
दो अमेरिकी राष्ट्रपति, दो मोस्ट वांटेड आतंकियों का खात्मा... क्या थी जवाहिरी को मारने की लादेन टेक्निक?
काबुल, अगस्त 02: अमेरिका ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक ड्रोन हमले में अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी, जो इस वक्त दुनिया का मोस्ट वांटेड आतंकवादी था और ओसामा बिन लादेन के बाद अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 को हुए हमले का मास्टरमाइंड था, अब अमेरिका ने उसे मार दिया है और करीब 21 सालों के बाद अमेरिका का बदला पूरा हो गया है। अफगानिस्तान के पहाड़ों में छिपकर रहने वाले अल-जवाहिरी को लगा था, कि तालिबान राज आने के बाद वो बच जाएगा, लिहाजा वो शहर की तरफ भागकर आ गया था और पुरानी कहावत है, गीदड़ की मौत आती है, तो शहर की तरफ भागता है, जवाहिरी ने भी यही गलती की। वो शहर आ गया, जहां उसे अमेरिकी मिसाइल ने काट डाला।

घर की बालकनी में मारा गया जवाहिरी
एक वरिष्ठ अमेरिकी सीआईए अधिकारी ने कहा कि, जवाहिरी काबुल में एक घर की बालकनी पर था, जब उसे 31 जुलाई को सूर्योदय के एक घंटे बाद दो हेलफायर मिसाइलों से निशाना बनाकर काट डाला और जवाहिरी को मारने के लिए किसी भी अमेरिकी सैनिक को अफगानिस्तान नहीं जाना पड़ा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि, उच्च- सटीक स्ट्राइक में अल-जवाहिरी को मार दिया गया है और अब इंसाफ पूरा हुआ। अल-जवाहिरी के सिर पर अमेरिका ने 25 मिलियन डॉलर का इनाम रखा हुआ था और जब तक अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में थी, अल-जवाहिरी अफगानिस्तान के सुनसान पहाड़ियों के बीच छिपा रहा, लेकिन जब अमेरिकी फौज चली गई और पिछले साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता आ गई, तो शायत जवाहिरी ने सोचा होगा, कि अब उसका कौन क्या बिगाड़ सकता है, लिहाजा वो अपने परिवार के साथ राजधानी काबुल के एक सुरक्षित इलाके में रहने के लिए आ गया था और रिपोर्ट है कि, तालिबान ने उस इलाके की सुरक्षा काफी ज्यादा बढ़ा दी थी।

बेहद सावधानी से अंजाम दिया गया ऑपरेशन
अल जवाहिरी के सिर पर अमेरिकी सरकार ने 25 मिलियन डॉलर इनाम की घोषणा कर रखी थी और अयमान अल-जवाहिरी तालिबान के अधिग्रहण के बाद काबुल में एक घर में अफगानिस्तान में छिपा हुआ था। हालांकि, अमेरिकी सरकार ने 11 सितंबर 2001 के हमलों के योजनाकारों में से एक ओसामा बिन लादेन के उत्तराधिकारी अल-जवाहिरी का पीछा नहीं छोड़ा था और उसकी लगातार तलाश की जा रही थी। अधिकारियों ने ऑपरेशन को सावधानीपूर्वक अंजान देने की प्लानिंग की बताया और उसी तरह की प्लानिंग की गई, जिस तरह से साल 2011 में अलकायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक में मार गिराया गया था।

लादेन के ही अंदाज में मरा जवाहिरी
अल-कायदा प्रमुख को मारने के लिए मिसाइल हमला ओसामा बिन लादेन को खत्म करने के ऑपरेशन के समान ही था। अल-कायदा कमांडर, लादेन, 2011 में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के पास एबटाबाद में रहता था और उसे हेलीकॉप्टर में सवार होकर आए अमेरिकी सैनिकों ने बिल्कुल किसी फिल्म की कहानी की तरह छापेमारी करते हुए मौत के घाट उतारा था और उसके शव को लेकर चले गये थे। सिर में गोली मारकर मारे जाने से पहले बिन लादेन एबटाबाद में कम से कम पांच साल से एकांत में रह रहा था, उसे मौत के घाट उतारने के बाद उसे समुद्र में दफना दिया गया था। हालांकि इस बार बिना अफगानिस्तान की जमीन पर उतरे हुए अल-जवाहिरी को मारा गया और इस बार उसे मारने के लिए अमेरिका ने ड्रोन का इस्तेमाल किया, जिसमें मिसाइल लगा हुआ था, जो पिन प्वाइंट पर मार करने के लिए जाना जाता है, जिसे काबुल के समय के अनुसार रविवार सुबह 6:18 बजे लॉन्च किया गया था। इस मिसाइल से सिर्फ अल-जवाहिरी के घर की सिर्फ खिड़कियां उड़ीं।

