अमेरिका, भारत को लेकर सबसे ज्यादा नफरत, रूस पाकिस्तान से बहुत प्यार, चीन में हुए सर्वे में खुलासा
सर्वेक्षण दल का नेतृत्व करने वाले पलाकी विश्वविद्यालय ओलोमौक के एक प्रमुख शोधकर्ता रिचर्ड तुर्कसैनी ने एक बयान में कहा कि, "हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि चीनी जनता रूसी आक्रामकता से परेशान नहीं है...
बीजिंग, मई 13: चीन के लोग अमेरिका और रूस को लेकर क्या सोचते हैं, इस सवाल को लेकर चीन में एक सर्वे कराया गया है। जिसमें काफी दिलचस्प बातें पता चली हैं। वहीं, पाकिस्तान को लेकर चीन के लोगों की धारणा क्या है, ये सब बातें भी चीन के लोगों से जानने की कोशिश की गई है। ये सर्वे चीन के अंदर 3 हजार लोगों के बीच हुआ है और उनसे कई तरह के सवाल पूछे गये हैं, जिनमें अमेरिका, रूस, भारत और पाकिस्तान को लेकर सवाल हैं। ये सर्वे इस साल मार्च महीने में सेंट्रल यूरोपियन इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज थिंक टैंक द्वारा यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद आयोजित किया गया था, जिसे 12 मई को जारी किया गया है।
सर्वे में रूस पर राय
तीन हजार से ज्यादा चीन के लोगों के बीच किए गये इस सर्वे में पता चला है कि, पिछले तीन वर्षों में रूस को लेकर चीन के लोगों की सार्वजनिक धारणा में सुधार हुआ है, रूस अब वह देश है, जिसको लेकर चीन की जनता सबसे अच्छी सोच रखती है और रूस के बाद जिस देश का नाम सबसे ऊपर है, वो पाकिस्तान है। इस सर्वे में पता चला है कि, चीनी जनता बड़े पैमाने पर मास्को की आक्रामकता का समर्थन करती है, जबकि अमेरिका के बारे में सार्वजनिक विचार काफी खराब हो गए हैं। जिन 25 देशों के बारे में चीनी नागरिकों से पूछा गया, उनमें रूस को लेकर सबसे सकारात्मक जवाब आए हैं। वहीं, अमेरिका को सबसे अधिक नकारात्मक माना गया है। लगभग 80% चीनी जवाब में रूस के बारे में सकारात्मक भावनाएं थीं, जबकि एक तिहाई से भी कम का अमेरिका के प्रति समान जैसी भावनाएं थीं। पांच में चार चीनी लोगों ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में रूस के बारे में उनके विचार बदल गये हैं।
‘युद्ध में रूस का समर्थन’
सर्वेक्षण दल का नेतृत्व करने वाले पलाकी विश्वविद्यालय ओलोमौक के एक प्रमुख शोधकर्ता रिचर्ड तुर्कसैनी ने एक बयान में कहा कि, "हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि चीनी जनता रूसी आक्रामकता से परेशान नहीं थी और वास्तव में युद्ध में रूस का समर्थन करती प्रतीत होती है'। सर्वे में शामिल ऐसे चीनी लोग, जिन्होंने कहा है कि, पिछले कुछ सालों में रूस को लेकर उनकी भावना बदली हैं, उन्होंने कहा कि, ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि उन्हें रूस के नेतृत्व पर भरोसा आया है। चीन में अब आम प्रतिक्रियाएं हैं, कि "पुतिन पर भरोसा करें," "पुतिन में हिम्मत है," "मजबूत नेतृत्व है।" कई चीनी ने यह भी कहा कि उन्होंने महसूस किया कि रूस और चीन के बीच "भाईचारे का प्यार" है, और उनका मानना था कि "दुश्मन का दुश्मन हमारा दोस्त है।"
भारत को लेकर काफी नफरत
