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इस्लामीकरण, धार्मिक असहिष्णुता... कैसे धीरे धीरे कट्टर इस्लामिक देश बनता जा रहा है तुर्की?

इस्लामीकरण के नाम पर, तुर्की के अर्मेनियाई और असीरियन मूल के लोग धार्मिक असहिष्णुता से जूझ रहे हैं और देश में अपने अधिकार और इंसाफ की अपनी खोज के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। र

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अंकारा, मई 11: मुस्लिम बहुल देशों में सिर्फ तुर्की ही एकमात्र ऐसा देश है, जो धार्मिक आधार पर सहिष्णु रहा है और मुस्लिम बाहुल्य होने के बाद भी तुर्की की पहचान अभी तक लोकतांत्रिक रही है। लेकिन, रेचेप तैयप अर्दोअन के शासनकाल में तुर्की के सहिष्णु पहचान की तगड़ी चोट लगी है और कुर्सी पर काबिज रहने के लिए अर्दोआन ने तुर्की की सहिष्णुता का बंटाधार कर दिया है। इसीलिए तुर्की की पहचान धीरे धीरे धार्मिक आधार पर बाकी के कट्टर इस्लामिक देशों की तरह ही होने लगी है।

तुर्की में धार्मिक असहिष्णुता

तुर्की में धार्मिक असहिष्णुता

इस्लामीकरण के नाम पर, तुर्की के अर्मेनियाई और असीरियन मूल के लोग धार्मिक असहिष्णुता से जूझ रहे हैं और देश में अपने अधिकार और इंसाफ की अपनी खोज के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। राष्ट्रपति अर्दोआन लगातार देश को असहिष्णुता की तरफ ले दा रेह हैं, जिस तुर्की में सख्त शिक्षा प्रणाली के अनुसार, किसी भी बच्चे को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता के साथ पढ़ने और धार्मिक स्वतंत्रता के साथ हर गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार है, अब उसे छीनने की कोशिश की जा रही है। इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट एंड सिक्योरिटी ने अपनी रिपोर्ट में चिंता जताते हुए कहा है कि, अब बच्चों की पढ़ाई से लेकर घरों में उनके धर्म के आधार पर होने वाली उनकी परवरिश में सरकार ने दखल देना शुरू कर दिया है, जो गंभीर चिंता का विषय है।

इस्लामिक शिक्षा होगा अनिवार्य?

इस्लामिक शिक्षा होगा अनिवार्य?

रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की सरकार अब 4-6 साल की उम्र के बच्चों के लिए धार्मिक शिक्षा या इस्लामी सुन्नी शिक्षा को अनिवार्य विषय के रूप में लागू करने की कोशिश कर रही है। जिससे तुर्की की पढ़ाई व्यवस्था, परीक्षाओं में इस्लामी धार्मिक अभ्यास और स्कूल पाठ्यक्रम, और धार्मिक वैकल्पिक पाठ्यक्रम के अलावास बच्चों की अलग अलग धार्मिक विश्वास और उनकी स्वतंत्रता की सुरक्षा के ऊपर गंभीर खतरा मंडराने लगा है। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे माता-पिता, जो नास्तिक हैं, या फिर अगर आस्तिक भी हैं, तो उनके ऊपर इस्लामिक रीति-रिवाज से अपने बच्चे को घरेलू माहौल देने का दवाब बनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय फोरम फॉर राइट एंड सिक्योरिटी के मुतबाकि, ऐसे पैरेंट्स को धार्मिक संस्कृति और नैतिक ज्ञान पाठ्यक्रमों का प्रयोग करने के लिए मजबूर किया जाता है।

क्या कहता है तुर्की का कानून?

क्या कहता है तुर्की का कानून?

तुर्की दंड संहिता (टीसीके) के अनुसार, जो लोग किसी धर्म या विश्वास, विशेष रूप से इस्लाम की निंदा करते हैं, उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है। तुर्की में गैर-मुस्लिम फ़ाउंडेशन को लोगों की परेशानी बढ़ाने के लिए अपने निदेशक मंडल का चुनाव करने से भी मना किया गया है। विशेष रूप से, तुर्की सरकार द्वारा विभिन्न धर्मों के लिए संसाधन आवंटन में उल्लेखनीय असमानता भी है, इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट एंड सिक्योरिटी ने रिपोर्ट किय है कि, सार्वजनिक बजट का अधिकांश हिस्सा केवल सुन्नी मुस्लिम आबादी के लिए धार्मिक सेवाओं के लिए आरक्षित कर दिया गया है।

धार्मिक आधार पर भारी भेदभाव

धार्मिक आधार पर भारी भेदभाव

इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट एंड सिक्योरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की में रहने वाले विभिन्न धार्मिक समुदाय के लोग, जैसे जैसे एलेवी, ग्रीक ऑर्थोडॉक्स पितृसत्ता, अर्मेनियाई पितृसत्ता और प्रोटेस्टेंट समुदाय अपने धार्मिक अधिकारियों का प्रशिक्षण प्रदान करने में असमर्थ हैं। पूर्व में, इस्लामीकरण के कारण तुर्की के धार्मिक दमन और जनसंहार का इतिहास एक सर्वविदित तथ्य है। हालांकि, तुर्की की महानगरीय राजधानी अंकारा को यह सुनिश्चित करना चाहिए, कि धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय (ईसीएचआर) और मानवाधिकार समिति की राय द्वारा पारित निर्णयों के बाद तुर्की में धार्मिक उल्लंघनों को रोकने के लिए आवश्यक उपाय किए जाने हैं। वहीं, तुर्की को कई बार चेतावनी भी मिल चुकी है और उसे धार्मिक भेदभाव की वजह से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में भी डाल दिया गया है, लेकिन चुनावी जीत के लिए राष्ट्रपति अर्दोआन देश की जनता के मन में लगातार जहर भरते जा रहे हैं।

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English summary
Turkey, the only Islamic majority secular country in the world, is also rapidly Islamizing.
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