US हमले में मारा गया अयमान अल-जवाहरी कौन था, आजकल भारत पर लगातार क्यों बोल रहा था?
अल-जवाहरी ने मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया और फिर आंखों का डॉक्टर बना और आंखों की सर्जरी करता था। और इसी दौरान वो मध्य एशिया और मध्य पूर्व एशिया में घूमने लगा।
काबुल, अगस्त 02: ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अलकायदा की कमान संभालने वाले दुनिया के नंबर दो आतंकवादी अयमान अल-जवाहरी को अफगानिस्तान में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में मार डाला गया है। अल-जवाहरी ने ओसामा बिन लादेन को 11 सितंबर 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर हमले की साजिश रचने में मदद की और जब लादेन मारा गया था, उसके बाद इसने उसकी विरासत संभाली थी। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार को अल-जवाहरी के मारे जाने की पुष्टि की है और अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के ठीक 11 महीने बाद अमेरिका को एक महत्वपूर्ण आतंकवाद विरोधी जीत हासिल हुई है। अयमान अल-जवाहरी पिछले 21 सालों से अमेरिका से बचता आ रहा था, लेकिन अंतिम जीत अमेरिका की ही हुई है। आइये जानते हैं, अयमान अल-जवाहरी कौन था और पिछले कुछ महीनों से भारत पर लगातार बयानबाजी क्यों कर रहा था?
अयमान अल-जवाहरी कौन था?
9/11 के हमलों के दौरान जीवित रहने वाले अमेरिकियों को हो सकता है, कि अल-जवाहरी का नाम याद नहीं हो, लेकिन कई लोग दो दशकों से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी उसके चेहरे को याद रखे हुए हैं। चश्मे में एक आदमी, थोड़ा मुस्कुराता हुआ, हमेशा बिन लादेन की तरफ से तस्वीरों में दिखता हुआ और व्यवस्थित, जो अलकायदा को एक बार फिर से अपने पैरों पर खड़ा करने की कोशिश कर रहा था। अयमान अल-जवाहरी का जन्म मिस्र में 19 जून 1951 को काहिरा के एक रईस पत्तेदार परिवार में हुआ था। बचपन से ही वो धार्मिक रूप से कट्टर था और उसने खुद को सुन्नी इस्लामी पुनरुत्थान की एक हिंसक शाखा में डुबो दिया, जिसने मिस्र और अन्य अरब देशों की सरकारों को इस्लामी शासन की कठोर व्याख्या के साथ देश के शासन को बदलने की मांग की।
आंखों का सर्जन था जवाहरी
अल-जवाहरी ने मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया और फिर आंखों का डॉक्टर बना और आंखों की सर्जरी करता था। और इसी दौरान वो मध्य एशिया और मध्य पूर्व एशिया में घूमने लगा। उस दौरान उसने अफगानिस्तान में सोवियत संघ को लड़ते हुए देखा और फिर उसने सऊदी अरब में ओसामा बिन लादेन और अन्य अरब आतंकवादियों से मुलाकात की। उस समय ओसामा बिन लादेन भी युवा हुआ करता था और इन लोगों ने मिलकर अफगानिस्तान से सोवियत सेना को निकालने के लिए अभियान चलाना शुरू कर दिया। साल 1981 में उसपर राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या का आरोप लगा और फिर वो अपने कई साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया और ऐसा कहा जाता है, कि जेल के अंदर उसे काफी प्रताड़ित किया गया। अल-जवाहरी के जीवन के जानने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है, कि मिस्र की जेल के अंदर वो कई कट्टर आतंकियों के संपर्क आने के बाद और भी ज्यादा कट्टर बन गया और सात साल बाद उसने ओसामा बिन लादेन के साथ मिलकर अल-कायदा की नींव रखी।
अल-जवाहरी इतना महत्वपूर्ण क्यों था?
