Flashback 2022: इस साल सूर्य इतना अशांत क्यों रहा ? सौर विस्फोट सौर तूफान जैसी घटनाओं ने बार-बार डराया
2022 में सूर्य आश्चर्यजनक तौर पर सक्रिय देखने को मिला है। सौर विस्फोट और उसकी वजह से भूचुंबकीय तूफान जैसी घटनाएं देखनें को ज्यादा मिलीं। एलन मस्क के कई सैटेलाइट भी जल गए। 2023 में यह ज्यादा हो सकता है।
2022 की शुरुआत से सूर्य बहुत ज्यादा सक्रिय नजर आया है। सूर्य की इस सक्रियता का खामियाजा दुनिया में जिसने सबसे ज्यादा भुगता है, उनमें अरबपति कारोबारी एलन मस्क भी शामिल हैं। उनके कई स्टारलिंक सैटेलाइट भूचुंबकीय तूफानों की चपेट में आकर तबाह हो चुके हैं। ऐसा दुनिया भर के कई और उपग्रहों के साथ हुआ है। यही वजह है कि सनस्पॉट्स, सोलर फ्लेयर्स,कोरोनल मास इजेक्शन और जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म जैसे शब्द आए दिन खबरों में आते रहे हैं। पिछले सालों में ऐसे शब्दों की चर्चा कम ही होती रही है। हालांकि, पहले भी सूर्य की गतिविधियां बढ़ती रही हैं, लेकिन इस साल की बात कुछ और है।
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2022 में सूर्य इतना अशांत क्यों रहा ?
वेदर डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक सूर्य इस बार ज्यादा अशांत नजर आया है तो इसका कारण यह है कि हम इसके सौर चक्र के चरम के नजदीक पहुंच रहे हैं। यह 11 साल की एक अवधि है, जिस दौरान सूरज का चुंबकीय क्षेत्र उत्तर से दक्षिण ध्रुवों के बीच चक्कर लगाता रहता है। वैज्ञानिक जिसे सौर चक्र 25 कहते हैं, उससे हम अभी दो वर्ष पीछे हैं। यह सौर चक्र 2025 में अपने शिखर पर होने की संभावना है। यह पहले की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली हो सकता है, लेकिन अभी औसत से कमजोर है। स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर ने जो ताजा ट्रेंड बताया है, उसके अनुसार जारी चक्र उम्मीद से ज्यादा तीव्र हो सकता है। क्योंकि, वैज्ञानिकों ने इस चक्र की शुरुआत का जो अंदाजा लगाया था, वह 6 महीने पहले ही शुरू हो गया।
आने वाले वर्षों में सूर्य की सक्रियता और बढ़ सकती है
ताजा ट्रेंड से लगता है कि जब सौर चक्र 25 चरम पर होगा तो सूरज पर मोटे तौर पर 125 सनस्पॉट होंगे। जो कि चक्र 24 में नजर आए 115 से ज्यादा है, लेकिन सौर चक्र 23 से फिर भी बहुत कम है, जो कि 180 था। यह मार्च 2000 में शिखर पर था और दर्ज इतिहास में लगभग औसत दर्जे का था। कुल मिलाकर 2022 में हमने सूर्य देवता में जो सक्रियता देखी है, वह लगता है कि अगले वर्षों में भी नजर आने की संभावना है।
Sunspots क्या हैं ?
सनस्पॉट्स सूरज की सतह के वह क्षेत्र हैं, जो काले धब्बे की तरह नजर आते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि यह इसकी सतह के बाकी हिस्सों की तुलना में थोड़े ठंडे होते हैं। लेकिन, फिर भी सनस्पॉट्स का तापमान बहुत गर्म होता है और लगभग 6,500°F रहता है। ऐसा होने की सिर्फ एक ही वजह है कि इस जगह का चुंबकीय क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि यह सूरज की गर्मी को उसके सतह तक पहुंचने से रोक देता है। लेकिन, वैसे तो यह दिखने में शांत होता है, लेकिन सोलर फ्लेयर या सौर चमक अथवा सौर धधक के लिए जिम्मेदार साबित होता है, जिसके असर को धरती तक को झेलनी पड़ती है।
Solar flares क्या है ?
जब सनस्पॉट के पास वाले चुंबकीय क्षेत्र में किसी वजह से बदलाव होता है तो इसके नतीजे के तौर पर सौर विस्फोट देखने को मिल सकता है और फिर सौर धधक (सोलर फ्लेयर) पैदा होती है। आमतौर पर सोलर फ्लेयर से अंतरिक्ष में एक टन रेडिएशन निकलता है। अगर यह रेडिएशन पर्याप्त ताकतवर (कोरोनल मास इजेक्शन या सौर तूफान) रहा तो पृथ्वी के वायुमंडल तक में पहुंच सकता है और संचार उपकरणों और उपग्रहों को तबाह कर सकता है। स्टारलिंक सैटेलाइट के केस में यही हुआ था। हालांकि, यह संचार उपग्रह सूर्य से मोटे तौर पर 150 मिलियन किलोमीटर दूर होते हैं। सौर तूफान का असर सौर मंडल के दूसरे ग्रहों तक भी पहुंच सकता है, लेकिन पृथ्वी पर इंसानी गतिविधि की वजह से सबसे ज्यादा परिणाम इसे ही भुगतना पड़ता है।
भूचुंबकीय तूफान क्या है ?
नासा के मुताबिक सोलर फ्लेयर का धरती पर तभी प्रभाव पड़ता है, जब वह पृथ्वी की तरफ बढ़ता है। क्योंकि, कोरोनल मास इजेक्शन (CME) सूर्य से किसी भी दिशा में निकल सकता है। लेकिन, जब कोरोनल मास इजेक्शन (सौर तूफान) की वजह से पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र प्रभावित होता है तो इसके परिणामस्वरूप भूचुंबकीय तूफान पैदा हो सकता है। अगर यह बहुत ज्यादा शक्तिशाली हुआ तो सैटेलाइट को ही नहीं, पावर ग्रिड को भी नुकसान पहुंच सकता है और पहले कई बार इसके चलते पावर ग्रिड फेल भी हो चुके हैं। इनके अलावा सूर्य का रेडिएशन अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में काम करने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकते हैं।
सूर्य के मामले में कैसा रहेगा नया साल 2023 ?
यही वजह कि वैज्ञानिक सूरज की गतिविधियों और सौर चक्र का पूर्वानुमान लगाने पर काम कर रहे हैं। ताकि समय रहते सैटेलाइट्स को सेफ मोड में डाला जा सके, अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेसवॉक से समय रहते रोका जा सके और पावर ग्रिड को सुरक्षित बचाया जा सके। लेकिन, हर 11 साल में सिर्फ एक बार चरम पर पहुंचने की वजह से सौर चक्र पर शोध करना वैज्ञानिकों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। अगर मौजूदा ट्रेंड जारी रहा तो 2023 में ऐसी सौर गतिविधियां और देखने को मिल सकती हैं, जो पहले से भी ज्यादा तीव्र हो सकती हैं।