क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन की दूसरी बहस में क्या रहा ख़ास

अमरीकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों की दूसरी बहस, पहली बहस की तुलना में कैसे अलग रही? जानए इस रिपोर्ट में.

By एंथनी ज़र्चर
Google Oneindia News
Promo image showing Joe Biden and Donald Trump
BBC
Promo image showing Joe Biden and Donald Trump

अमरीका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों की दूसरी बहस पर 'म्यूट बटन' का या कम से कम उसके डर का थोड़ा असर दिखा. दूसरी बहस में डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन, दोनों ही काफ़ी संयमित दिखे.

दोनों उम्मीदवारों ने इस बार एक दूसरे को बोलने की इजाज़त दी. दोनों ही एक दूसरे के प्रति सम्मानजनक स्वर में बात करते दिखे. यहाँ तक कि जब दोनों एक दूसरे पर आक्रामक हुए, तो उन्होंने काफ़ी संयम और समझदारी से अपनी बातों को रखा.

दोनों नेताओं की पहली बहस शोरग़ुल और एक दूसरे को ना बोलने देने की वजह से चर्चा में रही थी. लेकिन चुनावी सर्वेक्षणों से मालूम पड़ा कि डोनाल्ड ट्रंप को बहस के उस तरीक़े से कोई फ़ायदा नहीं हुआ, शायद इसीलिए उन्होंने इस बहस में अपनी आवाज़ ऊंची नहीं की जिसकी वजह से वे एक ज़्यादा प्रभावशाली वक्ता दिखे.

इसमें कोई संदेह नहीं कि जो अमरीकी नागरिक डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन की दूसरी बहस को याद रखेंगे, उनकी याद्दाश्त में इस बहस की सामग्री होगी - बहस करने का कोई अराजक तरीक़ा नहीं.

रिपब्लिकन पार्टी डोनाल्ड ट्रंप के प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन की उम्र और उनकी समझदारी पर सवाल उठाती रही है. दूसरी बहस में भी इस सवाल को उठाया गया.

पर कुल मिलाकर देखें, तो पहली बहस उस तरह की थी जिसे इतिहास की किताबों में याद रखा जाता है. जानकारों की राय है कि अमरीकी नागरिक अब अपना मन बना चुके हैं और साढ़े चार करोड़ से ज़्यादा अमरीकी वोटर मतदान कर चुके हैं, इसलिए वोटिंग पैटर्न पर दूसरी बहस का बहुत बड़ा प्रभाव शायद ही देखने को मिले.

Reuters
Reuters
Reuters

केंद्र में कोविड का मुद्दा

ट्रंप का चुनाव अभियान देख रही टीम की शिक़ायत है कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों की बहस विदेश नीति पर केंद्रित होनी चाहिए - शायद इस वजह से कि डोनाल्ड ट्रंप बहस के दौरान मध्य-पूर्व, वैश्विक व्यापार और सीरिया के मुद्दे पर अपने पक्ष में बड़ी बातें कर सकें. साथ ही जो बाइडन के बेटे के चीन के साथ व्यापारिक संबंधों पर ज़ोर डालकर बात कर सकें.

लेकिन पिछली बहस की तरह, इस बार भी कोरोना वायरस महामारी का मुद्दा सबसे ज़्यादा छाया रहा. चुनावी सर्वेक्षणों के अनुसार, अमरीकी जनता के लिए कोविड-19 का मुद्दा इस वक़्त सबसे महत्वपूर्ण भी है और लोग इस विषय पर दोनों पार्टियों के विचार सुनना चाहते हैं.

इस बहस के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने फिर कहा कि 'कोरोना की प्रभावी वैक्सीन कुछ ही हफ़्तों में आने वाली है.'

उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए यह भी कहा कि 'जो दवा कोविड-19 के मरीज़ों के इलाज के लिए इस्तेमाल हो रही है और वो काफ़ी प्रभावशाली है.' उन्होंने कहा कि 'उसी दवा के दम पर उन्हें कोरोना वायरस से इम्यूनिटी मिली है.'

Reuters
Reuters
Reuters

इस मुद्दे को लेकर जो बाइडन काफ़ी आक्रामक दिखे. उन्होंने ट्रंप के पुराने बयानों का मज़ाक बनाया. उन्होंने कहा कि 'ट्रंप तो कहते थे कि यह महामारी कुछ वक़्त में अपने आप ख़त्म हो जायेगी.'

उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन के ग़लत रवैये के कारण अब तक दो लाख बीस हज़ार अमरीकी कोविड-19 से मर चुके हैं और इस साल के अंत तक दो लाख और अमरीकी इसका शिकार बन सकते हैं.

बहस के दौरान ट्रंप ने सभी देशवासियों से हिम्मत रखने को कहा और इस बात पर ज़ोर दिया कि 'चीज़ें धीरे-धीरे बेहतर हो रही हैं. व्यापार फिर से शुरू हो रहे हैं, स्कूल खुल रहे हैं.' और जैसे ही डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि 'लोग इस महामारी के साथ जीना सीख रहे हैं', तो बाइडन ने उन पर हमला किया.

बाइडन ने कहा, "लोग इसके साथ जीना सीख रहे हैं! वाक़ई? या लोग इसके साथ मरना सीख रहे हैं."

पहली बहस की तरह, इस बार भी डोनाल्ड ट्रंप इस मुद्दे से बचते हुए दिखाई दिये.

