अमेरिका में हिंदुस्तान को बदनाम करने वाला बिल औंधे मुंह गिरा, एंटी इंडिया ताकतों के मुंह पर तमाचा
शिकागो सिटी काउंसिल में भारत को बदनाम करने के उद्येश्य से लाया गया प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है। इस बिल में पीएम मोदी और बीजेपी सरकार के खिलाफ कई झूठे आरोप लगाए गये थे।
शिकागो: अमेरिका के शिकागो से स्वामी विवेकानंद ने दुनिया को भारतीय संस्कृति की पाठ पढ़ाई थी लेकिन उसी शिकागो में भारत को बदनाम करने की साजिश रची जा रही थी। लेकिन, एंटी इंडिया ताकतों के मुंह तक जोरदार तमाचा पड़ा है। शिकागो सिटी काउंसिल ने 'भारत को बदनाम' करने की नियत से लाए गये रिजॉल्यूशन को खारिज कर दिया है। इस रिजॉल्यूशन में 'भारत में कई कास्ट और अल्पसंख्यकों पर हिंसा' की बात कही गई थी। जिसे खारिज कर दिया गया है।
आंतरिक मामलों में दखल
यूएस इंडिया फ्रांइडशिप काउंसिल के मुताबिक ये रिजॉल्यूशन भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने वाला था, जिसमें कई गलत तथ्यों के आधार पर भारत के खिलाफ कई बातें थीं। इस प्रस्ताव को शिकागो सिटी काउंसिल के सामने जुलाई 2020 में लाया गया था। इस प्रस्ताव का मकसद भारत को बदनाम करता था और इसे इस तरह से तैयार किया था जिससे भारत के खिलाफ लोगों के मन में गलत धारणा बनती। इस प्रस्ताव को इस तरीके से पेश किया था, ताकि इसे बिना किसी डिस्कसन या बिना किसी बहस के पास किया जा सके, लेकिन इस बिल को खारिज कर एंटी इंडिया ताकतों को जबरदस्त झटका दिया गया है।
मोदी और बीजेपी सरकार पर निशाना
इस प्रस्तावित ड्राफ्ट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी की सरकार को हिंदू कट्टरपंथी के तौर पर दिखाया गया था। इस बिल के तहत भारत सरकार द्वारा संसद में पास किए गये सीएए कानून को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक बताया गया था। शिकागो सिटी काउंसिल के सामने लाए गये इस बिल में भारत के वरिष्ठ नेताओं और चुने गये प्रतिनिधियों के खिलाफ असंवैधानिक शब्दों का इस्तेमाल किया गया था। इस प्रस्तावित बिल में भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने का जिक्र किया गया था साथ ही गलत सबूतों के आधार पर ये साबित करने की कोशिश की गई थी कि भारत सरकार जम्मू-कश्मीर में लोगों को निशाना बना रही है, प्रदर्शनकारियों पर हमला कर रही है और कहा गया था कि भारत सरकार के कहने पर जम्मू-कश्मीर में हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
सिटी काउंसिल में गिरा प्रस्ताव
शिकागो सिटी काउंसिल में इस प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान 26 सदस्यों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट डाला वहीं 18 सदस्यों ने इस बिल के पक्ष में मतदान किया था। वहीं, 6 सदस्य वोटिंग के दौरान गैरहाजिर रहे थे। वहीं, इस प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान कई सदस्यों ने कहा कि ये प्रस्ताव बेमतलब का है और ये शिकागो-भारतीय कम्यूनिटी के बीच गलत संदेश दे रहा है। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए शिकागो के बिजनेसमैन निरव पटेल ने कहा कि 'यह प्रस्ताव जून 2019 में लाया गया था, जिसमें भारत के खिलाफ भ्रामक और झूठे दावे किए गये थे। इस प्रस्ताव में सीएए, एनआरसी और कश्मीर को लेकर भारत सरकार द्वारा संसद में लिए गये फैसलों को लेकर गलत जानकारियां दी गई थी। ये प्रस्ताव भारत-अमेरिका और अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के संबंध को बुरी तरीके से खराब करने वाला था। हमने इस बिल का विरोध किया है और आठ महीने बाद ये बिल खारिज कर दिया गया है। और काउंसिल में सच्चाई की जीत हुई है'
आतंकी संगठनों द्वारा प्रायोजित था बिल
यूएस इंडिया फ्राइंडशिप काउंसिल के मुताबिक ये बिल सेन्टर ऑफ अमेरिका-इस्लामिक रिलेशन के द्वारा लाया गया था, जिसे संयुक्त अरब अमीरात ने आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। इस संगठन के कई आतंकी संगठनों के साथ संबंध हैं। कई फर्जी और छिपे हुए अमेरिकी संगठनों ने भारत के खिलाफ लाए गये इस प्रस्ताव का समर्थन किया था, जिसका मकसद दुनिया के सामने भारत की गलत और भ्रामक तस्वीर पेश करना था। यूएस इंडिया फ्राइंडशिप काउंसिल के मुताबिक भारत के खिलाफ लाए गये इस प्रस्ताव को पाकिस्तान का भी समर्थन हासिल था।