पानी भरने में बेटियां खर्च कर देती हैं 200 मिलियन घंटे या 22,800 साल
यूनाइटेड
नेशंस।
यूनाइटेड
नेशंस
(यूएन)
की
एक
रिपोर्ट
आई
है
और
इस
रिपोर्ट
में
एक
ऐसे
सच
से
पर्दा
उठाया
गया
है
जिसे
सुनकर
आप
हैरान
रह
जाएंगे।
महिलाओं
और
लड़कियों
की
दुर्दशा
पर
तो
अक्सर
आपने
कई
रिपोर्ट्स
पढ़ी
होंगी
लेकिन
क्या
आप
जानते
हैं
कि
अब
इन्हें
अपना
कीमती
समय
किसी
जरूरी
काम
में
खर्च
करने
के
बजाय
पानी
इकट्ठा
करने
में
खर्च
करना
पड़ता
है।
भारत में लड़कियों की दिनचर्या का हिस्सा पानी
रिपोर्ट के मुताबिक भारत समेत दुनियाभर की महिलाओं और लड़कियों को अपना 200 मिलियन घंटे का समय रोजाना सिर्फ पानी इकट्ठा करने में खर्च करना पड़ रहा है।
यूएन की बच्चों से जुड़ी एजेंसी ने यह रिपोर्ट जारी की है और इसमें यह भी कहा गया है कि भारत की लाखों लड़कियों के लिए तो पानी इकट्ठा करने का काम उनकी दिनचर्या का हिस्सा है।
तो ऐसे कैसे पढ़ेगी बेटी
सोमवार से अंतराष्ट्रीय जल सप्ताह की शुरुआत हुई और इसी मौके पर यूनीसेफ ने यह रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट का मकसद दुनिया को इस कड़वे सच से रूबरू कराना था कि जब लड़कियों की शिक्षा का जिक्र होता है तो यह भी बताना जरूरी है कि कैसे वह अपने दिन का एक अमूल्य हिस्सा उस काम को करने में खत्म कर दे रही है जो जीवन से जुड़ा हुआ है।
200 मिलियन घंटे यानी 22,800 वर्ष यानी पाषाण काल
200 मिलियन घंटे 22,800 वर्षों से भी ज्यादा का समय है और अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब बेटियां सिर्फ पानी ही भरेंगी तो फिर वह पढ़ाई कैसे करेंगी।
यूनीसेफ के ग्लोबल हेड संजय विजसेकरा ने कहा कि आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 200 मिलियन घंटे यानी 8.3 मिलियन दिन या फिर 22,800 वर्षों का समय।
संजय की मानें तो इसका मतलब सिर्फ यही है कि एक महिला ने पाषाण काल में पानी भरने के लिए अपना घर छोड़ा और वह वर्ष 2016 तक अपने घर नहीं लौट पाई है।
उस समय तक जब दुनिया कहीं आगे बढ़ चुकी होगी और वह पानी की वजह से इस आधुनिकता का हिस्सा ही नहीं बन पाई। वह जो कुछ कर सकती थी वह भी नहीं कर पाई और अपनी उपलब्धियों से पीछे रह गई।
रिपोर्ट की खास बातें
- यूएन का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक सबको पीने के लिए साफ पानी मुहैया कराया जा सके ।
- यूएन का अनुमान है कि अफ्रीका के सहारा क्षेत्र की 29 प्रतिशत आबादी के लिए साफ पानी के स्त्रोत 30 मिनट या इससे ज्यादा दूर हैं।
- एशिया में यह आंकड़ा 21 मिनट का ग्रामीण क्षेत्रों में और शहरी क्षेत्रों में 19 मिनट का है।
- अफ्रीका के सहारा क्षेत्र में स्थित 24 देशों में 3.36 मिलियन बच्चे और 13.54 व्यस्क महिलाओं पर पानी इकट्ठा करने की जिम्मेदारी।
- मालावी में एक महिला पानी के लिए 54 मिनट यानी करीब एक घंटे तो एक पुरुष को सिर्फ छह मिनट का समय खर्च करता है।
- महिलाएं न तो अपने परिवार के साथ समय बिता पाती हैं और न ही बच्चों की देखभाल पर ध्यान दे सकती हैं।
- हर लड़के और लड़की को पानी की वजह से अपने स्कूल और पढ़ाई से भी दूर होना पड़ता है।
- अगर पानी किसी सुरक्षित स्त्रोत से इकट्ठा किया जा रहा है तो भी इसे कहीं से ट्रांसपोर्ट करना पड़ता है।
- पानी को कहीं से लाने पर इस बात का खतरा रहता है कि वह पीने तक जहरीला हो चुका होगा।
- इसकी वजह से बच्चों में डायरिया और दूसरी खतरनाक बीमारी का खतरा बढ़ता है।
- डायरिया की वजह से दुनियाभर में करीब 159 मिलियन बच्चों की मौत हो जाती है।
- 300,000 बच्चे जिनकी उम्र पांच वर्ष से कम है हर वर्ष डायरिया की वजह से मर जाते हैं।
- यानी करीब 800 बच्चे प्रतिदिन गंदगी या फिर असुरक्षित पानी पीने को मजबूर हैं।