क्यों चीन के 21 टन वजनी रॉकेट के गिरने की बढ़ी आशंका ? वैज्ञानिकों ने सिर पकड़ा, भारत पर मंडरा चुका है खतरा
नई दिल्ली, 26 जुलाई: अंतरिक्ष में रॉकेट लॉन्च करने में चीन कई बार नाकाम रहा है और उसके चलते पूरी दुनिया पर खतरा मंडरा चुका है। चीन ने एक बार फिर ऐसी ही लॉन्चिंग की है, जिसको लेकर अंतरिक्ष वैज्ञानिक टेंशन में आ चुके हैं। लेकिन, अबकी बार जिस रॉकेट के अनियंत्रित होकर गिरने की आशंका पैदा हो रही है, वह 21 टन का है। अगर इतने विशाल रॉकेट का कुछ भी हिस्सा धरती पर गिरा तो तबाही मच सकती है। इस बार इस रॉकेट के जरिए चीन के बन रहे नए स्पेस स्टेशन का हिस्सा भेजा गया है, जो वहां पर निर्माण कार्य को गति देगा। कुछ समय पहले ही चीन का एक ऐसा ही रॉकेट भारत के आकाश में जलने के बाद मालदीव के पास हिंद महासागर में गिर चुका है।
चीन के रॉकेट के अंनियंत्रित होकर गिरने की आशंका
चीन के चलते दुनिया भर के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की चिंता फिर से बढ़ गई है। रविवार को ही चीन ने अपने निर्माधीन अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक लॉन्ग मार्च 5बी रॉकेट लॉन्च किया है। लेकिन, इस मामले में चीन का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत ही खतरनाक है और इसलिए वैज्ञानिक चिंता में हैं कि कहीं यह फिर से यह वापस धरती पर तो नहीं गिर जाएगा। क्योंकि, चाइनीज रॉकेट के साथ पहले ऐसा कई बार हो चुका है और यह महज संयोग है कि पृथ्वी के वायुमंडल से टकराकर जलने के बाद बचा हुआ हिस्सा गिरने के बावजूद किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं है।
वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ने की खास वजह है
चीन के निर्माणाधीन स्पेस स्टेशन तिआंगोंग के लिए 21 टन वजनी रॉकेट के लॉन्च किए जाने के एक दिन बाद अंतरिक्ष पर नजर रखने वालों की नींद उड़ी हुई है। चीनी स्पेस स्टेशन के पहले लैब मॉड्यूल वेंतियान को लेकर गया यह रॉकेट अभी तक डीऑर्बिट नहीं हुआ है और इसी वजह से यह आशंका बनी हुई है कि यह पृथ्वी पर वापस गिर सकता है। एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है कि वैसे रॉकेट के पृथ्वी से टकराने की आशंका कम है, लेकिन फिर भी इसके लिए जो स्वीकार्य मानक हैं, उससे खतरा कहीं ज्यादा है। खासकर चीन के सैटेलाइट को अंतरिक्ष में ले जाने वाले उसके रॉकेट के डीऑर्बेटिंग का जो खराब इतिहास रहा है, उसे देखने के बाद वैज्ञानिक पहले किसी भी तरह की भविष्यवाणी से बचना चाहते हैं। (ऊपर वाली तस्वीर-ट्विटर वीडियो से)
कई सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टकराने की आशंका
