अमेरिका: बाइडन लाए छह ट्रिलियन डॉलर का बजट प्रस्ताव, कहाँ-कहाँ होगा ख़र्च?
भारी-भरकम राशि वाले इस महत्वाकांक्षी बजट में रक्षा मंत्रालय और अन्य सरकारी विभागों का ख़र्चा भी 1.5 ट्रिलियन डॉलर बढ़ाया गया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने पहले वार्षिक बजट का प्रस्ताव जारी कर दिया है. छह ट्रिलियन डॉलर के इस बजट में अमीर अमेरिकी नागरिकों का टैक्स अहम रूप से बढ़ाने की योजना है.
भारी-भरकम राशि वाले इस महत्वाकांक्षी बजट में सामाजिक कल्याण की नई योजनाएं और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नए निवेश को शामिल किया गया है.
बाइडन के पेश किए बजट को अभी कांग्रेस से मंज़ूरी मिलनी बाकी है और रिपब्लिकन सांसद लिंज़ी ग्राहम ने इसे 'बेहद महँगा' बताते हुए इसकी आलोचना की है.
इस योजना के कारण अमेरिका की जीडीपी में वित्तीय घाटा 117 फीसदी तक पहुँच जाएगा जो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान घाटे से भी कहीं ज़्यादा होगा.
घाटे में यह बढ़ोत्तरी कॉर्पोरेट्स, अमीर अमेरिकी नागरिकों और कैपिटल गेन टैक्स में प्रस्तावित तीन ट्रिलियन डॉलर की बढ़त के बावजूद होगी.
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भी जीडीपी घाटा हर साल बढ़ता रहा था और आख़िरी सलाना खर्चे की उनकी योजना 4.8 ट्रिलियन डॉलर की थी.
बाइडन के इस बजट में पेंटागन (रक्षा मंत्रालय) और अन्य सरकारी विभागों का ख़र्चा भी 1.5 ट्रिलियन डॉलर बढ़ाया गया है.
इसके अलावा, पहले से प्रस्तावित नौकरियों के लिए 2.3 ट्रिलियन डॉलर और फ़ैमिली प्लान के लिए 1.8 ट्रिलियन डॉलर की राशि तय की गई है.
डेमोक्रैट राष्ट्रपति बाइडन ने कहा है कि उनका बजट सीधे अमेरिकी लोगों पर निवेश करेगा, अमेरिका की अर्थव्यवस्था मज़बूत करेगा और आने वाले समय में देश की वित्तीय स्थिति भी सुधारेगा.
बजट की क्या योजना है?
वाइट हाउस ने कहा है कि इस बजट से अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बहुआयामी विकास में मदद करेगा.
बजट में किए गए वादे कुछ इस तरह हैं-
- जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ जंग और क्लीन एनर्जी के लिए 800 बिलियन डॉलर का निवेश.
- तीन-चार साल के बच्चों की प्री-स्कूल शिक्षा के लिए 200 बिलियन डॉलर.
- सभी अमेरिकी लोगों को दो साल मुफ़्त कम्युनिटी कॉलेज के लिए 109 बिलियन डॉलर.
- राष्ट्रीय स्तर पर 'पेड फ़ैमिली और मेडिकल लीव प्रोग्राम' के लिए 225 बिलियन डॉलर. इस योजना से अमेरिका अपने जैसे अमीर देशों के मानकों पर आ जाएगा.
- सड़कों और पुल के लिए 115 बिलियन डॉलर. रेलवे और सार्वजनिक परिवहन के लिए 160 बिलियन डॉलर.
- अमेरिका के हर घर में इंटरनेट सेवा में सुधार और ब्रॉडबैंड के लिए 100 बिलियन डॉलर.
इस बजट में ध्यान देने वाली एक बात यह है कि इससे 'हाइड संशोधन' ग़ायब है. हाइड संशोधन का प्रावधान कहता है कि अमेरिका में टैक्सपेयर्स के पैसे गर्भपात पर होने वावे खर्च में नहीं लगाए जा सकते जब तक कि वो बलात्कार या 'इनसेस्ट' (परिवार के क़रीबी सदस्यों से हुए गर्भ) का मामला न हो.
जो बाइडन अमेरिका के इतिहास में ऐसे पहले राष्ट्रपति हैं जिन्होंने अपने बजट में 'हाइड संशोधन' को जगह नहीं दी है. प्रगतिशील वर्ग में उनके इस कदम की सराहना की जा रही है.
हालाँकि दिलचस्प बात यह भी है कि बाइडन कई वर्षों तक हाइड संशोधन का समर्थन करते रहे लेकिन पिछले साल चुनावी अभियान के दौरान इस पर उन्होंने अपना रुख़ बदल लिया था.
लेकिन माना जा रहा है कि बाइडन की इस योजना को सीनेट में कड़ी चुनौती मिलेगी, क्योंकि उनकी अपनी पार्टी के कई मध्यमार्गी सदस्य और रिपब्लिकन पार्टी के सांसद हाइड संशोधन के समर्थन में हैं.
महँगाई और वित्तीय घाटे का क्या होगा?
व्हाइट हाउस की प्रमुख आर्थिक सलाहकार सेसिलिया राउस ने यह स्वीकार किया कि अमेरिका में महँगाई दर बढ़ रही है लेकिन साथ ही उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि आने वाले वक़्त में यह घटकर 2 फीसदी के क़रीब पहुँच जाएगी.
