रूस से तेल आयात बढ़ाने पर अमेरिका ने भारत को दी चेतावनी, इस 'बड़े जोखिम' की ओर किया इशारा
वाशिंगटन, 31 मार्च: भारत रूस से ज्यादा मात्रा में कच्चा तेल का आयात करे, अमेरिका को यह बात खटकने लगी है। जो बाइडेन प्रशासन का कहना है कि भारत पहले की तरह रूस से तेल खरीद सकता है, लेकिन अगर उसने इसमें इजाफा किया तो उसे 'बड़े जोखिम' का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। बड़ी बात है कि रूस भारत को सस्ती कीमत पर तेल देने के लिए तैयार है और भारत के लिए यह बहुत ही अनुकूल स्थिति है। लेकिन, अमेरिका ने रूस से खरीदे जाने वाले तेल के बिल की लंबाई देखकर ऐसे समय में यह चेतावनी दी है, जब रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत पहुंच रहे हैं।
तेल आयात बढ़ाने पर अमेरिका ने भारत को दी चेतावनी
एक तरफ रूस भारत को कम कीमत पर कच्चा तेल देने का ऑफर दे रहा है तो दूसरी तरफ अमेरिका ने भारत को चेतावनी देना शुरू कर दिया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के भारत दौरे से ठीक पहले अमेरिका ने कहा है कि भारत को रूस से तेल आयात नहीं बढ़ाना चाहिए, क्योंकि इसमें 'बड़ा जोखिम' है। हालांकि, वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस जोखिम की बात कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका शायद रूसी से तेल खरीदे जाने पर पाबंदी लगाने की सोच रहा है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका को पिछले वर्षों की तरह भारत के रूस से कम कीमत पर तेल खरीदने को लेकर आपत्ति नहीं है, लेकिन इसकी आयात में ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं होनी चाहिए।
'तो वे खुद को बहुत बड़े जोखिम में डाल रहे हैं...'
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा है, 'हम क्रेमलिन पर यूक्रेन के खिलाफ उसके पसंद के विनाशकारी जंग को जितनी जल्द हो सके, खत्म करने के लिए दबाव बनाने को लेकर कड़े प्रतिबंधों समेत एक मजबूत सामूहिक कार्रवाई के महत्त्व पर भारत और दुनिया भर में अपने साझीदारों को शामिल करना जारी रखना चाहते हैं।' रॉयटर्स के मुताबिक रुपया-रूबल भुगतान योजना के जरिए मौजूदा प्रतिबंधों से बचने की कोशिश अमेरिका की चिंता का विषय नहीं है। रॉयटर्स ने एक सूत्र को कोट करते हुए कहा है, 'वे जो भी भुगतान कर रहे हैं, या जो कुछ भी कर रहे हैं, वह पाबंदियों को ध्यान में रखकर होना चाहिए। अगर नहीं तो वे खुद को बहुत बड़े जोखिम में डाल रहे हैं.....जबतक वह प्रतिबंधों का पालन करते हैं और खरीद को बहुत ज्यादा नहीं बढ़ाते हैं, हमें कोई दिक्कत नहीं है।'
रूस से भारत के कारोबारी रिश्ते से परेशान हैं अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया
उधर ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक क्वाड के भारत के दो सहयोगी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया, कहीं न कहीं रूस से भारत के कारोबारी रिश्ते को लेकर परेशान हैं। अमेरिकी वाणिज्य मंत्री गीना रैमोंडो ने कहा है, 'अब इतिहास के सही तरफ खड़े होने का समय है और अमेरिका और दर्जनों दूसरे देशों के साथ, आजादी के लिए, लोकतंत्र के लिए और संप्रभुता के लिए यूक्रेन के लोगों के साथ खड़े होने का समय है और राष्ट्रपति पुतिन के युद्ध को फंडिंग करने और हौसला बढ़ाने और सहयोग करने का नही।' उधर ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री डैन तेहान ने कहा है कि लोकतांत्रिक देशों को 'नियम-आधारित दृष्टिकोण अपनाने के लिए' मिलकर काम करना चाहिए।
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तो इस वजह से परेशान हुआ अमेरिका ?
24 फरवरी को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जब से यूक्रेन में स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन के नाम पर जंग की शुरुआत की है, उसके खिलाफ अमेरिका और उसके सहयोगियों ने प्रतिबंधों की लाइन लगाई दी और वह अब दुनिया का सबसे ज्यादा प्रतिबंधित देश बन चुका है। इन प्रतिबंधों का मकसद रूस की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ना है और अमेरिका जिस तरह से भारत पर दबाव बनाना चाहता है, उसके पीछे भी मकसद यही है, क्योंकि भारत न सिर्फ विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है, बल्कि 24 फरवरी से अबतक रूस से 1.3 करोड़ बैरल तेल खरीद चुका है। जबकि, 2021 में पूरे साल भर में यह आंकड़ा 1.6 करोड़ बैरल ही था। शायद अमेरिका को इसी बात की मिर्ची लग गई है।(तेल वाली तस्वीरें-सांकेतिक)