंजीनियर से योगा टीचर तक का सफर

इंजीनियर से योगा टीचर तक का सफर

ऋषिकेश में पल गहलोत योगा सिखाती हैं। पहले इंजीनियरिंग की पढ़ाई। फिर नौकरी और अब योगा टीचर। खुद पल गहलोत ने वन इंडिया हिंदी से खास बातचीत में धोरों की धरती राजस्थान से ऋषिकेश तक के अपने पूरे सफर के बारे में बताया।

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पल गहलोत का जन्म व शिक्षा

पल गहलोत का जन्म व शिक्षा

राजस्थान के सिरोही के दशर​थ सिंह गहलोत व दक्षा गहलोत के घर 28 अगस्त 1995 को जन्मी पल गहलोत की एक छोटी बहन जान्हवी है। पल ने सिरोही के आदर्श विद्या मंदिर स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की। फिर दोस्तों की देखा-देखी पल ने जोधपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। वहां से चार साल का कोर्स पूरा करने के बाद 2017 में इलेक्ट्रोनिक्स और कम्यूनिकेशन में इंजीनि​यर की डिग्री प्राप्त की।

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जयपुर में लगी इंजीनियर की नौकरी

जयपुर में लगी इंजीनियर की नौकरी

जोधपुर से इंजीनियर बनने के बाद पल गहलोत की जयपुर की एक कम्पनी में चार लाख 80 हजार रुपए सालाना में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में पहली नौकरी लगी। पढ़ाई के तुरंत बाद नौकरी पाकर ना जाने क्यों पल गहलोत खुश नहीं थी। उसे लगता था कि वह इंजीनियर बनकर नौकरी करने के लिए नहीं है। उसका दिल कुछ और ही चाहता है। इसी उलझन की वजह से पल अवसाद में चली गई। हर वक्त चिंतित रहने लगी। किसी काम में मन नहीं लगता था।

इंस्टाग्राम वीडियो ने बदल दी सोच

इंस्टाग्राम वीडियो ने बदल दी सोच

जनवरी 2018 में इंस्टाग्राम के एक वीडियो ने पल गहलोत की दशा और दिशा दोनों बदल दी। यह वीडियो योग से संबंधित था। पल को लगा कि इस तरह से योग वह भी कर सकती है। पल ने योगा करना शुरू किया। देखते ही देखते ही योगा से पल का अवसाद दूर हो गई। मानो योगा से उसके दिल की दोस्ती हो गई। ऐसे में पल ने तय किया कि वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर योगा टीचर बनकर खुद जैसे अनेक लोगों अवसाद और चिंता से छुटकारा दिलाएगी।

 ऋषिकेश योगा टीचर बनने आई यहीं की होकर रह गई

ऋषिकेश योगा टीचर बनने आई यहीं की होकर रह गई

पल गहलोत बताती हैं कि इंस्टाग्राम पर योगा का वीडियो देखने के बाद योग में प्रमाण पत्र उपलब्ध करवाने वाली संस्थाओं की जानकारी जुटाई और योग के सबसे बड़े ऋषिकेश के बारे में पता चला। मैं यहां चली आई और निजी संस्थान से योगा सीखा और प्रमाण पत्र लेकर योग की रजिस्टर्ड टीचर गई।

 सिरोही-उदयपुर से वापस ऋषिकेश आई

सिरोही-उदयपुर से वापस ऋषिकेश आई

इसके बाद सिरोही लौट आई। लोगों को योग सिखाना शुरू किया, मगर यहां स्कॉप कम था। फिर उदयपुर का रुख किया। यहां पर भी योग सिखने वाले ज्यादा नहीं मिले। ऐसे में पल वापस ऋषिकेश लौट आई। यहां योगा का जबरदस्त माहौल है। शुरुआत में किसी संस्था के साथ मिलकर काम किया। अब खुद का योगा स्टूडियो खोल रखा है।

योग की वैश्विक राजधानी है ऋषिकेश

योग की वैश्विक राजधानी है ऋषिकेश

ऋषिकेश उत्तराखण्ड के देहरादून जिले का एक नगर, हिन्दू तीर्थस्थल, नगर निगम तथा तहसील है। यह गढ़वाल हिमालय का प्रवेश्द्वार एवं योग की वैश्विक राजधानी है। ऋषिकेश, हरिद्वार से 25 किमी दूर है। नैसर्गिक खूबसूरती ऋषिकेश यहां का मुख्य आकर्षण है। यहीं वजह है कि ऋषिकेश की वादियों में हर साल बड़ी संख्या में लोग योग सीखने आते हैं।

देश विदेश के लोगों को सिखाती हैं योगा

देश विदेश के लोगों को सिखाती हैं योगा

सिरोही से ऋषिकेश में रची-बसी पल गहलोत को यूएस की योगा अलांइस का प्रमाण पत्र भी प्राप्त भी है। यहां पर ये ऑनलाइन और ऑफलाइन योग, प्रणायाम और मेडिटेशन सिखाती हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों समेत स्पेन, जापान, फ्रांस, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, मैक्सिको, अर्जेनेटिना, चीन, उरूगवे, इटली, स्लोवीनिया, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, अफ्रीका, हंगरी और ग्रीक आदि देशों के लोग पल से योग की बारीकियां सीख रहे हैं।

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English summary
Pal Gehlot Sirohi Rajasthan Journey Software Engineer to Yoga Teacher Rishikesh
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