पुतिन के लिए क्यों मुश्किलों की शुरुआत है नवालनी की सज़ा
नवालनी को सज़ा सुनाए जाने के ख़िलाफ़ रूस में कई जगह प्रदर्शन चल रहे हैं, सरकार कार्रवाई भी कर रही है, लेकिन जानकार इसे पुतिन सरकार के लिए मुश्किलों का दौर मान रहे हैं.
मंगलवार को जब रूस की राजधानी मॉस्को के सेंट्रल इलाक़े में दंगारोधी पुलिस के दस्तों ने कमान संभाली, तो संदेश स्पष्ट था- विपक्षी नेता एलेक्सी नवालनी के पक्ष में सभी प्रदर्शनों को कुचल दिया जाएगा.
अगले कुछ घंटों तक, जिन लोगों ने सरकार को चुनौती देने की कोशिश की, उन्हें गलियों में दौड़ाकर पकड़ लिया गया.
जल्द ही गिरफ़्तारियों और प्रदर्शनकारियों पर पड़ते पुलिस के डंडों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की जाने लगीं.
ये दृश्य रूस की एक अदालत के राष्ट्रपति पुतिन के कट्टर आलोचन एलेक्सी नवालनी को सज़ा सुनाने के बाद के हैं.
नवालनी ने अदालती सुनवाई को 'लाखों लोगों को डराने और विपक्ष की आवाज़ को कुचलने' का छद्म मुक़दमा करार दिया.
लेकिन नवालनी और उनके संदेश को दबाना इतना आसान नहीं होगा, जितना शायद रूस की सरकार समझ रही है.
उल्टा पड़ सकता है सख़्ती का दाँव
मॉस्के के कार्नेगी सेंटर से जुड़े आंद्रे कोलेसनिकोफ़ कहते हैं, 'मुझे लगता है कि ये सत्ता के लिए परेशानियों की शुरुआत है, क्योंकि नवालनी अब सिर्फ़ एक राजनीतिक शक्ति ही नहीं है, बल्कि नैतिक शक्ति भी बन गए हैं. अब वो लोग भी उनकी तरफ़ आकर्षित हो रहे हैं, जो पहले उनके समर्थक नहीं थे.'
कोलेसनिकोफ़ कहते हैं, 'सिर्फ़ राजनीतिक विरोधी ही नहीं, बल्कि आम नागरिक भी पुलिस और अदालतों की क्रूरता से झुंझलाए हुए हैं.'
यह भी पढ़ें: रूस और चीन कज़ाकिस्तान पर नज़रें क्यों जमाये बैठे हैं?
रूस की सरकार लंबे समय से नवालनी को पश्चिमी देशों का एजेंट बताती रही है, जो रूस को कमज़ोर करने में लगे हैं. सरकार ज़ोर देकर कहती रही है कि अदालतें पूरी तरह स्वतंत्र हैं और प्रदर्शनकारी अराजक तत्व हैं.
राष्ट्रपति पुतिन के प्रवक्ता ने प्रदर्शनकारियों से निबटने के लिए सुरक्षा बलों की तारीफ़ की है.
लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि सरकार की सख़्ती उल्टी भी पड़ सकती है.
स्वतंत्र वेबसाइट वीटाइम्स में फिलीप स्टायोरकिन ने लिखा है, "एलेक्सी नवालनी का दमन जिसकी क्रूरता चौंकानी वाली है, कहीं ना नहीं बेवकूफ़ाना भी है."
वो तर्क देते हैं कि नवालनी को जेल की सज़ा देने से प्रदर्शन और भड़केंगे. अनिश्चित अर्थव्यवस्था के दौर में ये सरकार के लिए अच्छी बात नहीं होगी.
स्टायोरकिन कहते हैं, "अधिकारी लगातार उस कुर्सी की टांगे देख रहे हैं, जिस पर वो बैठे हुए हैं, भले ही ये कुर्सी कितनी ही कमज़ोर होती जा रही हो."
यह भी पढ़ें: एलेक्सी नवेलनी: रूस में हो रहे प्रदर्शन जो पुतिन के लिए बन सकते हैं सिरदर्द
प्रदर्शन में शामिल बहुत से लोगों का कहना है कि वो पहली बार सड़क पर आए हैं. उनका कहना है कि वो एलेक्सी नवालनी से ज़्यादा उनके साथ हो रहे ख़राब व्यवहार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं.
