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तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन को क्यों सताया 'तख़्तापलट का डर'

इस्तांबुल नहर योजना की आलोचना तुर्की के कई रिटायर्ड नौसेना अधिकारियों के गले की फाँस कैसे बन गई है, पढ़िए इस रिपोर्ट में.

By BBC News हिन्दी
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बोस्पोरुस जलडमरुमध्य तुर्की के सबसे व्यस्ततम समुद्री मार्गों में से एक है
Getty Images
बोस्पोरुस जलडमरुमध्य तुर्की के सबसे व्यस्ततम समुद्री मार्गों में से एक है

तुर्की में प्रस्तावित इस्तांबुल नहर योजना की खुलकर आलोचना करने के लिए 10 रिटायर्ड नौसेना अधिकारियों को हिरासत में लिया गया है. राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन की इस योजना में बेहद दिलचस्पी है.

जहाज़ों से भरे रहने वाला बॉस्फोरस स्ट्रेट (जलडमरूमध्य) काला सागर को मरमरा सागर से जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता है. मरमरा सागर के ज़रिए काला सागर और भूमध्यसागर एक दूसरे से जुड़ते हैं.

राष्ट्रपति अर्दोआन की प्रस्तावित नहर योजना इसका एक विकल्प तैयार करने की है.

तुर्की सरकार की योजना के अनुसार 31 मील लंबी (45 किलोमीटर) इस्तांबुल नहर 25 मीटर गहरी होगी और ये बॉस्फोरस स्ट्रेट के पश्चिम में उत्तर से दक्षिण की तरफ़ होगी.

हाल में 104 रिटायर्ड एडमिरल्स ने एक खुला पत्र जारी कर रणनीतिक तौर पर अहम बॉस्फोरस स्ट्रेट के इस्तेमाल के लिए हुए अंतरराष्ट्रीय समझौते के बाहर निकलने को लेकर चेतावनी जारी की थी. इस पत्र में हस्ताक्षर करने वाले 10 लोगों को सरकार ने हिरासत में लिया है.

इन पर "देश की सुरक्षा और संवैधानिक प्रक्रिया के ख़िलाफ़ काम करने के" अपराध का आरोप लगाया गया है.

2016 में तुर्की में अर्दोआन के ख़िलाफ़ हुए तख़्तपलट की नाकाम कोशिश के बाद सेना के कई अधिकारियों पर इसी तरह के आरोप लगाए गए थे.

इस पत्र के उत्तर में राष्ट्रपति के प्रवक्ता फाहरेटिन अल्टुन ने ट्वीट कर अपनी नाराज़गी जताई. उन्होंने लिखा, "अपनी सीमा में रहें... 10 जुलाई 2016 को देश ने दिखाया कि वो दुश्मनों को कैसे हरा सकता है. आपकी अपनी सीमा याद रखनी चाहिए."

कुछ विपक्षी नेताओं ने सरकार के इस क़दम को "तख़्तापलट के डर में जीने वाली" सरकार कहा है.

बीते महीने तुर्की सरकार ने बॉस्फोरस स्ट्रेट के पश्चिम में प्रस्तावित 45 किलोमीटर लंबी इस्तांबुल नहर योजना को मंज़ूरी दी थी.

योजना का विरोध क्यों?

रिचेप तैय्यप अर्दोआन
Murat Cetinmuhurdar/PPO/Handout via REUTERS
रिचेप तैय्यप अर्दोआन

योजना का विरोध करने वालों रिटायर्ड नौसेना अधिकारियों का कहना था कि इस्तांबुल नहर परियोजना साल 1936 में हुए मॉत्रो समझौते का उल्लंघन होगा, जिसके ज़रिए तुर्की को अपनी सीमा के भीतर बॉस्फोरम स्ट्रेट पर नियंत्रण मिला था. इस समझौते के ज़रिए यहाँ से गुज़रने वाले व्यावसायिक और नौसेनिक जहाज़ों के लिए भी सीमा तय की गई थी.

रिटायर्ड एडमिरल्स ने पत्र में लिखा, "सरकार की किसी भी ऐसी गतिविधि या हरकत से बचना चाहिए, जिससे इस समझौते पर फिर से बातचीत शुरू हो सकती है. ये देश के हित में होगा."

गिरफ़्तार किए गए रिटायर्ड एडमिरल्स में सेम गुर्दनिज़ शामिल हैं, जिन्हें तुर्की के नए विवादास्पद समुद्री सिद्धांत "ब्लू होमलैंड" का जनक कहा जाता है.

इस सिद्धांत के अनुसार तुर्की यूनान के कुछ द्वीपों के नज़दीक के समुद्र समेत पूर्वी भूमध्यसागर पर अपना दावा मानता है. बीते साल जब तुर्की ने भूमध्यसागर में तेल की खोज शुरू की, उस वक़्त समुद्री सीमा को लेकर यूनान के साथ उसका विवाद भी हुआ था.

मुस्तफ़ा कमाल अतातुर्क के बनाए तुर्की गणराज्य में सेना को देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप का रखवाला माना गया था. लेकिन राष्ट्रपति अर्दोआन की इस्लाम समर्थक एके पार्टी ने सेना को मिले अधिकारों में कटौती कर रूढ़िवादी परंपरावादियों के हाथों में अधिक ताक़त दी है.

बोस्पोरुस जलडमरुमध्य
Reuters
बोस्पोरुस जलडमरुमध्य

प्रस्तावित इस्तांबुल नहर योजना

साल 2011 में अर्दोआन ने कहा था, "हम इस्तांबुल नहर योजना के लिए अपनी कमर कस रहे हैं. ये इस सदी की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक होगी, जो पनामा नहर और स्वेज़ नहर को भी पीछे छोड़ देगी."

अर्दोआन का कहना था कि ये नहर 25 मीटर गहरी होगी और इसके ज़रिए रोज़ाना कम से कम 160 जहाज़ सफ़र कर सकेंगे.

इस नहर को बनाने की लागत उस दौरान 10 अरब डॉलर बताई गई थी, जिस पर कई आलोचकों ने सवाल खड़े किए थे.

उनका कहना था कि मुश्किलों से जूझ रही तुर्की की अर्थव्यवस्था के लिए इस तरह की महंगी योजना पर काम करना सही नहीं होगा. उनका कहना था कि तुर्की को भूकंप से बचने के लिए अधिक उपाय करने चाहिए.

उनकी ये भी दलील थी कि 150 लाख लोगों के शहर में इस तरह की योजना को आगे बढ़ाने से प्रदूषण का ख़तरा भी बढ़ेगा.

कुछ लोगों का ये भी मानना था कि वक्त के साथ इस नहर के आसपास के इलाक़ों में इमारतें बनाई जाएँगी, जिसका लाभ सीधे-सीधे अर्दोआन से जुड़े लोगों को होगा.

BBC Hindi
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English summary
Why Turkish President Ardoan persecuted 'fear of coup'
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