हालाँकि पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और बराक ओबामा के आर्थिक सलाहकार रहे रैली समर्स समेत कुछ विशेषज्ञों ने चेताया है कि इतने बड़े सरकारी ख़र्चे से महँगाई बढ़ सकती है जिस कारण अमेरिका के फ़ेडरल बैंक को ब्याज़ दर बढ़ाना पड़ेगा और इससे मंदी का ख़तरा बढ़ जाएगा.
बाइडन के इस बजट से अगले दशक में अमेरिका का वित्तीय घाटा 14.5 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ने की आशंका है. वहीं, व्हाइट हाउस का अनुमान है कि टैक्स में होने वाली बढ़त से अगले 15 सालों से वित्तीय घाटा संतुलित हो जाएगा.
हालाँकि आलोचक बाइडन कार्यकाल के बाद इस बजट के 'सुखद अंत' को लेकर आशंकित ही हैं. रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने इस रिकॉर्ड ख़र्च को लेकर चेतावनी दी है.
सीनेट के माइनॉरिटी नेता मिच मैकॉनल ने शुक्रवार को इस योजना को 'समाजवादी दिवास्वप्न' बताया. कैंसस से सांसद जेरी मॉरन ने कहा कि इस बजट से 'आने वाली पीढ़ियाँ कर्ज़ के भारी बोझ तले दब जाएंगी.'
बाइडन सरकार का बड़ा सपना
बीबीसी के उत्तरी अमेरिका संवाददाता एंथनी जर्चर का विश्लेषण
अगर जो बाइडन का यह बजट मंज़ूर हो जाता है तो समझिए कि 'बड़ी सरकार' का युग वापस आ गया है.
साल 1996 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन जब कांग्रेस में जन कल्याणकारी योजनाओं और अन्य सरकारी फंडिंग में कटौती को लेकर रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों की माँग के आगे झुक गए थे तब उन्होंने कहा था कि 'बड़ी सरकारें' अब अतीत का हिस्सा हो गई हैं.
उसके दो दशक बाद आतंकी हमले, बड़ी वैश्विक मंदी और महामारी को झेलने के बाद अमेरिका में एक बार फिर 'सरकारी एक्टिविज़्म' का समर्थन उभर पड़ा है. लंबे वक़्त तक मध्यमार्गी माने जाने वाले नेता जो बाइडन के बजट में भी अब 'सरकारी एक्टिविज़्म' की झलक दिखाई देती है.
हालाँकि नए बजट में नए सरकारी हेल्थ इंश्योरेंस या सबके लिए मुफ़्त कॉलेज जैसे कोई बड़े एलान नहीं हैं लेकिन उनके प्रशासन ने कई मौजूदा योजनाओं में फंडिंग बढ़ा दी है. इनमें स्वास्थ्य और शिक्षा सेक्टर सबसे अहम हैं.
बाइडन के प्लान से सालाना एक ट्रिलियन डॉलर वित्तीय घाटे का अनुमान लगाया जा रहा है जिसकी काफ़ी आलोचना होगी.
वैसे, बजट का शुरुआती प्रस्ताव महज एक खाका भर है और संसद जिन योजनाओं को मंज़ूरी देती है उससे यह काफ़ी अलग होता है. बाइडन का प्रस्ताव यह कहता है कि वो सरकारी ख़र्च की संभावनाएं खुली रखना चाहता है और उसे लगता है कि अमेरिकी नागरिक इसका समर्थन करेंगे.
क्या बजट को मिलेगी मंज़ूरी?
नए प्रस्तावों को मंज़ूरी देने के लिए कांग्रेस के पास सितंबर तक का समय है. अगर वो इसे मंज़ूरी देने में असफल रहती है तो सरकार आंशिक रूप से ठप हो सकती है.
निचले सदन में बाइडन की डेमोक्रैटिक पार्टी को भारी बहुमत नहीं है और 100 सीटों वाली सीनेट में भी सिर्फ़ एक सीट की बढ़त है.
बाकी विधेयकों से उलट बजट को मंज़ूरी मिलने के लिए 60 के बजाय सिर्फ़ 51 वोटों की ज़रूरत होगी. इसका मतलब यह है कि बाइडन अपनी कुछ योजनाओं को रिपब्लिकन पार्टी के समर्थन के बग़ैर ही मंज़ूर करा सकेंगे.
रिपब्लिकन पार्टी पहले ही कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए बाइडन के 1.9 ट्रिलियन डॉलर खर्च किए जाने की आलोचना कर चुकी है.
वहीं, बाइडन के लिए अपनी ही डेमोक्रैटिक पार्टी के सभी सदस्यों का समर्थन हासिल करना भी आसान नहीं होगा. वैसे तो डेमोक्रैट्स कुल मिलाकर बजट के समर्थन में हैं लेकिन कुछ बिंदुओं पर उनकी भी असहमति होनी तय है.
उदाहरण के तौर, सैन्य खर्च पर बढ़त को लेकर पार्टी के कुछ प्रगतिशील सदस्य भी समस्या पैदा कर सकते हैं.
बाइडन ने रक्षा मंत्रालय के बजट को 715 बिलियन डॉलर रखा है. इसमें सैनिकों के वेतन में 2.7% बढ़ोत्तरी भी शामिल है है और चीन का मुक़ाबला करने के मक़सद से पुराने हथियारों को हटाकर नए और आधुनिक परमाणु हथियारों को लाने की बात कही गई है.
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