चीन की बदनाम छवि सुधारने के लिए इंटरनेशनल प्लान, शी जिनपिंग का नया एजेंडा कैसे और खतरनाक है?
कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चायना ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग का एजेंडा रिलीज किया है, जिसका विश्लेषण करने पर पता चलता है की शी जिनपिंग आगे क्या-क्या करने वाले हैं
बीजिंग, जून 07: चीन कम्यूनिस्ट पार्टी के 30वें कलेक्टिव स्टडी के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कम्यूनिस्ट पार्टी पोलित ब्यूरो के सामने अपने भाषण के दौरान 31 मई को प्रस्ताव पेश किया है। जिसमें शी जिनपिंग ने पार्टी से 'इंटरनेशनल कम्यूनिकेशन वर्क' पर ध्यान देने के लिए कहा है। 'इंटरनेशनल कम्यूनिकेशन वर्क' दरअसल कुछ और नहीं, चीन के इंटरनेशनल प्रोपेगेंडा का ही व्यापक हिस्सा है, जिसमें दुनियाभर में चीन की हो रही बदनामी को लेकर प्रोपेगेंडा चलाना है। प्रोपेगेंडा चलाने में चीन का मुकाबला ही नहीं है और इसके पीछे ये बात भी नहीं है कि चीन का हृदय परिवर्तन हो गया है, बल्कि बहुत सामान्य शब्दों में कहें तो चीन अपनी बदनामी से बौखलाया हुआ नजर आ रहा है और इसके लिए वो हमेशा की तरह अपने झूठ को और ज्यादा प्रचारित करेगा।
जिनपिंग का 'इंटरनेशनल कम्यूनिकेशन वर्क'
जब चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी 'इंटरनेशनल कम्यूनिकेशन वर्क' की बात करती है तो इसका मतलब ये होता है कि विदेशियों के सामने जमकर झूठ बोला जाए और चीन के खिलाफ हर तर्क को नकारा जाए। कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चायना ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग का एजेंडा रिलीज किया है, जिसका विश्लेषण करने पर साफ पता चलता है कि चीन एक आंख बंदकर दुनिया के सामने अपनी बात काफी मजबूती से रखने वाला है और इसके लिए जितनी मर्जी झूठ उसे बोलना पड़े, वो बोलेगा। जबकि ध्यान से देखने पर पता चलता है कि शी जिनपिंग का 'वल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी' पूरी तरह से फेल साबित हुआ है। लेकिन, इससे भी चीन पर कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है। चीन के राष्ट्रपति ने अपनी पार्टी से कहा कि चीन के खिलाफ उठने वाली आवाज का जबाव देने के लिए और ज्यादा कड़ा रूख अपनाया जाए। चीन नीकन न्यूजलेटर के को-फाउंडर एडम नी शी जिनपिंग की बातों को संक्षिप्त तौर पर मानते हैं कि 'शी जिनपिंग की बातों से यही मतलब निकलता है कि चीन की छवि पूर्वाग्रह और गलतफहमी की वजह से खराब की गई है, इसके लिए चीन की नीतियां जिम्मेदार नहीं हैं। लिहाजा चीन अब और बेहतर तरीके से अपनी बातों को बेचने की कोशिश करेगा, ताकि अपनी बदनाम छवि को सुधार सके।'
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धमकाने की कोशिश और होगी तेज
एडम नी का मानना है कि 'शी जिनपिंग का विश्व के दूसरे देशों के साथ शांति पूर्वक बातचीत करने का नहीं है, वो बातचीत में यकीन नहीं करते हैं बल्कि वो दूसरे देशों से बातचीत को एक प्रतियोगिता की तरफ देखते हैं।' एडम बताते हैं कि 'शी जिनपिंग का रवैया ये है कि बातचीत के दौरान एक हारेगा और एक जीतेगा। बातचीत का लक्ष्य बस ये है कि एक सहमत करेगा और दूसरा सहमत होगा। बीच का रास्ता शी जिनपिंग नहीं मानते हैं और शी जिनपिंग का ये दर्शनशास्त्र असल में बातचीत पर आधारित नहीं होकर संघर्ष पर आधारित होता है और वो बातचीत के दौरान दूसरे पर हमेशा हावी रहना चाहते हैं।' एडम का कहना है कि कम्यूनिस्ट देश ऐसा ही करते हैं। एडम कहते हैं कि 'कम्यूनिस्ट शासित देशों में विरोध को दबाने के लिए प्रोपेगेंडा ही एकमात्र उपाय होता है। वो किसी दूसरे देश की आवाज को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और स्वस्थ प्रतियोगिता का मतलब ही नहीं बनता है और चीन तो इनमें सबसे खूंखार है और ये हम 1989 में तियनमान में देख चुके हैं, जब पीएलए ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे करीब 10 हजार छात्रों को टैंक से कुचल दिया था।'
