भारत को मनाने अमेरिका भेज रहा भारतीय मूल का अधिकारी, रूसी विदेश मंत्री के भारत दौरे से बेचैनी क्यों?
दलीप सिंह, अमेरिका के डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइवर हैं, और भारतीय मूल के शीर्ष अमेरिकी अधिकारी हैं। व्हाइट हाउस ने दलीप सिंह के भारत दौरे की अचानक घोषणा की गई है...
नई दिल्ली/वॉशिंगटन, मार्च 30: भारतीय मूल के शीर्ष अमेरिकी अधिकारी और रूस के खिलाफ लगाए गये आर्थिक प्रतिबंधों की रूपरेखा तैयार करने वाले दलीप सिंह आज भारत दौरे पर आ रहे हैं और दलीप सिंह का भारत दौरा अचानक हो रहा है। दलीप सिंह 30 और 31 मार्च को भारत में रहेंगे और यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर भारत के साथ कई महत्वपूर्ण बातचीत करेंगे। सबसे खास बात ये है, कि दलीप सिंह ने भी रूस पर प्रतिबंध लगाने में मुख्य भूमिका निभाई है, लेकिन भारत ने रूस को लेकर जो नया स्टैंड लिया है, उसने अमेरिका को बेचैन कर दिया है।
भारत दौरे पर दलीप सिंह
दलीप सिंह, अमेरिका के डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइवर हैं, और भारतीय मूल के शीर्ष अमेरिकी अधिकारी हैं। व्हाइट हाउस ने दलीप सिंह के भारत दौरे की अचानक घोषणा की है और दलीप सिंह उस वक्त भारत के दौरे पर आ रहे हैं, जब रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का भी भारत दौरा प्रस्तावित है। रिपोर्ट के मुताबिक, इसी हफ्ते गुरुवार शाम या फिर शुक्रवार सुबह रूसी विदेश मंत्री भारत के दौरे पर आएंगे। व्हाइट हाउस ने मंगलवार को कहा कि, अमेरिका के इंटरनेशनल इकॉनॉमी के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह 30 और 31 मार्च को नई दिल्ली में होंगे। व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एमिली हॉर्न ने कहा कि, 'दलीप सिंह यूक्रेन के खिलाफ रूस के 'अनुचित युद्ध' के परिणामों और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए अपने समकक्षों के साथ मिलकर चर्चा करेंगे।" हॉर्न ने कहा कि, शीर्ष अधिकारी बाइडेन प्रशासन की प्राथमिकताओं पर भी चर्चा करेंगे, जिसमें बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना और एक इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क का विकास शामिल है।
भारत के साथ क्या बात करेंगे दलीप सिंह?
नई दिल्ली के दौरे पर दलीप सिंह भारत के साथ अमेरिकी प्रशासन के चल रहे बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे और अमेरिका-भारत आर्थिक संबंधों और रणनीतिक साझेदारी में कई मुद्दों को आगे बढ़ाएंगे। व्हाइट हाउस ने कहा कि, 'वह समावेशी आर्थिक विकास और समृद्धि और एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत को बढ़ावा देने के लिए सहयोग को गहरा करने के लिए भारतीय अधिकारियों से मिलेंगे।' दलीप सिंह की यात्रा के दौरान अगले महीने वाशिंगटन में होने वाली आगामी '2+2' विदेश और रक्षा मंत्री स्तरीय वार्ता की तैयारियों पर भी विचार किए जाने की संभावना है। यह वार्ता 11 अप्रैल के आसपास होने की संभावना है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन के साथ बातचीत करने के लिए वाशिंगटन जाएंगे। अमेरिकी अधिकारी की भारत यात्रा का मुख्य केंद्र यूक्रेन संकट हो सकता है, इस घटनाक्रम से परिचित लोगों ने मंगलवार को नई दिल्ली में कहा।
कौन हैं दलीप सिंह?