दो डेमोक्रेट राष्ट्रपति, दो आतंकी खत्म
2011 में, राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अफगानिस्तान में एक सैन्य अभियान में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने की घोषणा की थी। एक टेलीविज़न संबोधन में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था, कि "लगभग 10 साल पहले सितंबर का एक उज्ज्वल दिन हमारे इतिहास में अमेरिकी लोगों पर सबसे खराब हमले से काला हो गया था। 9/11 की तस्वीरें हमारी राष्ट्रीय स्मृति में अंकित हैं... आज, मेरे निर्देश पर, संयुक्त राज्य अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद में एक लक्षित अभियान शुरू किया। अमेरिकियों की एक छोटी टीम ने असाधारण साहस और क्षमता के साथ ऑपरेशन को अंजाम दिया... एक गोलाबारी के बाद, उन्होंने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया और उसके शव को अपने कब्जे में ले लिया'। ओबामा ने 9/11 के हमलों की भयावहता का जिक्र किया और दोहराया कि बदला ले लिया गया है। वहीं, अब राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अल जवाहिरी के मारे जाने की घोषणा की है। वहीं, ओबामा को 2012 में डेमोक्रेट राष्ट्रपति के रूप में दूसरा कार्यकाल मिला और उनकी सफलता का एक महत्वपूर्ण श्रेय 2011 में बिन लादेन की हत्या को जाता है।

क्या बाइडेन को मिलेगा दूसरा कार्यकाल?
ओबामा को तो दूसरा कार्यकाल मिल गया, लेकिन क्या जो बाइडेन को अव-जवाहिरी को मारने के लिए दूसरा कार्यकाल मिलेगा, जबकि जो बाइडने के ऊपर कोविड संकट में पूरी तरह से कामयाब नहीं रहने के साथ साथ अफगानिस्तान में अराजकता, यूक्रेन युद्ध रोकने में असफलता और अमेरिका में पनपे आर्थिक संकट की वजह से आलोचना भी की जा रही है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है, बाइडेन भी अपनी सफलता को भुनाने की कोशिश करेंगे।

अफगानिस्तान में टेक्टिकल ऑपरेशन
जवाहिरी को मारने के लिए मिसाइल हमला ऐसे समय में किया गया है, जब अमेरिका ने तालिबान के अधिग्रहण के बाद 2021 में अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को पहले ही वापस ले लिया था। बिना जमीनी सहारे के मिसाइल के जरिए हमला किया गया है। इसलिए, सुरक्षा अधिकारियों ने हमले को लेकर पूरा अभ्यास किया। कैसे अल-जवाहिरी पर हमला करना है, उसके लिए उसके घर का नक्शा बनाकर टारगेट हिट करने का अभ्यास किया। और बिना किसी और को हताहत किए, या फिर बिना उस मकान को नुकसान पहुंचाए अल-जवाहिरी को मार गिराया। जबकि, ये ऑपरेशन कतई आसान नहीं था। अमेरिकी रक्षा और खुफिया अधिकारियों ने जून में ही योजना को अंतिम रूप दे दिया था और 1 जुलाई को व्हाइट हाउस में बाइडेन को अल-जवाहिरी के निवास के विस्तृत मॉडल का उपयोग करके प्रजेंटेशन दिया गया, जैसा कि बिन लादेन पर स्ट्राइक करने से पहले किया गया था। लिहाजा, दो अमेरिकी राष्ट्रपति ने दो खूंखार आतंकियों को एक जैसा ही अंजाम पहुंचाया, लेकिन सवाल ये है, कि क्या बाइडेन को इसका फायदा मिलेगा?
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