CAA: अमेरिकी थिंक टैंक ने कहा, कानून से भारत में बसे मुसलमानों पर पड़ेगा असर
वॉशिंगटन। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 2019 और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस यानी एनआरसी, भारत में बसे करीब 20 करोड़ मुसलमानों की स्थिति को प्रभावित कर सकता है, यह मानना है कि अमेरिका के एक थिंक टैंक का। थिंकटैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि पहली बार है जब आजाद भारत के इतिहास में एक धार्मिक घेराबंदी करने की कोशिश की जा रही है और पहली बार धर्म को पैमाना माना गया है।
18 दिसंबर को आई है रिपोर्ट
अमेरिकी थिंक टैंक, कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस), अमेरिकी कांग्रेस की एक रिसर्च यूनिट है। यह थिंक टैंक घरेलू और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर समय-समय पर रिपोर्ट तैयार करता है ताकि कांग्रेस उनसे जुड़े फैसले ले सकें। हालंकि, इन्हें अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं माना जाता है। संशोधित नागरिकता कानून पर सीएसआर की यह पहली रिपोर्ट है जो कि 18 दिसंबर को आई है। रिपोर्ट में कहा गया है, ' सरकार की एनआरसी की योजना को सीएए के साथ लाने से भारत के लगभग 20 करोड़ मुस्लिम अल्पसंख्यकों का दर्जा प्रभावित हो सकता है।' सीएए कानून के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से बचकर 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। सीआरएस ने दो पेजों वाली अपनी रिपोर्ट में कहा, 'भारत का नागरिकता कानून 1955 अवैध प्रवासियों के नागरिक बनने को प्रतिबंधित करता है। तब से इस कानून में कई संशोधन किए गए लेकिन उनमें से किसी में भी धार्मिक पहलू नहीं था।'
भारत के संविधान का उल्लंघन
सीआरएस का दावा है कि संशोधन के मुख्य प्रावधान जैसे कि तीन देशों के मुस्लिमों को छोड़कर छह धर्मों के प्रवासियों को नागरिकता की अनुमति देना भारत के संविधान के कुछ अनुच्छेद, खासकर अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन कर सकता है। इसमें कहा गया, 'कानून के समर्थकों का तर्क है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान में मुस्लिमों को उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ता है और सीएए संवैधानिक है क्योंकि यह भारतीय नागरिकों से नहीं प्रवासियों से संबंधित है। हालांकि यह साफ नहीं है कि अन्य पड़ोसी देशों के प्रवासियों को इससे बाहर क्यों रखा गया है। इसके अलावा पाकिस्तान के अहमदिया और शिया जैसे मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों को सीएए के तहत कोई संरक्षण प्राप्त नहीं है।'