दलीप सिंह भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं, जो राष्ट्रपति जो बाइडेन के आर्थिक सलाहकार हैं और रूस के खिलाफ अमेरिका किन तरह के प्रतिबंध लगाए और किस तरह की दंडात्मक कार्रवाई करे, उस टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। 46 वर्षीय दलीप सिंह अमेरिकी कांग्रेस के लिए चुने गए पहले एशियाई-अमेरिकी दलीप सिंह सौंड के परपोते हैं। उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड केनेडी स्कूल से अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र में मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में डिग्री हासिल की है और इस वक्त अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों की टीम की प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्हें खास तौर पर प्रतिबंधों की रूपरेखा तैयार करने के लिए ही व्हाइट हाउस बुलाया गया था।
स्पेशल डिमांड पर आए व्हाइट हाउस
दलीप सिंह, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के करीबी माने जाते हैं और इस वक्त अमेरिका के इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स के डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर होने के साथ साथ अमेरिका के नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल के डायरेक्टर भी हैं। रूस के खिलाफ जब प्रतिबंध लगाने की बारी आई, तो दलीप सिंह को ही व्हाइट हाउस बुलाया गया था और उसके बाद से लगातार व्हाइट हाउस में एक्टिव हैं। जब दलीप सिंह को व्हाइट हाउस बुलाया गया था, उस वक्त व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दलीप सिंह को लेकर कहा कि, ''दलीप सिंह की काफी ज्यादा डिमांड थी, इसीलिए उन्हें बुलाया गया है और वो बाइडेन प्रशासन की रूस नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं''।
रूस को प्रतिबंधों के जाल में जकड़ा
व्हाइट हाउस पहुंचने के बाद ही दलीप सिंह रूस को लेकर काफी आक्रामक तेवर दिखाने शुरू कर दिए और अपने शुरूआती संबोधन में ही उन्होंने जाहिर कर दिया था, कि रूस को लेकर अमेरिका की नीति कितनी सख्त होने वाली है। व्हाइट हाउस में अपने पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस के वक्त दलीप सिंह ने अपने शुरूआती संबोधन में कहा था कि, ''यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रमण शुरू हो गये हैं, इसीलिए हमारी प्रतिक्रिया भी तेज हो गई है''। उन्होंने आगे कहा कि, ''हमारी स्पीड और हमारा कॉर्डिनेशन ऐतिहासिक है और हमने रातों रात जर्मनी का रूस के साथ काफी महत्वपूर्ण नॉर्ड स्ट्रीम-2 प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का काम भी बंद करवा दिया है''। व्हाइट हाउस में दलीप सिंह ने जो रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की जो लिस्ट तैयार की है, उससे रूसी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान होने की संभावना है और दलीप सिंह ने चेतावनी देते हुए कहा है कि, ये कार्रवाई सिर्फ पहली किश्त है और अगर रूस फौरन अपने कदम नहीं पीछे नहीं खींचता है, तो हम ऐसे ऐसे प्रतिबंध लगा सकते हैं।
दलीप सिंह के भारत दौरे का मतलब?
अमेरिकी चेतावनियों के बावजूद भारत ने रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदना शुरू कर दिया है, वहीं भारत ने रूस से कोयले की आयात भी दोगुनी कर दी है, जिससे रूस की बदहाल होती अर्थव्यवस्था को ऑक्सीजन मिल रही है, ऐसे में अमेरिकी प्रतिबंध को झेलने की कुछ ताकत रूस में आती दिख रही है। इसके साथ ही, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के भारत दौरे के दौरान भारत और रूस के बीच 'रुपया-रूबल' ट्रेड की भी शुरूआत हो सकती है। वहीं, चीन और सऊदी अरब पहले से ही अपनी अपनी करेंसी में व्यापार शुरू करने पर बात कर रहे हैं, जिससे डॉलर पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका तेज हो गई है। लिहाजा, अमेरिका नहीं चाहेगा, कि भारत और रूस के बीच 'रुपया-रूबल' समझौता है और माना जा रहा है, कि भारतीय मूल के अमेरिकी अधिकारी इसी बात को लेकर भारत से बात करेंगे।
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