चीन के जिस रॉकेट ने दुनिया भर के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को टेंशन में डाल दिया है, वह है- लॉन्ग मार्च 5-बी, जिसे कि बीते रविवार को ही तिआंगोंग स्पेस स्टेशन के लिए रवाना किया गया था। चीन के सबसे शक्तिशाली रॉकेट लॉन्ग मार्च 5बी-वाई3 इस तरह के अपने तीसरे प्रक्षेपण में वहां के लिए पहला लैबोरेटरी मॉड्यूल लेकर गया है, क्योंकि चीन का अंतरिक्ष स्टेशन अपने निर्माण चरण में प्रवेश कर चुका है। अंतरिक्ष में सैटेलाइनट और मलबों पर नजर रखने वाले खगोल वैज्ञानिक जोनाथन मैकडॉवेल ने इस बात की पुष्टि की है कि, '21 टन का निष्क्रिय रॉकेट कोर चरण में ही ऑर्बिट में है और इसे सक्रिय रूप से डीऑर्बिट नहीं किया गया'। हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स में खगोल भौतिक विज्ञानी मैकडॉवेल ने यह भी बताया है कि 'ये अलग हो जाएगा, लेकिन पिछले अनुभव से पता चलता है कि 30 मीटर लंबे धातु के टुकड़ों का एक गुच्छा कुछ सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जमीन से टकराएगा।'
चीनी रॉकेट के चलते भारत पर मंडरा चुका है खतरा
इसी साल चीन का एक रॉकेट वापस पृथ्वी के वायुमंडल में लौटकर भारत के आसमान के ऊपर जल गया था। चीन ने वह रॉकेट चांग झेंग 5बी को फरवरी, 2021 में लॉन्च किया था। चीन के इस नाकाम अभियान को लेकर उसकी खूब आलोचना हो चुकी है। उसपर आरोप था कि रॉकेट को डीऑर्बिट करने के लिए उसकी योजना बहुत ही बेकार थी। इसके चलते रॉकेट का बहुत बड़ा हिस्सा अनियंत्रित हो गया था। उस रॉकेट के जरिए भी चीन ने स्पेस स्टेशन के लिए ही उसका हिस्सा भेजा था। जानकारी के मुताबिक वह रॉकेट करीब 30 मीटर लंबा था। 20,000 किलो वजनी उस रॉकेट का जो हिस्सा गिरा था, वह पृथ्वी पर गिरने वाला अबतक का सबसे विशाल अंतरिक्ष मलबा था। इसका काफी हिस्सा तो वायुमंल में जल गया था, लेकिन बाकी हिंद महासागर में मालदीव के पश्चिम में गिरा था।
अंतरिक्ष से आतंक फैलाने में कुख्यात हो चुका है चीन
एक साल पहले यानी 2020 में भी चीन की ऐसी ही नाकामी ने दूसरे देश के लोगों की जान को खतरे में डाल दिया था। तब भी उसने लॉन्ग मार्च 5बी रॉकेट लॉन्च किया था, जो कि अनियंत्रित होकर वापस पृथ्वी पर गिर पड़ा। चीनी रॉकेट का यह बेकाबू मलबा पश्चिमी अफ्रीका के आइवरी कोस्ट गणराज्य के दो गांवों पर गिरा, जिसकी चपेट में आकर कई इमारतों को नुकसान पहुंचा। 2016 में चीन का पहला स्पेस स्टेशन तिआंगोंग-1 प्रशांत महासागर में क्रैश कर गया था। हालांकि, 2019 में उसने अपने दूसरे अंतरिक्ष स्टेशन तिआंगोंग-2 की नियंत्रित पुनर्वापसी करवाई थी, जो वायुमंडल में जलने के बाद प्रशांत महासागर में गिरा था।
अंतरिक्ष में बहुत ही तेजी से कदम बढ़ा रहा है चीन
चीन अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को बहुत ही तेजी से आगे बढ़ाना चाहता है और वह आने वाले दशकों में चंद्रमा से लेकर मंगल तक पहुंचने की योजना पर कार्य कर रहा है। इसलिए वह ऐसा स्पेस स्टेशन तैयार करना चाहता है, जो उसके वैज्ञानिकों को शोध का एक बड़ा प्लेटफॉर्म दे सके। इसी साल अक्टूबर में वह दूसरे लैबोरेटरी सेगमेंट मेंगटिआन को भी लॉन्च करने वाला है, जिसके साथ ही उसका स्पेस स्टेशन पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। (पहली-दूसरी तस्वीर के अलावा बाकी फाइल)