MP: पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर प्रोजेक्ट किया पूरा, प्रदेश के कई जिलों को लाभ
जबलपुर, 02 अगस्त: मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर स्कीम के मध्यप्रदेश के हिस्से का काम पूरा कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। देश में गैर परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों से उत्पन्न विद्युत के ट्रांसमिशन के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर बनाने स्कीम शुरू हुई थी। जिसमें देश के कुछ राज्यों में से मध्यप्रदेश को भी शामिल किया गया था। इस प्रोजेक्ट की प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा सतत् मॉनीटरिंग की जा रही थी।
देश में गैर परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों से उत्पन्न विद्युत के सहज ट्रांसमिशन के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर बनाने MP पावर ट्रांसमिशन कंपनी कामयाब हुई है। जर्मनी के केएफडब्ल्यू बैंक द्वारा वित्त पोषित इस प्रोजेक्ट का अंतिम कार्य पिछले दिनों पूरा किया गया। करीब 2100 करोड़ लागत वाले इस बड़े प्रोजेक्ट में जर्मनी के बैंक केएफडब्ल्यू ने 840 करोड़ रूपए का लोन स्वीकृत किया था। प्रदेश के उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर समेत पीएमओ द्वारा इसकी लगातार मॉनीटरिंग की जा रही थी। प्रोजेक्ट के तहत जहां 400 केवी आष्टा-उज्जैन डबल सर्किट लाइन ऊर्जीकृत हुई, तो वही सागर, उज्जैन तथा मंदसौर में 400 केवी के सब स्टेशन सेंधवा, कानवन, जावरा, सैलाना, गुड़गांव, रतनगढ़ व नलखेड़ा में 220 केवी के सब स्टेशन और 132 केवी के दो अतिरिक्त ट्रांसफार्मर स्थापित कर ऊर्जीकृत किये गए। इस उपलब्धि से मप्र सरकार की तारीफ भी हो रही है, साथ ही उर्जा क्षेत्र में आगे के लक्ष्य पूरे करने के लिए बल मिला है।
क्या
है
ग्रीन
एनर्जी
कॉरिडोर?
ऊर्जा
उत्पादन
को
लेकर
कोयले
पर
निर्भरता
घटाने
के
मकसद
से
इस
प्रोजेक्ट
की
केंद्र
सरकार
ने
नींव
रखी
थी
।
जिसके
जरिये
पवन
उर्जा
जैसे
नेचुरल
सोर्स
से
मिलने
वाली
बिजली
का
लाभ
ग्राहकों
तक
पहुँचाने
का
प्रयास
है।
नेचुरल
सोर्स
से
उत्पादित
होने
वाली
बिजली
को
ग्रिड
के
जरिए
पारंपरिक
बिजली
स्टेशनों
तक
पहुंचाई
जाती
है।
जिसके
बाद
उसका
ग्राहकों
तक
वितरण
किया
जाता
है।
2015-16
में,
इंट्रा
स्टेट
ट्रांसमिशन
सिस्टम
प्रोजेक्ट
शुरू
हुआ
था।
जो
सिर्फ
राज्य
के
भीतर
तक
सीमित
था।