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विज्ञान की दुनिया में महाक्रांति, इंसान के शरीर में लगाया गया सुअर का दिल, यूएस डॉक्टर्स का कमाल

जिस मरीज का सफल ऑपरेशन किया गया है, उसका नाम डेविड बेनेट है और उसकी उम्र 57 साल है और उनके बचने की सारी संभावनाएं खत्म हो गईं थीं।

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वॉशिंगटन, जनवरी 11: कोरोना काल में अमेरिकी डॉक्टर्स ने मेडिकल जगत में ऐतिहासिक क्रांति कर दी है और सुअर का दिल इंसान के शरीर में प्रत्यारोपित करने में कामयाबी हासिल कर ली है। अमेरिकी डॉक्टर्स ने सुअर के हृदय को इंसान में प्रत्यारोपित कर दिया है और विज्ञान जगत के लिए ये एक ऐतिहासिक कामयाबी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस तकनीक के जरिए अब लाखों मरीजों की जान बचाई जा सकती है। (तस्वीर सौजन्य- Maryland School of Medicine)

सुअर का दिल प्रत्यारोपित

सुअर का दिल प्रत्यारोपित

अमेरिकी डॉक्टर्स ने एक मरीज की जान बचाने की आखिरी कोशिश करते हुए सुअर का दिल इंसान के शरीर में ट्रांसप्लांट किया है। ये मेडिकल क्रांति अमेरिका के मैरीलेंड अस्पताल में हुआ है और अस्पताल की तरफ से बयान जारी करते हुए कहा गया है कि, सर्जरी के जरिए मरीज के ऊपर ये प्रयोग तीन दिन पहले किया गया है और मरीज पूरी तरह से ठीक है। हालांकि, फिलहाल ये कहना जल्दबाजी होगा कि, ऑपरेशन वास्तव में कितने दिनों तक कामयाब रहेगा और इंसान के शरीर में सुअर का हृदय कितने दिनों तक धड़केगा, लेकिन पिछले तीन दिनों से मरीज का जिंदा रहना एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

मानव शरीर में जानवरों का हृदय

मानव शरीर में जानवरों का हृदय

अमेरिकी डॉक्टर्स का कहना है कि, ये ऑपरेशन 'जीवन रक्षक' ऑपरेशन है और पिछले कई सालों के रिसर्च के बाद ये कदम हासिल किया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर के डॉक्टरों का कहना है कि, प्रत्यारोपण से पता चला है कि आनुवंशिक रूप से संशोधित जानवर का दिल तत्काल अस्वीकृति के बिना मानव शरीर में कार्य कर सकता है। अगर ये मरीज जिंदा रह जाता है और जैसा अभी लग रहा है, कि मरीज पूरी तरह से ठीक है, तो डॉक्टरों का कहना है कि, आने वाले दिनों में अंग दान की समस्या से बहुत बड़ी राहत मिल सकती है और लोगों के पैसे भी बहुत बचेंगे। यानि, कोई गरीब मरीज भी इस तरह का इलाज करवा सकता है।

57 साल का है मरीज

57 साल का है मरीज

जिस मरीज का सफल ऑपरेशन किया गया है, उसका नाम डेविड बेनेट है और उसकी उम्र 57 साल है। मरीज डेविड के बेटे ने एसोसिएट प्रेस से कहा कि, उसे नहीं पता कि, उसके पिता के ऊपर जो प्रयोग किया गया है, वो कितने दिनों तक कामयाब रहेगा, लेकिन वो ये जानता है, कि अगर ये प्रयोग नहीं किया जाता, तो उसके पिता मर चुके होते। मरीज के बेटे ने कहा कि, उनके पिता का शरीर मानव अंग प्रत्यारोपण के लिए अयोग्य हो गया था और उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था। मरीज के बेटे ने कहा कि, 'उसके पिता ने कहा था कि, या तो उन्हें मर जाने दो, या फिर ट्रांसप्लांट कराओ'। उन्होंने कहा कि, 'मुझे पता है कि, ये अंधेरे में चलाया गया तीर है लेकिन यही एक विकल्प है'।

अंग दान की समस्या से राहत?