Reuters
Reuters
Reuters

बाइडन के बेटे को लेकर बहस

डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही यह जता दिया था कि बाइडन के बेटे हंटर बहस का मुद्दा बनेंगे और बहस की शुरुआत में ही उन्होंने पूर्व उप-राष्ट्रपति जो बाइडन के परिवार पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि बाइडन अपने बेटे के व्यापार का फ़ायदा उठा रहे हैं जो यूक्रेन और चीन तक फैला हुआ है. इस आरोप के लिए उन्होंने उन ख़बरों का सहारा लिया जो उन सूचनाओं पर आधारित थीं जिन्हें कथित तौर पर हंटर बाइडन के लैपटॉप से लिया गया था.

जो बाइडन ने अपने बचाव में इस आरोप को सिरे से ख़ारिज किया और डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैक्स की कथित चोरी और चीन से उनके व्यापारिक संबंधों पर निशाना साधा जिसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप को सफाई देनी पड़ी कि उन्होंने दरअसल लाखों अमरीकी डॉलर टैक्स में 'पहले ही अदा कर दिये थे' और वो किसी दिन अपने टैक्स रिटर्न के दस्तावेज़ जारी करेंगे.

ये बहस किसी नतीजे तक नहीं पहुँची, पर इस मुद्दे ने एक सामान्य अमरीकी मतदाता को भ्रमित किया होगा.

ट्रंप यह मानकर चल रहे होंगे कि जो बाइडन के परिवार पर हमला करने से उन्हें चुनावी दौड़ में बढ़त मिलेगी, पर उनकी यह मंशा पूरी नहीं हो पाई.

Reuters
Reuters
Reuters

प्रवासियों के मुद्दे पर बहस

चार साल पहले, प्रवासियों को मुद्दा बनाकर डोनाल्ड ट्रंप ने ना सिर्फ़ रिपब्लिकन उम्मीदवार को पछाड़ा, बल्कि व्हाइट हाउस तक पहुँचने में भी वो कामयाब रहे. पर जब यह मुद्दा इस बहस में उठा तो उन्होंने अपने कार्यकाल में लिये गए कुछ निर्णयों को हल्का करके पेश किया.

जब उनसे ट्रंप प्रशासन में बनी उस नीति के बारे में सवाल किया गया जिसकी वजह से बिना दस्तावेज़ वाले प्रवासियों को अपने बच्चों से अलग होना पड़ा, तो ट्रंप ने इस मुद्दे को शरणार्थी शिविरों, जिन्हें वो 'पिंजरा' कहते आये हैं, की तरफ मोड़ दिया जो बराक ओबामा के दौर में उन प्रवासी बच्चों के लिए बनाये गए थे जिनके साथ कोई अभिभावक नहीं होता था.

जो बाइडन ने इसके जवाब में कहा कि जिन बच्चों को ट्रंप नज़रबंद कर रहे हैं, वो अपने माता-पिता के साथ अमरीका पहुँचे थे और इस नीति ने दुनिया की नज़रों में अमरीकी को हंसी का पात्र बना दिया. आज भी कई अमरीकी मतदाताओं के ज़ेहन में अपने माता-पिता से अलग हुए उन बच्चों के रोने की आवाज़ ताज़ा है.

ट्रंप ने इसका जवाब दिया कि उन बच्चों का 'बहुत ध्यान रखा गया' और उनके रहने की जगह 'बहुत साफ़ सुथरी' थी. मगर ट्रंप के इस जवाब कोई ख़ास असर हुआ होगा, ऐसा लगता नहीं.

Reuters
Reuters
Reuters

आपराधिक न्याय का मुद्दा

पहली बहस में राष्ट्रपति ट्रंप ने ख़ुद को अपने रवैये की वजह से परेशानी में डाल दिया था क्योंकि वे यह तय नहीं कर पाये थे कि उन्हें गोरे वर्चस्ववादी समूहों की सीधे तौर पर निंदा करनी है या नहीं. लेकिन इस बार वे अपने जवाबों को लेकर ज़्यादा फुर्तीले रहे.

उन्होंने गिनवाया कि उनकी पार्टी ने काले लोगों के लिए क्या-क्या किया है. साथ ही उन्होंने जो बाइडन पर यह कहते हुए हमला किया कि उन्होंने और उनकी पार्टी ने 1990 के दशक में एक बर्बर आपराधिक बिल को बढ़ावा दिया था जिसकी वजह से जेलों में काले लोगों की संख्या में इतनी तेज़ी से वृद्धि हुई.

इस मुद्दे पर जब जो बाइडन ने अपनी ओर से कुछ दलील पेश करनी चाही और बदलाव लाने की बात की, तो ट्रंप ने उन पर यह कहते हुए हमला किया कि 'जब वे अमरीका के उप-राष्ट्रपति रहे और उन्होंने बराक ओबामा के साथ काम किया, तब क्यों उन्होंने कुछ नहीं बदला.'

ट्रंप ने कहा, "आपको आठ वर्ष मिले तो थे, आपने तब कुछ बदलाव क्यों नहीं किया."

जो अमरीकी लोग 1990 के दशक में बने कठोर क़ानूनों से प्रभावित हुए हैं, उन्हें इस बहस ने ज़रूर चौंकाया होगा.

नस्लभेद और रंगभेद के मुद्दे को लेकर इस साल अमरीका में हुए प्रदर्शनों ने वाक़ई इस चुनाव में संस्थागत नस्लवाद के ख़िलाफ़ एक माहौल बनाया है. इसी वजह से इस मुद्दे को बहस में इतनी जगह मिल रही है.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Us presedential elections 2020: What was special about Donald Trump and Joe Biden's second debate
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X