श्रीलंका के लिए आज परीक्षा की घड़ी तो भारत भी चीन और तमिल के बीच फंसा, क्या करेगी मोदी सरकार?
मानवाधिकार के मुद्दे पर यूनाइटेड नेशंस में वोटिंग होने वाली है, जिसे लेकर भारत फंस गया है। श्रीलंका के पक्ष में भारत आए या खिलाफ जाए, ये अभी तक तय नहीं हो पाया है।
जेनेवा/कोलंबो/नई दिल्ली: श्रीलंका के लिए आज परीक्षा की घड़ी है और भारत के लिए मुश्किल फैसला लेने का वक्त। श्रीलंका के लिए परीक्षा की घड़ी इसलिए क्योंकि आज यूनाइटेड नेशंस में इस बात पर फैसला होगा कि यूनाइटेड नेशंस में श्रीलंका पर शिकंजा कसा जाए या नहीं और भारत के लिए मुश्किल फैसला लेने का वक्त इसलिए है, कि वो यूएन में श्रीलंका का साथ दे या नहीं।
श्रीलंका पर यूएन में आज फैसला
श्रीलंका में मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है या नहीं और क्या श्रीलंका को मानवाधिकार उल्लंघन के लिए दोषी ठहराया जाए या नहीं, इस बात पर फैसला यूनाइटेड नेशंस में वोटिंग करके लिया जाएगा। यूनाइटेड नेशंस का मानना है कि श्रीलंका में खुलेआम मानवाधिकर का उल्लंघन किया जा रहा है लिहाजा श्रीलंका को जिम्मेदार ठहराना चाहिए। जिसके लिए यूनाइटेड नेशंस में वोटिंग के जरिए श्रीलंका पर दबाव बनाने की कोशिश की जाएगी। अगर यूनाइटेड नेशंस के सदस्य देश श्रीलंका के खिलाफ वोट डालते हैं तो ना सिर्फ श्रीलंका की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनामी होगी बल्कि उसके खिलाफ जांच भी शुरू हो सकती है, लिहाजा श्रीलंका अंतर्राष्ट्रीय स्तर होने वाली किरकिरी से बचने के लिए अपने दोस्त देशों से लगातार बात कर रहा है।
श्रीलंका पर इंटरनेशनल राजनीति
श्रीलंका के खिलाफ यूनाइटेड नेशंस में 'प्रमोशन ऑफ रिकाउंसिलिएशन अकाउंटिबिलिटि एंड ह्यूमन राइट्स इन श्रीलंका' के तहत सोमवार को वोटिंग होने वाली थी लेकिन किसी वजह से ये वोटिंग सोमवार को नहीं हो पाई और अब ये वोटिंग मंगलवार यानि आज होने वाली है। श्रीलंका इससे पहले लगातार तीन बार यूनाइटेड नेशंस में वोटिंग के दौरान हार चुका है। उस वक्त श्रीलंका के राष्ट्रपति महेन्द्रा राजपक्षे थे, जो वर्तमान राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे के बड़े भाई हैं। लिहाजा, श्रीलंका इस बार यूएन में हारना नहीं चाहता है और दिलचस्प बात ये है कि श्रीलंका के पक्ष में चीन और पाकिस्तान के अलावा तमाम मुस्लिम देश खड़े हो गये हैं। और मकसद श्रीलंका के जरिए भारत को रोकना है।
राजपक्षे ने किया पीएम मोदी को फोन
यूनाइटेड नेशंस में श्रीलंका भारत का साथ चाहता है। भारत की स्थिति और प्रतिष्ठा यूनाइटेड नेशंस में काफी ज्यादा अच्छी है लिहाजा अगर श्रीलंका का साथ भारत देता है तो श्रीलंका इस परीक्षा की घड़ी से बचकर निकल सकता है। लिहाजा, श्रीलंका के राष्ट्रपति ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फोन कर उनका साथ मांगा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति से बात जरूर की लेकिन आश्वासन नहीं दिया कि भारत यूनाइटेड नेशंस में श्रीलंका का साथ देगा या नहीं। यूएन में आज वोटिंग होने वाली है और भारत ने अभी तक श्रीलंका को लेकर अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। भारत क्या करे क्या ना करे, इसे लेकर फंसा हुआ है।
चीन और तमिल में फंसा भारत
श्रीलंका के मुद्दे पर भारत क्या करे, इसे लेकर दुविधा में फंसा हुआ है। श्रीलंका पर जो आरोप लगे हैं, उसमें तमिलों पर अत्याचार के आरोप हैं। लिहाजा तमिल मुद्दे पर भारत फंसा हुआ है। अगर भारत श्रीलंका का साथ देता है तो तमिल अत्याचार को लेकर मोदी सरकार की काफी बदनामी होगी और आने वाले वक्त में इसका खामियाजा भारत को तामिलनाडु चुनाव में उठाने होंगे। तामिलनाडु के नेता मोदी सरकार पर श्रीलंका के खिलाफ वोटिंग करने के लिए दबाव बना रहे है और तमिल मुद्दा काफी गर्म हो चुका है। लेकिन अगर भारत श्रीलंका के खिलाफ वोट डालता है तो चीन और पाकिस्तान इस मौके को लपकने की फिराक में हैं।
चीन-पाकिस्तान के बीच भारत?
भारत अगर श्रीलंका के खिलाफ वोट डालता है तो नाराज श्रीलंका चीन के पाले में जा सकता है और ये भारत के लिए सही नहीं होगा। भारत को इसका खामियाजा सीधे हिंद महासागर में भुगतना होगा। चीन लंबे अर्से से हिंद महासागर में घुसने की फिराक में है और वो श्रीलंका को लगातार दाने डाल रहा है, ऐसे में श्रीलंका के खिलाफ वोट डालना भारत की सुरक्षा से समझौता साबित हो सकता है। वहीं, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद भारत पर भी मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगे हैं, लिहाजा भारत को भी यूएन में दोस्त देशों का साथ चाहिए। और भारत का साथ अब तक श्रीलंका ने दिया है।
ब्लैकमेलिंग पर उतरा पाकिस्तान?
पाकिस्तान पूरी तरह से चीन का एजेंट बन चुका है, इस बात से अब किसी को इनकार नहीं है। श्रीलंका पर मुस्लिमों को प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप हैं। श्रीलंका ने हालिया वक्त में मुस्लिमों के खिलाफ कई फैसले भी लिए हैं, बावजूद इसके पाकिस्तान ने श्रीलंका का साथ देने का फैसला किया है। पाकिस्तान ने बयान जारी कर कहा है कि वो यूनाइटेड नेशंस में श्रीलंका का साथ देगा और यूनाइटेड नेशंस के प्रस्ताव का विरोध करेगा। माना जा रहा है कि चीन के इशारे पर पाकिस्तान श्रीलंका के सामने अच्छा बनने की कोशिश कर रहा है और चीन अब पाकिस्तान के सहारे श्रीलंका में घुसने की कोशिश में है। लिहाजा, भारत के सामने मुश्किल फैसला लेने का वक्त है। ऐसे में भारत के पास आखिरी विकल्प वोटिंग में हिस्सा नहीं लेने का है। अगर भारत वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लेता है तो इन समस्याओं से बच सकता है।
भारत-पाकिस्तान सिंधु घाटी जल आयोग की आज अहम बैठक, जानिए क्यों भारत रोकना चाहता था पानी?