अंग दान की समस्या से राहत?

पूरी दुनिया में प्रत्यारोपण के लिए दान दिए गये मानव अंगों की भारी कमी है और वैज्ञानिक पिछले कई दशक से ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं, कि क्या इंसानों के शरीर में जानवर के अंग लगाए जा सकते हैं और इंसानों के शरीर में जानवरों के अंगों का प्रयोग किस तरह से किया जा सकता है। यूनाइटेड नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग के अनुसार, पिछले साल, यू.एस. में सिर्फ 3,800 से अधिक हार्ट ट्रांसप्लांट हुए हैं, जो एक रिकॉर्ड संख्या है। विश्वविद्यालय के पशु-से-मानव प्रत्यारोपण कार्यक्रम के वैज्ञानिक निदेशक डॉ मुहम्मद मोहिउद्दीन ने कहा कि, "यदि यह काम करता है, तो पीड़ित मरीजों के लिए इन अंगों की अंतहीन आपूर्ति होगी।"

पहले नाकामयाब रहे हैं प्रयोग

पहले नाकामयाब रहे हैं प्रयोग

इससे पहले भी कई बार इंसानी शरीर में पशुओं के अंग को ट्रांसप्लांट करने का प्रयोग किया गया है, लेकिन हर बार ये नाकामयाब साबित हुआ है। इस तरह के ट्रांसप्लांट या फिर ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन की कोशिशें विफल रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि, पहले जो प्रयोग किए गये हैं, उनमें देखा गया है कि, इंसानी शरीर पशुओं के अंग के साथ काम नहीं कर पाते हैं और पशुओं ने अंग इंसानी शरीर में ट्रांसफ्लांट नाकामयाब साबित रहा है। आपको बता दें कि, इससे पहले साल 1984 में एक बच्चे के दिल को बबून के दिल के साथ बदला गया था और वो बच्चा सबसे ज्यादा 21 दिनों तक जिंदा रहा था।

इस बार कैसे किया गया हार्ट ट्रांसप्लांट

इस बार कैसे किया गया हार्ट ट्रांसप्लांट

रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार मैलीलैंड अस्पताल के सर्जनों ने एक सुअर के हार्ट का इस्तेमाल किया है, लेकिन उस हार्ट से जीन-एटिडिंट को हटा दिया गया था, ताकि सुअर के हार्ट का वो हिस्सा, जो हाइपर फास्ट अंग रिजेक्शन के लिए जिम्मेदार है, वो ही ना रहे। सर्जन डॉ. डेविड क्लासेन ने कहा कि, "मुझे लगता है कि आप इसे वाटरशेड घटना के रूप में चिह्नित कर सकते हैं"। यूएनओएस के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ डेविड क्लासेन ने मैरीलैंड प्रत्यारोपण के बारे आगाह करते हुए कहा कि, ''यह पता लगाने में केवल एक पहला अस्थायी कदम है कि क्या ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन अंततः काम कर सकता है।''

कैसी है मरीज की स्थिति?

कैसी है मरीज की स्थिति?

मैरीलैंड के रहने वाले मरीज बेनेट पिछले कई महीनों से हार्ट-लंग बाइपास मशीन पर लेटे हुए हैं और ऑपरेशन कामयाब होने के बाद उन्होंने कहा कि, 'मैं काफी उत्सुक हूं कि जल्द अस्पताल से बाहर निकलूं'। वहीं, सर्जन डॉ. बार्टले ग्रिफिथ ने हार्ट ट्रांसप्लांटेशन को लेकर कहा कि, ''ये सर्जरी अभी तक कामयाब रही है और अगर ये आगे भी कामयाब रहती है तो फिर हम आने वाले वक्त में अंगों की कमी की समस्या को खत्म कर सकते हैं''। आपको बता दें कि, आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में अभी कम से कम एक लाख 10 हजार मरीज अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे हैं और अंग नहीं मिलने से कम से कम 6 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है और अब ऐसे मरीजों के लिए आशा की बहुत बड़ी किरण दिखाई दे रही है।

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English summary
American surgeons have successfully transplanted a pig's heart into a human body for the first time, which is a great revolution for the medical world.
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