चीन का अबतक का एजेंडा
एडम नी बताते हैं कि 'चीन एक निश्चित फ्रेमवर्क बनाकर चलता है, जहां विरोध की गुंजाइश नहीं है। जिसकी वजह से चीन की कहानी, चीन की आवाज, चीन का कल्चर, सबकुछ कम्यूनिस्ट पार्टी के इर्द-गिर्द सिमट कर रह गया है, जबकि किसी भी देश की तस्वीर, उस देश की एक पार्टी के आधार पर आप तय नहीं करते हैं। लेकिन कम्यूनिस्ट पार्टी और उसके अध्यक्ष शी जिनपिंग ने कम्यूनिस्ट पार्टी को ही चीन बना दिया है और चीन से दोस्ती या चीन से कल्चरल आदान-प्रदान को कम्यूनिस्ट पार्टी अपने कंधे पर लेकर घूमती है और यह चीन के साथ साथ दुनिया के लिए भी एक ट्रेजडी है।' कम्यूनिस्ट पार्टी की मीटिंग के दौरान शी जिनपिंग ने कहा कि 'दुनिया के सामने चीन की अच्छी कहानियां फैलाओ, चीन की अच्छी आवाज को फैलाओ और दुनिया को बताओ को चीन से दोस्ती करना कितना जरूरी है और 'चायना इंटरनेशनल कम्यूनिकेशन कैपिसिटी' के तहत चीन कितना शक्तिशाली है, ये दुनिया के सामने फैलाओ।' एडम नी कहते हैं कि 'चीन के राष्ट्रपति का यह मैसेज जाहिर तौर पर सत्य से दूर होगा और सिर्फ चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की इमेज को साफ करने की कोशिश होगी'
शी जिनपिंग का 'नया प्लान'
शी जिनपिंग के भाषण का अंग्रेजी में अनुवाद करने वाले एडम नी बताते हैं कि 'शी जिनपिंग अपनी विचारधारा को लेकर काफी जुनूनी हैं और उन्होंने कम्यूनिस्ट पार्टी की मीटिंग के दौरान सावधान करते हुए कहा कि 'चीन नई परिस्थितियों में फंस सकता है और इसके लिए तैयार रहना होगा' इसके लिए शी जिनपिंग ने एक टॉप लेवल डिजाइन और रिसर्च तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने एक स्ट्रैटजिक कम्यूनिकेशन बनाने और अपनी चीन की विशेषताओं को बताने के लिए इंटरनेशनल कम्यूनिकेशन सिस्टम द्वारा प्रभाव उत्पन्न करने को कहा है। उन्होंने इसके लिए चीन के कल्चर, चीन की इमेज और लगातार शक्तिशाली होता हुआ चायना का एजेंडा लगातार इंटरनेशनल पब्लिक ओपिनियन बनाने के लिए करने को कहा है।' दरअसल, अपने इस प्रोपेगेंडा के जरिए शी जिनपिंग दरअसल किसी नतीजे पर नहीं जाकर 'बदनाम चीन' की बात को घुमा-फिराकर खत्म करना चाहते हैं।
कम्यूनिस्ट पार्टी के लिए प्रोपेगेंडा
शी जिनपिंग ने कहा है कि 'वैश्विक समुदाय के सामने कम्यूनिस्ट पार्टी का प्रोपेगेंडा जमकर फैलाया जाना काफी महत्वपूर्ण है और इसके लिए विदेशी समुदायों की मदद की जाए और उन्हें ये अहसास दिलाया जाए कि कम्यूनिस्ट पार्टी लोगों की खुशी के लिए संघर्ष कर रही है, दुनिया से लड़ रही है और लोगों को यह अहसास दिलाया जाए कि आखिर क्यों कम्यूनिस्ट पार्टी और कम्यूनिस्ट विचारधारा का जीतना जरूरी है।' चीन के राष्ट्रपति ने इससे पहले 2015 से 2017 के बीच में 'वल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी' के जरिए अपने मातहतों के जरिए अपना प्रोपेगेंडा चलाने की कोशिश की थी। लेकिन चीन का आक्रामक 'वल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी' बुरी तरह से फेल हो गया और शी जिनपिंग इस बात को जानते हैं, लिहाजा उन्होंने इस बार इंटरनेशनल कम्यूनिकेशन सिस्टम प्रोपेगेंडा पॉलिसी चलाने का फैसला लिया है।
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