मंगल पर अद्भुत नजारा, आसपास नीली रोशनी देख वैज्ञानिक भी हैरान, UAE के यान ने ली तस्वीर
नई दिल्ली, 3 जुलाई: क्या अंतरिक्ष में किसी और गृह पर जीवन है? ये सवाल सैकड़ों सालों से ऐसे का ऐसा बना हुआ है। कुछ दशकों पहले एक थ्योरी आई, जिसमें कहा गया कि मंगल ग्रह का वातावरण जीवन के अनुकूल हो सकता है। इसके बाद से सभी देशों का फोकस मंगल पर है। संयुक्त राष्ट्र अमीरात ने भी लाल ग्रह पर एक यान भेजा था, जिसका नाम 'होप' है। उसने अब लाल ग्रह की फोटो ली, जिसमें एक खास तरह की नीली रोशनी नजर आ रही है।
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क्यों नजर आई रोशनी?
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस नीली रोशन को ऑरोर कहा जाता है, जो सूर्य से निकले हुए आवेशित प्रोटोन और न्यूट्रोन के किसी भी ग्रह के मैग्नेटिक फील्ड की अंतरक्रिया की वजह से दिखती है। पृथ्वी से लेकर गुरु ग्रह तक इस चमकीली रोशनी को कई बार देखा गया है। ये ज्यादातर ध्रुवीय इलाकों में सुबह और शाम के वक्त आमतौर पर दिखते रहते है। वैसे होप ने जो तस्वीर ली है, वो काफी खूबसूरत है।
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होप में है कई खासियत
होप प्रोब इस साल फरवरी में ही मंगल की कक्षा में पहुंचा था। जो उसके आसपास ही मंडरा रहा है। इसमें हाई क्वालिटी के कैमरे फिट किए गए हैं, जिनकी क्षमता अभूतपूर्व है। अब ऑरोर की जो तस्वीर होप ने भेजी है, उस पर वैज्ञानिकों की टीम ने काम करना शुरू कर दिया है। इसकी मदद से ही मंगल पर मौजूद खनिज और चुंबकीय क्षेत्रों के बारे में ज्यादा जानकारी मिलेगी।
ज्वालामुखी की भी तस्वीर भेजी
UAE के मुताबिक होप प्रोब ने इससे पहले ओलंपिस मोन्स की तस्वीरें भी ली हैं। ओलंपिस को सौरमंडल का अब तक का ज्ञात सबसे ऊंचा ज्वालामुखी कहा जाता है। इसकी ऊंचाई माउंट एवरेस्ट से भी ढाई गुना ज्यादा है। उसका भी अध्ययन करके वैज्ञानिक मंगल पर वातावरण के बारे में ज्यादा जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में UAE के पीएम ने कहा था कि ये तस्वीरें दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए किसी बड़े अवसर से कम नहीं हैं। साथ ही ये मंगल की सूर्य अंतरक्रिया की पड़ताल करने के अवसर प्रदान करती हैं।
मंगल की सतह पर नासा का मिशन
वहीं दूसरी ओर मंगल की सतह पर नासा का मिशन जारी है। कुछ महीने पहले उसके पर्सवेरेंस मार्स रोवर ने सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी। इसके बाद से वो मंगल के सतह की तस्वीरें भेज रहा है। अब उसका मकसद मंगल ग्रह की एक बड़ी झील का पता लगाना है, जो अरबों सालों पहले वहां पर मौजूद थी। वैज्ञानिकों का मानना है कि पहले लाल ग्रह मौजूदा वक्त की तुलना में ज्यादा गीला था। ऐसे में झील के बारे में पता लगाना ज्यादा जरूरी है।