Shivprasad Nakate IAS : मिट्टी के घरौंदे बनाते बच्चों को जिला कलेक्टर ने क्यों दिए 500 रु, वायरल फोटो
जयपुर। लीक से हटकर काम करने वाले अफसर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। ऐसे ही एक आईएएस अधिकारी चर्चा में हैं। नाम है शिवप्रसाद मदन नकाते। राजस्थान में भारत-पाक सीमा पर स्थित बाड़मेर जिले के एक गांव से आईएएस शिवप्रसाद मदन नकाते की एक तस्वीर आई है, जो इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वारयल हो रही है।
फेसबुक व ट्विटर पर शेयर हो रही तस्वीर
फेसबुक पर राजेंद्र व्यास हो या ट्विटर पर सरकारी शिक्षिका सरिता चौधरी। हर किसी ने आईएएस शिव प्रसाद नकाते की तस्वीर शेयर कर रखी है। वायरल तस्वीर में शिव प्रसाद के साथ अन्य अधिकारी व पुलिसकर्मी और सामने चार बच्चे खड़े दिखाई दे रहे हैं।
क्या है वायरल तस्वीर का दावा
सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही तस्वीर में दावा किया जा रहा है कि बाड़मेर जिले के एक गांव में सड़क किनारे बच्चे मिट्टी में खेल रहे हैं। उसी दौरान क्षेत्र के दौरे पर निकले बाड़मेर जिला कलेक्टर शिवप्रयास मदन नकाते की नजर बच्चों पर पड़ी। जिला कलेक्टर नकाते ने अपनी गाड़ी रुकवाई और गाड़ी उतरकर बच्चों के पास गए। बाड़मेर जिला कलेक्टर बच्चों द्वारा बनाए गए मिट्टी के घरौंदों से प्रभावित होकर उन्हें बतौर ईनाम 500 रुपए दिए।
आईएएस नकाते की वायरल तस्वीर की हकीकत
यह तस्वीर आधी हकीकत आधा फसाना है। मतलब तस्वीर अभी की नहीं है। यह पूरा वाक्या जुलाई 2018 का है। उस वक्त बाड़मेर के जिला कलेक्टर आईएएस शिवप्रसाद नकाते थे। जिला कलेक्टर रहते हुए नकाते गांव गिड़ा-बागुण्डी की तरह चल रहे पाइप लाइन प्रोजेक्ट और सड़क निर्माण का निरीक्षण करने गए थे। रास्ते में सड़क किनारे चार बच्चे खेलते हुए दिखे थे। उनसे प्रभावित होकर जिला कलेक्टर नकाते ने उन्हें पांच सौ रुपए का ईनाम दिया।
बच्चों के घरौंदों से क्यों प्रभावित हुए जिला कलेक्टर?
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में आईएएस शिवप्रसाद नकाते बताते हैं कि तीन साल पुराना वो वाक्या आज भी याद है। अब सोशल मीडिया पर कैसे शेयर हो रहा है। पता नहीं। उस वक्त हुआ यह था कि जब मैं निरीक्षण करने जा रहा था तो रास्ते में बच्चे मिट्टी के घरौंदे बनाते मिले। खास बात यह थी कि बच्चों ने अपने घरों के आगे सड़क भी बना रखी थी। यह बच्चों की कल्पना थी, जो दिल को छू गई।
हौसला बढ़ाने के लिए दिए रुपए
आईएएस शिवप्रसाद नकाते कहते हैं कि जहां एक तरफ बच्चे मोबाइल और इंटरनेट के आदी हो रहे हैं। वहीं, ये अपने मूल बचपन को जिंदा रखे हुए थे और अपनी कल्पनाओं को आकार दे रहे थे। बच्चों को प्रोत्साहित करने और उनके घरौंदा से प्रभावित होकर उन्हें पांच सौ रुपए का ईनाम दिया था। तत्कालीन बाड़मेर जिला कलेक्टर नकाते के साथ में मुख्य कार्यकारी अधिकारी मदनलाल नेहरा भी थे।
अब भीलवाड़ा में कलेक्टर हैं नकाते
बता दें कि आईएएस अधिकारी शिवप्रसाद नकाते इन दिनों भीलवाड़ा में जिला कलेक्टर हैं। ये कोरोना महामारी की शुरुआत में देशभर में मॉडल बने भीलवाड़ा को बार फिर से कोविड-19 को काबू करने में मिसाल में जुटे हैं। आईएएस नकाते कहते हैं कि कोरोना संक्रमण के मामले में भीलवाड़ा की स्थिति राजस्थान के अन्य जिलों से बेहतर है।
जब खेत में करने लगे थे काम
बता दें कि शिवप्रसाद नकाते भले ही आईएएस अफसर हैं, मगर जमीन से जुड़े शख्स हैं। साल 2020 शिवप्रसाद नकाते श्रीगंगानगर के जिल कलेक्टर थे। तब ये श्रीगंगानगर में टिड्डी प्रभावित क्षेत्र अनूपगढ़ रावला घड़साना की खानुवाली पंचायत में नुकसान का जायजा ले रहे थे। तभी एक खेत में फावड़ा उठाकर सिंचाई करने लग गए थे। शूट-बूट में अफसर को सिंचाई करते देख चकित रह गए थे।
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शिवप्रसाद मदन नकाते आईएएस की जीवनी
बता दें कि आईएएस अधिकारी शिवप्रसाद मदन नकाते मूलरूप से महाराष्ट्र के सोलपुर जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर गांव माडा के रहने वाले हैं। किसान परिवार से हैं। नकाते ने दसवीं तक की पढ़ाई मराठी मीडियम से की है। 2011 में यूपीएससी परीक्षा पास करके राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी बन गए।