मंगलवार शाम को, जब अदालत ने नवालनी को सज़ा सुनाई, सेंट्रल मॉस्को में ड्राइवरों ने प्रदर्शनकारियों के समर्थन में अपनी गाड़ियों के हॉर्न बजाए. ये ड्राइवर रुककर प्रदर्शन में शामिल होने को लेकर भले ही असहज थे, लेकिन इससे ये स्पष्ट था कि आक्रोश व्यापक स्तर पर हो सकता है.
नवालनी ने उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए हैं और इसे लेकर भी लोगों में ग़ुस्सा है. आम रूसी लोगों की ज़िंदगी मुश्किल होती जा रही है.
प्रदर्शनों की लहर
इस बात को लेकर भी चर्चा है कि सरकार का बेहत सख़्त रवैया शीर्ष अधिकारियों में कितना स्वीकार्य हो सकता है. पश्चिमी सरकारों को लगता है कि नए प्रतिबंध, संपत्तियाँ जब्त किया जाना या यात्रा पर प्रतिबंध 'क्राइमिया को वापस हासिल करने' के राष्ट्रवादी प्रोजेक्ट की स्वीकार्य क़ीमत हो सकते हैं.
लेकिन एक विपक्ष के नेता को निशाना बनाना उतना लोकप्रिय मकसद नहीं होगा.
अभी ये स्पष्ट नहीं है कि प्रदर्शनों की ये लहर कब तक चलेगी.
हो सकता है कि सितंबर-अक्तूबर में होने वाले संसदीय चुनावों तक ये ठंडे पड़ जाएँ. नवालनी चुनावों में सत्ता समर्थक यूनाइटेड रसिया पार्टी को ख़त्म कर देने का इरादा रखते हैं.
अब उनकी टीम को उनके बिना ही इस योजना को अमली जामा पहनाना होगा.
यह भी पढ़ें: रूस ने भारत को बताया ख़ास लेकिन एक मोर्चे पर जताई चिंता
ल्यूबोफ़ सोबोल ने पिछले सप्ताह स्वीकार किया था कि एलेक्सी नवालनी के बिना ये काम मुश्किल होगा. उन्होंने कहा था, "एलेक्सी हमारी प्रेरणा हैं. लेकिन अगर उन्हें जेल भेजा गया तो हम और ज़्यादा जुनून से काम करगे, इसमें हमारा ग़ुस्सा भी शामिल होगा."
लेकिन उनकी इस प्रतिबद्धता को तुरंत चुनौती भी मिल गई है. सोबोल और दूसरे शीर्ष नेताओं को तुरंत घर में नज़रबंद कर दिया गया. उन पर भी आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और उन्हें भी जेल भेजा जा सकता है. उन पर महामारी के दौरान लोगों को प्रदर्शन के लिए उकसाने के आरोप हैं.
नवालनी के लिए सलाखों के पीछे से अपनी टीम और समर्थकों को निर्देशित करना आसान नहीं होगा, ख़ासकर अगर प्रशासन उन पर लगे दूसरे आरोपों की जाँच को आगे बढ़ाता है तो.
लेकिन वो व्यक्ति, जिसने ज़हर से हमले का सामना किया और फिर उन लोगों को चुनौती देने लौट आया, जिन पर आरोप हैं, उसे शांत करना इतना आसान भी नहीं होगा.
रूस की जेलों में मोबाइल फ़ोन प्रतिबंधित हैं, लेकिन आसानी से हासिल हो जाते हैं. नवालनी को जेल में रहते हुए मुलाक़ातें और फ़ोन करने की अनुमति भी होगी.
पिछले सप्ताह ही, जब वो रिमांड पर थे, वो जेल के भीतर से इंस्टाग्राम पर एक संदेश पोस्ट करने में कामयाब रहे थे. इसमें उन्होंने लोगों से अपने डर से आगे बढ़कर प्रदर्शन करने की अपील की थी.
उन्होंने लिखा था, "कोई ऐसे देश में नहीं रहना चाहता, जहाँ अराजकता और भ्रष्टाचार का शासन हो. जिसके नेता हर उस व्यक्ति को जेल में डालते हों जो सरकार के ख़िलाफ़ बोलता हो."
नवालनी के पोस्ट को 10 लाख से अधिक लोगों ने लाइक किया था.
आंद्रे कोलेसनिकोफ़ तर्क देते हैं, "नवालनी एक शोषित पीड़ित और बहादुर बन गए हैं." वो उनकी तुलना सोवियत युग के विपक्षी नेता आंद्रे साकारोफ़ से करते हैं, जिन्हें बाद में शांति का नोबेल पुरस्कार भी मिला था.
अब रूस में लोगों के पास दो ही विकल्प हैं- या तो आप पुतिन के समर्थक हैं या नवालनी के.