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हजारों साल पहले लुप्त हो चुके थे घातक हाथी, चलने से थर्राती थी धरती, अब उन हाथियों का होगा पुनर्जन्म

वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वो हजारों साल पहले लुुप्ट हो चुके वुली मैमथ प्रजाति के हाथियों का पुर्नजन्म करवाएंगे।

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नई दिल्ली, सितंबर 14: विज्ञान काफी तेजी से तरक्की कर रहा है और वैज्ञानिक लगातार इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि धरती पर ऐसे जानवरों का पुनर्जन्म करवाया जाए। हजारों साल हमारी पृथ्वी पर एक ऐसे प्रजाति का हाथी पाया जाता था, जो काफी ज्यादा विशालकाय और डरावना था। इस हाथ के दांत काफी ज्यादा लंबे होते थे और इसका नाम था 'वूली मैमथ'। अब वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगले 6 सालों में उनकी कोशिश इस प्रजाति के हाथियों को वापस धरती पर लाने की है। अगर ऐसा हो जाता है, तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं होगा।

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'woolly mammoths' हाथी का फिर से होगा पुनर्जन्म, Project पर काम शुरु | वनइंडिया हिंदी
लुप्त हो चुकी है हाथी की ये प्रजाति

लुप्त हो चुकी है हाथी की ये प्रजाति

करीब दो साल पहले प्रसिद्ध कारोबारी बेन लैम ने हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के आनुवांशिक वैज्ञानिक जॉर्ज चर्च से मुलाकात की थी। दोनों की मुलाकात बोस्टन के एक प्रयोगशाला में हुई थी। जहां दोनों ने मिलकर ये तय किया कि वो हाथियों की लुप्त हो चुके प्रजाति को वापस धरती पर लाएंगे। कारोबारी बेन लैम प्रोजेक्ट में अथाह पैसे लगाने के लिए तैयार थे और फिर विज्ञान की मदद से इस क्रांतिकारी प्रोजेक्ट को शुरू कर दिया गया। इस अद्भुत प्रोजेक्ट में काम कर रहे वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगले 6 सालों में उनका क्रांतिकारी प्रोजेक्ट कामयाब हो सकता है।

आर्कटिक की जंगलों में लौटेंगे हाथी

आर्कटिक की जंगलों में लौटेंगे हाथी

वैज्ञानिक जिस स्टार्टअप पर काम कर रहे हैं, वो किसी पागलपन से कम नहीं है। खासकर जो इस प्रोजेक्ट के बारे में सुनता है, वो इसे क्रेजी प्रोजेक्ट बताता है। लेकिन, इस स्टार्टअप का लक्ष्य है आनुवंशिक रूप से इंजीनियरिंग करके लुप्तप्राय एशियाई हाथियों के द्वारा आर्कटिक तापमान का सामना करने में सक्षम विलुप्त हो चुके ऊनी मैमथ के समान एक नए प्रकार का जानवर बनाना। रिपोर्ट के मुताबिक, कारोबारी बेन लैम ने इस प्रोजेक्ट के लिए 11 मिलियन पाउंड देने की बात कही है। कारोबारी लैम और वैज्ञानिक जॉर्ज चर्च के स्टार्टअप का नाम है कोलोसल। आपको बता दें कि वैज्ञानिक डॉर्ज जीन एडिटिंग में माहिर माने जाते हैं। सोमवार को इस प्रोजेक्ट की घोषणा कर दी गई है और अगर सब सही रहा, तो अगले 10 सालों में लुप्त जानवरों को वापस धरती पर लाने का सपना सच साबित हो सकता है।

कई सालों से चल रहा है प्रोजेक्ट

कई सालों से चल रहा है प्रोजेक्ट

आपको बता दें कि लुप्त जानवरों के जो अवशेष मिलते हैं, उनके जीन की एडिटिंग करके वैज्ञानिकों ने उन जानवरों के जैसा नया जानवर बनाने के प्रोजेक्ट पर काम कई साल पहले शुरू कर दिया था। लेकिन, इस तरह के प्रोजेक्ट में पैसे लगाने के लिए लोग नहीं मिल रहे थे। ये प्रोजेक्ट काफी ज्यादा महंगा है, लिहाजा इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना अभी तक मुमकिन नहीं हो रहा था। वैज्ञानिक चर्च ने सीएनबीसी को बताया कि, "पिछले 15 सालों में हमारे पास करीब एक लाख डॉलर थे, जो कि मेरी प्रयोगशाला में किसी भी अन्य प्रोजेक्ट से कम है। लेकिन ये प्रोजेक्ट मेरा सबसे पसंदीदा है। लेकिन पैसों की कमी की वजह से काम नहीं हो पा रहा था। लेकिन अब पैसों का इंतजाम हो चुका है।''

कैसे बनाए जाएंगे मैमथ हाथी?

कैसे बनाए जाएंगे मैमथ हाथी?

हाथियों के पुनर्जन्म की ये कहानी लोगों के लिए पूरी तरह से काल्पनिक कहानी की तरह है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि वो मैमथ डीएनए से लैब में भ्रूण पैदा करेंगे और फिर हाथी-मैमथ हाइब्रिड तैयार करेंगे। इसमें एशिया में पाए जाने वाले हाथियों का भी इस्तेमाल किया जाएगा और जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए हाथियों का नया ब्रीड तैयार किया जाएगा। सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिक ऐसा हाथी बनाना चाहते हैं, जो आर्कटिक के भीषण सर्दी में जिंदा रह सके। वैज्ञानिक चर्च ने कहा कि उनका टार्गेट एक ऐसे हाथी का निर्माण करना है, जो आर्कटिक के भीषण ठंड में रह सके और वहां अपनी आबादी बढ़ा सके। वैज्ञानिक ने कहा कि, ये हाथी पूरी तरह से मैमथ की तरह ही होगा और उसी की तरह व्यवहार करेगा।

करीब 6 साल का लगेगा वक्त

करीब 6 साल का लगेगा वक्त

चर्च ने सीएनबीसी को बताया कि, कोलोसल को बछड़ा पैदा करने में कम से कम छह साल लग सकते हैं। और जो वक्त हमने तय किया है, वो काफी आक्रामक है। उन्होंने स्वीकार किया कि, "जब लोग मुझसे यह सवाल पूछते थे, तो मैं कहता था, मुझे नहीं पता। हमारे पास कोई फंडिंग नहीं है।' लेकिन अब मैं इसे टाल नहीं सकता। मैं कहूंगा कि 6 साल से ज्यादा समय नहीं लगेगा''। उन्होंने कहा कि, ''हमारा लक्ष्य मैमथ के अंतर-प्रजनन योग्य झुंडों का निर्माण करना है, जो प्रजनन के जरिए अपनी आबादी बढ़ा सके और आर्कटिक में पुननिर्माण का लाभ उठा सकें। इस परियोजना के समर्थकों का कहना है कि, आर्कटिक को ऊनी मैमथ के साथ फिर से बनाना पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने को धीमा करके ग्लोबल वार्मिंग को धीमा कर सकता है, जहां वर्तमान में मीथेन गैस के निकलने की काफी संभावना जताई जा रही है।

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English summary
Scientists have claimed that they will regenerate elephants of the woolly mammoth species that were extinct thousands of years ago.
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