भारत-पाक के बीच एलओसी पर युद्धविराम पर क्या बोला अमेरिका
भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी पर युद्धविराम का अमेरिका ने स्वागत किया है। बुधवार को भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) की हॉटलाइन पर बात हुई थी। इसके बाद दोनों देश एलओसी पर सीजफायर लागू करने के लिए राजी हुए।
वॉशिंगटन। भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी पर युद्धविराम का अमेरिका ने स्वागत किया है। बुधवार को भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) की हॉटलाइन पर बात हुई थी। इसके बाद दोनों देश एलओसी पर सीजफायर लागू करने के लिए राजी हुए। भारत और पाक साल 2003 में हुए युद्धविराम समझौते को पूर्ण रूप से लागू करने पर राजी हुए हैं। जम्मू कश्मीर में पहले केंद्र सरकार ने रमजान के माह में सुरक्षाबलों को कोई भी ऑपरेशन लॉन्च न करने का निर्देश दिया गया है।
अमेरिका युद्धविराम का करता है स्वागत
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान और भारत के बीच संबंधों का सामान्य होना दोनों देशों और क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। नोर्ट ने कहा कि भारत और पाकिस्तान की सेनाओं द्वारा एलओसी पर पर युद्धविराम साल 2003 में हुए समझौते को पूरी तरह लागू करने संबंधी खबरों का अमेरिका स्वागत करता है। हालांकि युद्धविराम समझौते के कुछ ही देर बाद पुलवामा जिले में सुरक्षाबलों की एक पार्टी पर आतंकियों ने ग्रेनेड से हमला किया। पाकिस्तान की ओर से एलओसी और बॉर्डर पर अब तक 1100 बार युद्धविराम तोड़ा जा चुका है। साल 1949 में भारत और पाकिस्तान की ओर से कराची समझौता हुआ और दोनों देशों में सीजफायर पर नजर रखने के लिए यूनाइटेड नेशंस के प्रतिनिधियों को नियुक्त किया गया। इसके बाद कारगिल युद्ध के चार वर्ष बाद यानी साल 2003 में दोनों देशों ने फिर से युद्धविराम समझौते पर साइन किए जिसे साल 2008 तक माना गया। साल 2011 में बड़े पैमाने पर युद्धविराम को तोड़ने की शुरुआत पाकिस्तान की तरफ से हो गई।