कोरोना वायरस को सीजनल फ्लू में बदल देंगे वेरिएंट्स, हमेशा रहेगा साथ, कनाडा के वैज्ञानिकों का दावा
नई दिल्ली, 11 मई। कोविड-19 या नोबल कोरोना वायरस की पहचान चीन के वुहान शहर में पहली बार 2019 में हुई थी। उसके बाद से यह वायरस अब तक बहुत सार उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) कर चुका है। इन म्यूटेशन को अलग-अलग वेरिएंट के रूप में जाना जाता है। इनमें से ही एक डबल म्यूटेंट वेरिएंट इस समय भारत में फैली कोरोना वायरस की सुनामी की वजह बना हुआ है। अब कनाडा के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि लगातार सामने आ रहे वेरिएंट्स के चलते कोरोना वायरस कभी खत्म नहीं होने वाला है।
कनाडा के वैज्ञानिकों ने कहा है कोविड-19 लगातार सामने आ रहे वेरिएंट्स के चलते हमारे वायरल इकोसिस्टम का हिस्सा बन जाएगा और यह स्थानीय मौसमी फ्लू की तरह हमारे साथ हमेशा रहेगा। इससे निपटने के लिए वैक्सीन निर्माताओं को आने वाले सालों में अपने शॉट्स में सुधार करना होगा। कनाडा सरकार के कोविड-19 टास्क फोर्स के विशेषज्ञ डॉ. अलन बर्नस्टीन ने एक स्थानीय मीडिया आउटलेट से बातचीत में ये बातें कही हैं। उन्होंने बताया कि कनाडा ने पहले ही वैक्सीन निर्माताओं से इस बारे में बात की है।
बर्नस्टीन ने कहा कि हम सभी को हर साल इन्फ्लूएंजा का टीका लगवाते हैं क्योंकि इनफ्लूएंजा वायरस हर साल बदलता रहता है।
म्यूटेशन
बनेगा
वजह
उन्होंने
कहा
कि
ये
फ्लू
वेरिएंट
निश्चित
रूप
से
कुछ
साल
बहुत
गंभीर
हो
सकते
हैं
और
कुछ
साल
काफी
हल्के
होते
हैं
जो
गंभीर
तो
हो
सकते
हैं
लेकिन
उन्हें
हम
चिंता
करने
वाले
वेरिएंट
के
रूप
में
नहीं
देखते
हैं।
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डॉ. बर्नस्टीन ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि हम अब उस दुनिया में प्रवेश करने जा रहे हैं जो कोविड-19 के उन वेरिएंट्स के साथ रहने वाले हैं जिन्हें हम अभी जानते हैं।
कनाडा
में
बी.1.1.7
वेरिएंट
कनाडा
में
इस
में
तेजी
से
बी.1.1.7
वेरिएंट
ने
तेजी
से
अपना
विस्तार
किया
है।
यह
वेरिएंट
पहली
बार
ब्रिटेन
में
पाया
गया
था
इसलिए
कई
जगह
इसे
ब्रिटिश
वेरिएंट
भी
कहकर
संबोधित
किया
जाता
है।
कोरोना
वायरस
का
यह
वेरिएंट
स्वास्थ्य
विशेषज्ञों
के
लिए
चिंता
की
प्रमुख
वजह
है
क्योंकि
यह
दूसरे
वेरिएंट
की
तुलना
में
65
प्रतिशत
अधिक
संक्रामक
है।
कनाडा
में
एक
दूसरा
वेरिएंट
बी.1.351
भी
है
जो
सबसे
पहले
दक्षिण
अफ्रीका
में
पाया
गया
था।
यह
वेरिएंट
अधिक
वैक्सीन
प्रतिरोधी
है।