Air Pollution से एमपी के जबलपुर में फड़फड़ा रहे फेफड़े, AIQ पहुंचा 300 पार, भोपाल, इंदौर भी चपेट में
देश की राजधानी दिल्ली की तरह एमपी के कई शहरों के दिल की धड़कन कुछ ज्यादा ही बढ़ी हुई हैं। इसकी वजह एयर क्वालिटी इंडेक्स है। जबलपुर समेत भोपाल इंदौर भी बेहाल है। जबलपुर में AIQ 300 पार हो गया।
दीपावली फिर जब से ठंड ने जोर पकड़ा है, तब से राजधानी दिल्ली की तरह मध्यप्रदेश के बड़े शहर ख़राब हवा की चपेट में हैं। लगातार एयर क्वालिटी गिरती जा रही हैं। प्रदेश के महाकौशल अंचल के बड़े शहर जबलपुर में तो AIQ 300 की सीमा को क्रॉस कर गया। शहर में हर तरफ स्मॉग छाया है। आम लोग हलाकान हैं और सांस की बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। एक्सपर्ट बताते है कि शहर की कंस्ट्रक्शन साइट्स और अन्य जगहों पर ऐसी स्थितियों में पानी का छिड़काव जरुरी हो गया है, नहीं तो दिसंबर के आखिरी तक हालात बेकाबू हो सकते है।
हर तरफ धूल के गुबार में नहाए शहर
देश की राजधानी दिल्ली और उससे सटे इलाके ही नहीं, अब एमपी के शहर भी एयर पॉल्यूशन से जूझ रहे हैं। प्रदेश के बड़े शहरों के अधिकांश इलाकों में वायु प्रदूषण के स्तर का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा हैं। आर्थिक दृष्टि से अपनी पहचान और सबसे ज्यादा आबादी वाले प्रदेश का इंदौर शहर भी इसकी जद में आ गया है। जबकि यह शहर देश के सबसे ज्यादा स्वच्छ शहरों में शुमार हैं। भोपाल और जबलपुर के कई इलाके धूल के गुबार में नहाए हुए है। रास्तों से गुजरने वाले लोग इस वजह से कई परेशानियों का शिकार हो रहे हैं।
जबलपुर में AIQ 300 के पार
संस्कारधानी जबलपुर में तो हालात सबसे ज्यादा ख़राब है। एयर क्वालिटी इंडेक्स हर रोज डरा रहा है। अभी तक जहां क्वालिटी इंडेक्स 200 से 250 के बीच झूल रहा था, वह शनिवार को एक दम छलांग मारते हुए 300 के पार पहुंच गया। जो खतरनाक स्तर की स्थितियों की तरफ बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा हैं। दीपावली में दो दिन आतिशबाजी की वजह से इस तरह आंकड़े सामने आए थे। बढ़ती ठंड के मौसम में शहर में इस तरह की एयर क्वालिटी ने आम लोगों के धड़कने बढ़ा दी हैं।
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की सलाह
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की माने तो ठंड के सीजन में एयर क्वालिटी में अक्सर बदलाव होता है। फिर भी दिसंबर की शुरुआत में इस तरह के आंकड़े पहले सामने नहीं आए। यदि आए भी तो अस्थिर रहे। लेकिन एमपी के भोपाल और विशेषकर जबलपुर में पिछले एक पखवाड़े बिगड़ता एयर क्वालिटी इंडेक्स चिंताजनक है। कंट्रोल बोर्ड के रीजनल ऑफिसर अलोक जैन ने इसके नियंत्रण के लिए नगर निगम को पानी के छिड़काव की सलाह दी है। उनका कहना है कि शहर में जहां बड़े कंस्ट्रक्शन हो रहे है, वहां पानी की बौछार मारी जाए। दिन में ऐसा कम से कम तीन बार होना चाहिए।
फड़फड़ा रहे फेफड़े, दमा के मरीज परेशान
एमपी के जबलपुर समेत अन्य शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से सांस के रोगियों की संख्या में इजाफा होना शुरू हो गया हैं। सबसे ज्यादा परेशानी दमा के मरीजों को रही। डॉ. दीपक बहरानी बताते है कि जिन लोगों को पहले से सांस लेने में तकलीफ है, वह शहर के ऐसे रेड जोन एरिया से बचे, जहां AIQ का स्तर बढ़ रहा है। मौसम में भी लगातार बदलाव हो रहा है तो खांसी या लगातार छींक आने पर फ़ौरन चिकित्सकीय परामर्श जरुरी हैं। कहीं ऐसा न हो कि सड़कों पर खुली हवा का प्रदूषण घातक बन जाए। इन स्थितियों को नजरअंदाज करना सांस के इन्फेक्शन को बढ़ावा देना है, जो अन्य तरह की तकलीफ को भी जन्म दे सकता है।
ठण्ड में इस वजह से ज्यादा प्रदूषित रहती है वायु
सर्दी के सीजन में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है। एक्सपर्ट बताते है कि इस सर्दी के मौसम में नमी ज्यादा रहती है, लिहाजा धूल, धुंआ और गैस वातावरण में जल्दी नहीं घुल पाते। इस वजह से वायु के साथ प्रदूषित तत्व लोगों को नुकसान पहुंचाते है। विशेषज्ञों ने इसके लिए आम लोगों की जागरूकता की कमी और दोषियों पर कार्रवाई ना होने का नतीजा भी बताया है।
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