धरती पर आकर इंसानों से क्यों नहीं मिलते हैं एलियन? नई थ्योरी में मिला परेशान करने वाला जवाब
वैज्ञानिक वोंग और बार्टलेट कहते हैं कि सभ्यताओं की असीम वृद्धि आबादी को अनंत तक बढ़ाता है, लिहाजा उनके पास सीमित समय में संसाधनों की मांग काफी ज्यादा बढ़ती जाती है।
वॉशिंगटन, जून 20: इटली के प्रख्यात भौतिक विज्ञानी एनरिको फर्मी ने 1950 के दशक में दावा करते हुए कहा था कि, एलियंस को पूरे गैलेक्सी में फैलने में कई लाख साल लग जाएंगे। लेकिन, अभी तक इंसानों का एलियंस के साथ कोई संपर्क नहीं हो पाया है। एलियन के बारे में कहा जाता है, कि उनके पास काफी उन्नत टेक्नोलॉजी हो सकती है, ऐसे में सवाल ये उठते हैं, कि आखिर एलियंल कहां हैं और वो धरती को क्यों खोज नहीं पाए हैं? इस विचार को बाद में फर्मी पैराडॉग्स के नाम से जाना गया। और इस विचार ने वैज्ञानिकों को सोचने के लिए मजबूर किया, कि आखिर धरती तक एलियन क्यों नहीं पहुंच पाए हैं और धरती तक पहुंचने में उन्हें कौन रोक रहा है?
एलियन को लेकर नये सिद्धांत
दुनिया के दो विख्यात ज्योतिषविदों ने इस सिद्धांत का उत्तर खोजने की कोशिश की है और जो जवाब मिले हैं, वो परेशान करने के लिए अलावा आश्चर्यचकित करने वाले हैं। दो ज्योतिषविदों ने अपने रिसर्च के आधार पर दावा किया है, कि हमारे विदेशी समकक्ष हमारी तुलना में ज्यादा बुद्धिमान और तकनीकी रूप से उन्नत हैं। इस थ्योरी को चतैयार किया है, जो प्रख्यात ज्योतिषविद कार्नेगी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस के डॉ माइकल वोंग और कैलिफ़ोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से डॉ स्टुअर्ट बार्टलेट ने और उनका रिसर्च रिपोर्ट रॉयल सोसाइटी की कार्यवाही में प्रकाशित किया गया है। इसमे उन्होंने दावा करते हुए कहा है कि, इंसानों की तरह ही एलियन सभ्यता का विकास और विनाश होता है।
धरती की खोज करने का सामर्थ्य नहीं
उन्होंने अपनी रिसर्च में कहा है कि, भले ही एलियन सभ्यता इंसानों के मुकाबले काफी ज्यादा उन्नत क्यों ना हो, फिर भी उनकी एक सीमा रेखा है और उनकी क्षमता पृथ्वी ग्रह को खोजने और यहां तक पहुंचने की नहीं है। उन्होंने कहा कि, उन्नत टेक्नोलॉजी होने के बाद भी उनकी क्षमता का विकास इस स्तर का नहीं हो पाया है, कि वो पृथ्वी तक पहुंच सके। उन्होंने कहा है, इंसानों की तरह ही एलियन की भी अनेक सभ्यताएं आती हैं और फिर खत्म हो जाती हैं, जैसा ही पृथ्वी पर होता है।
इंसानी सभ्यता की तरह विकास और विनाश
उन्होंने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि, अतीत में पृथ्वी पर कई मानव सभ्यताओं का विकास और विनाश हुआ है, जैसे रोमन सभ्यता, प्राचीन मिस्र सभ्यता, हड़प्पा मोहनजोदेड़े सभ्यता.... लेकिन, आखिरकार ये सभ्यताएं भी खत्म हो गई और एलियन सभ्यताएं भी इससे परे नहीं हैं। दोनों वैज्ञानिकों ने कहा कि, एलियन सभ्यताएं भी इसी प्रक्रिया से गुजरती रहती हैं। अकादमिक दुनिया में इसे सुपरलाइनियर स्केलिंग के सिद्धांत के रूप में जाना जाता है, और इस सिद्धांत से यह समझा सकता है कि, हमारे ब्रह्मांड में, जहां अरबों खरबों ग्रह और उपग्रह हैं, उनमें किसी ना किसी पर तो जीवन हो ही सकता है, लेकिन इसी वजह से ना हम उनतक पहुंच पा रहे हैं और ना वो हमतक पहुंच पाते हैं।
सभ्यता का असीम विकास और फिर अंत
वैज्ञानिक वोंग और बार्टलेट कहते हैं कि सभ्यताओं की असीम वृद्धि आबादी को अनंत तक बढ़ाता है, लिहाजा उनके पास सीमित समय में संसाधनों की मांग काफी ज्यादा बढ़ती जाती है। वे कहते हैं कि, इस तरह आबादी विस्फोट के बाद आबादी के जीवन यापन के लिए संसाधन जुटाना धीरे धीरे मुश्किल होता जाता है और एक वक्त ऐसा आता है, जब उनतक ऊर्जा जरूरतों का पहुंचना बंद हो जाता है और उस आबादी का विनाश हो जाता है, जिससे एक सभ्यता पूरी तरह से खत्म हो जाती है।
शांति से रहना चाहते हैं एलियन
वैज्ञानिकों का यह भी सुझाव है कि, एलियंस इस प्रक्रिया के प्रति सचेत हो सकते हैं, और इसलिए कुल एलियन प्रजातियां असीम विकास तक पहुंचने से बचने की कोशिश करते हैं और विकास की प्रक्रिया को वहीं तक ही ले जाते हैं, ताकि उनका अंत ना हो। लिहाजा, वो अपने ग्रह पर ही शांति के साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहते हैं। उन्होंने एक और तर्क देते हुए कहा कि, बेशक हो सकता है, कि एलियंस के पास हमसे संपर्क साधने की क्षमता हो, लेकिन स्पष्ट तौर पर वो हमें परेशान करने लायक नहीं समझते हैं।
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