सर्वे में पता चला है कि, अमेरिका के बाद भारत वो देश है, जिसके बारे में चीन के लोगों में सबसे ज्यादा नकारात्मक भाव हैं और भारत के बाद जापान का स्थान है। वहीं, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में 48% की वियतनाम के बारे में नकारात्मक राय थी, और सर्वे में शामिल हर पांच में से दो चीनियों की इंडोनेशिया और फिलीपींस के बारे में नकारात्मक धारणा थी। वहीं, सकारात्मक सोच दिखाने के मामले में रूस और पाकिस्तान के बाद सिंगापुर को तीसरा सबसे अनुकूल स्थान दिया गया है। करीब 56% लोगों ने कहा कि वे सांस्कृतिक रूप से सिंगापुर को अपने शहर के समान महसूस करते हैं, वहीं 60% लोगों ने कहा कि उन्हें लगता है कि सिंगापुर के लोग चीनी मेहमानों का स्वागत करेंगे। जबकि, वियतनामी को चीनी मेहमानों के लिए तीसरा सबसे कम मित्रवत देश माना गया है। सर्वे करने वाले तुर्कसैनी ने कहा कि, "विदेशियों के प्रति चीनियों के रवैये को चलाने के लिए द्विपक्षीय संबंध एक महत्वपूर्ण कारक हैं। लगता है कि चीन सरकार का घरेलू प्रचार प्रोपेगेंडा काफी काम कर रहा है'।
सरकार से मिलती है राय
सर्वे में सबसे दिलचस्प बात ये निकलकर सामने आई है, कि विदेशी देशों के बारे में ज्यादातर चीनियों के मन में वही सोच है, जो सोच चीन की सरकार की है। इस सर्वेक्षण के प्रतिभागियों में से लगभग 60% ने कहा कि उन्हें लगता है कि अमेरिकियों का चीन के बारे में नकारात्मक दृष्टिकोण है। तुलनात्मक रूप से, केवल 10% ने कहा कि, रूसियों ने चीन के बारे में एक मंद दृष्टिकोण लिया है। आश्चर्य नहीं कि सर्वेक्षण में चीनी राष्ट्रवाद की प्रचुरता का पता चला है।
चीन में राष्ट्रवाद का विकास
सर्वे में शामिल 90% लोगों ने चीन को आर्थिक रूप से मजबूत देश माना है और अमेरिका के मुकाबले करीब 8 प्रतिशत ज्यादा अंक दिए हैं। वहीं, सर्वे में शामिल 9 प्रतिशत चीनियों ने चीन की सेना को दुनिया का सबसे मजबूत देश माना। वहीं, सर्वे में शामिल चीनी लोगों ने सेना के मुकाबले में भारत और जापान को सबसे कमजोर माना है और फिर यूरोपीय संघ का नाम लिया है। सर्वे से पता चला है कि, चीन की सरकार ने चीन के लोगों के बीच भारत को लेकर बेहद कमजोर धारणा बनाई है और चीन के लोगों ने इसपर विश्वास किया है और चीन के लोगों के पास सूचना हासिल करने के लिए दूसरा विकल्प भी नहीं है, लिहाजा वो सरकार की बातों पर ही यकीन करते हैं।
‘अमेरिका को लेकर हो सख्त नीति’
यह पूछे जाने पर कि चीन को किस हद अमेरिका के साथ सख्त या मैत्रीपूर्ण नीतियां अपनानी चाहिए, तो लगभग 60% ने कहा कि अमेरिका के संबंध में एक सख्त नीति होनी चाहिए। जबकि, 20% से ज्यादा लोगों ने कहा कि, अमेरिका के साथ काफी कठिन नीति होनी चाहिए। सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगं ने कहा कि "चीन की संप्रभुता और सुरक्षा की सुरक्षा" बीजिंग की विदेश नीति की प्राथमिकता सबसे पहले नंबर पर होनी चाहिए। हालांकि, ऐसा भी नहीं था कि, अमेरिका को लेकर चीनियों के मन में सिर्फ नकारात्मक बातें हीं थी, सर्वे में शामिल 53 प्रतिशत लोगों ने अमेरिका को सांस्कृतिक रूप से आकर्षक माना, जबकि केवल 26% लोगों ने असहमति जताई।
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