World War 3?:2020 तक ताईवान पर हमला कर सकता है चीन, तो US कर देगा ड्रैगन पर हमला
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नई दिल्ली। यूं तो चीन के कई दुश्मन हैं, लेकिन उससे टकराने की ताकत रखने वाले केवल दो ही देश हैं, जिनके नाम हैं अमेरिका और भारत। हालांकि, चीनी रडार पर इन दोनों से ऊपर जापान का नाम हैं, लेकिन जापान की सैन्य शक्ति मौजूदा समय में इतनी नहीं कि वह चीन जैसे देश से टकरा सके। बहरहाल, बात दुश्मनी की हो रही है तो जाहिर है इसके पीछे ठोस वजह भी होगी। जहां तक भारत की बात है तो चीन के साथ उसके कई विवाद हैं कुछ बॉर्डर से जुड़े हैं तो नदियों से, कई जगह समंदर में भी 'जंग' जारी है। वहीं, अमेरिका की बात करें तो उसका चीन के साथ सबसे बड़ा विवाद साउथ चाइना सी को लेकर है। नॉर्थ कोरिया और पाकिस्तान जैसे देशों को चीन का शह देना भी यूएस को कुछ रास नहीं आ रहा है। इसके अलावा अमेरिका के जानी दुश्मन रूस के साथ भी चीन की दांत काटी रोटी है। भारत-अमेरिका और चीन के बीच ये सब बड़े मुद्दे हैं, जिनको लेकर लंबे समय से टकराव जारी है। World War 3 की आशंका के बीच इन सभी मुद्दों पर पूरी दुनिया की नजर है, लेकिन चीन के साथ युद्ध की वजह इनमें से एक भी नहीं होगी।
2020 है वो साल, जब ताईवान पर हमला कर सकता है चीन
एक्सप्रेस डॉट को डॉट यूके की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और चीन के बीच अगर किसी भी बात को लेकर युद्ध छिड़ेगा तो वो वजह होगी ताईवान! जिसे चीन आज भी अपना हिस्सा मानता है, लेकिन ताईवान के लोग ऐसा नहीं मानते हैं। उनकी अपनी सरकार और अपना देश। अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के कई जानकार इस बात की आशंका जता चुके हैं कि 2020 तक चीन किसी भी सूरत में ताईवान को अपने देश में शामिल कराने के लिए हमला कर सकता है। ऐसे में अमेरिका के पास ताईवान को सपोर्ट देने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
चीनी शोधकर्ता ने बताई वो वजह, जो बनेगी ताईवान पर हमले का कारण
चीन के थिंक टैंक छार के शोधकर्ता डेंग युवेन ने ऐसे चार कारण बताए हैं, जिनकी वजह से ड्रैगन शांतिपूर्ण तरीके से ताईवान के साथ बातचीत की पॉलिसी को बदल सकता है। पहला कारण: डेंग की मानें तो ताईवान को लंबे समय से आर्थिक मदद देने के बाद भी चीन इस देश के लोगों का दिल जीतने में नाकामयाब रहा है। दूसरा कारण: जैसे-जैसे ताईवान की यंग जेनरेशन आ रही हैं, वैसे चीन की पहचान ताईवान से लुप्त हो रही है। तीसरा कारण: ताईवान में अब राजनीतिक दलों की ताकत कम हो रही है। ऐसे में चीन किसके सहारे अपना एजेंडा आगे बढ़ा पाए। चौथ और अंतिम कारण: चीन में ये मांग लगातार जोर पकड़ रही है कि ताईवान को सैन्य ताकत के जरिए हासिल कर लिया जाए।
ताईवान और अमेरिका के रिश्तों पर भड़क गया था चीन
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद एक ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने लिखा था, 'मुझे ताईवान की राष्ट्रपति का फोन आया, उन्होंने चुनाव जीतने पर मुझे बधाई दी है।' ट्रंप और ताईवान की राष्ट्रपति के बीच काफी देर तक बात हुई थी। इसे लेकर चीन भड़क उठा था। इसके बाद ट्रंप ने भी ताईवान को अमेरिका के भरपूर समर्थन की बात कहकर चीन की तकलीफ और बढ़ा दी थी। इसके बाद ट्रंप ने 2018 डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट पर साइन किए, जिसकी मदद से अमेरिकी नौसैनिक जहाजों को ताईवान में तैनात किया जा सकेगा। इसके अलावा साउथ चाइना सी में भी अमेरिका लगातार चीन के दखल का विरोध कर रहा है। ऐसे में देखना होगा कि चीन आखिर क्या फैसला करता है। वह अमेरिका से सीधे टकराता है या कुछ हालात बदलने के लिए कुछ तरीकों का इस्तेमाल करता है।