अल-जवाहरी ने अल-कायदा के साथ अपने मिस्र के आतंकवादी समूह का विलय कर दिया और फिर उसने अलकायदा को संगठित और ट्रेन्ड करना शुरू कर दिया। उसने अलकायदा के अंदर संगठनात्मक कौशल और अनुभव भरा। इसके साथ ही उसने अलकायदा के आतंकियों को खुफिया मिशनों को कैसे अंजाम दिया जाए, इसकी ट्रेनिंग दी और उसके बाद ही अलकायदा ने दुनियाभर में आतंकी हमलों को अंजाम देना शुरू कर दिया। अल-जवाहरी और ओसामा के नेतृत्व में धीरे धीरे अलकायदा का नाम दुनियाभर में फैलने लगा। 11 सितंबर 2001 के हमले को अंजाम देने के लिए उसने गुपचुप तरीके से धन जुटाना शुरू कर दिया और फिर जब अमेरिका पर हमले को अंजाम दे दिया गया और अमेरिकी ऑपरेशन से डरकर ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान भाग गया था, उस वक्त अल जवाहिरी ने ही अलकायदा को जिंदा रखा और सुनिश्चित किया, कि अलकायदा किसी भी हाल में खत्म ना होने पाए।
अलकायदा का पुननिर्माण
अफगानिस्तान में घुसकर जब अमेरिका ने अल-कायदा को करीब करीब खत्म कर दिया और ओसामा बिन लादेन समेत अलकायदा के तमाम बड़े आतंकी मार दिए गये उसके बाद अल-जवाहरी ने अफगान-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में अल-कायदा नेतृत्व का पुनर्निर्माण किया। वो अलकायदा का इराक, एशिया, यमन और उससे आगे की शाखाओं पर सर्वोच्च नेता था। निकट और दूर के दुश्मनों को निशाना बनाने के एक विश्वास के साथ, अल-कायदा ने 9/11 के बाद अफगानिस्तान के बाहर लगातार हमले किए, जिसमें बाली, मोम्बासा, रियाद, जकार्ता, इस्तांबुल, मैड्रिड, लंदन भी शामिल था। साल 2005 में लंदन में अलकायदा ने आखिरी बार भीषण हमला किया था, जिसमें 52 लोगों की मौत हो गई। लेकिन, उसके बाद से अमेरिका ने अलकायदा के ठिकानों पर लगातार मिसाइल और ड्रोन हमले शुरू कर दिए, जिसमें अलकायदा का बड़ा नेटवर्क ध्वस्त हो गया।
कैसे मारा गया अल-जवाहरी?
एक रविवार को जब सूरज निकलने वाला था, उस वक्त अल-जवाहिरी अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक घर की बालकनी पर बाहर आया था और वहीं पर काफी देर तक लेटा रहा। अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के मुताबिक, अल- जवाहिरी का ये रूटीन का हिस्सा बन गया था और उसे लगने लगा था, कि अब अमेरिका उसका बाल भी बांका नहीं कर सकता है। अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के मुताबिक, एक अमेरिकी ड्रोन ने अल-कायदा नेता पर दो हेलफायर मिसाइलें दागीं और उस वक्त वो अपने घर की बालकनी में खड़ा था और मिसाइल हमले में उसके चिथड़े उड़ गये और हजारों लोगों को बम से उड़ाने वाला आतंकवादी मिसाइल हमले में उड़ गया। विश्लेषकों ने कहा कि कुछ समय से अफगानिस्तान में उनकी मौजूदगी का संदेह था और लगातार उसे ट्रैक करने की कोशिश की जा रही थी। अमेरिकी अधिकारियों को इस साल पता चला था, कि जवाहरी की पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य हाल ही में काबुल में एक 'सुरक्षित' घर में चले गए हैं और फिर जवाहरी पर नजर रखी जा रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक, अल- जवाहिरी को मारने के लिए अमेरिकी खुफिया टीम ने काफी सावधानी से काम किया था और वो मारा गया है, उसकी पुख्ता जानकारी हासिल करने के बाद ही उसकी मौत की खबर अमेरिकी राष्ट्रपति ने दी है।
भारत पर लगातार दे रहा था बयान
पिछले कुछ महीनों से, खासकर जब से अफगानिस्तान में तालिबान शासन आया था, अल-जवाहिरी एक बार फिर से एक्टिव हो गया था और भारत के खिलाफ भी लगातार बयानबाजी कर रहा था। इसी साल अप्रैल महीने में अल-जवाहिरी ने कर्नाटक हिजाब विवाद में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला था और हिजाब विवाद में शामिल मुस्कान नाम की लड़की का समर्थन किया था। वहीं, उसने तीन साल पहले कश्मीरी आतंकियों को संबोधित करते हुए कहा इंडियन आर्मी पर ज्यादा से ज्यादा हमले करने का आह्वान किया था। एक्सपर्ट्स का कहना था कि, अलकायदा काफी कमजोर हो चुका था और उसका मकसद भारत में अपना समर्थन जुटाना था, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना था, कि भारत में उसके लिए ऐसा करना संभव नहीं था।
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