मिलिए चीन की उस महिला से जिसके कहने पर भारत के खिलाफ हो गए नेपाल के पीएम, बदल डाला देश का नक्शा
काठमांडू। सीमा विवाद पर नेपाल और भारत के रिश्तों में दूरी आ गई और अब यह बात किसी से छिपी नहीं है कि कैसे चीन के उकसाने पर नेपाली प्रधानमंत्री केपी ओली चीन के करीब हो रहे हैं। लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के साथ टकराव जारी है और इसी बीच नेपाल ने भी चाल चलनी शुरू कर दी है। नेपाल में उस नए नक्शे को मंजूरी मिल गई है जिसमें कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को इसकी सीमा में दिखाया गया है। इंटेलीजेंस एजेंसियों ने अब उस एक शख्स का पता लगा लिया है जिसके उकसाने के बाद भारत का अहम पड़ोसी नेपाल इस तरह की हरकतें कर रहा है।
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होऊ ने पीएम को किया नक्शा बदलने के लिए राजी
एजेंसियों की मानें तो नेपाल में चीनी राजदूत होऊ यांगी इस देश को पड़ोसी भारत के खिलाफ भड़काने में लगी हुई हैं। नेपाल की राष्ट्रपति बिदया देवी भंडारी ने भी देश के नए नक्शे को मंजूरी दे दी है। इस नए नक्शे के बाद उत्तराखंड में भारत की सीमा पर नेपाल ने हथियारबंद जवान तैनात कर दिए हैं। नेपाल अपने इस नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपनी सीमा में दिखाया है। इंडियन आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने चीन का नाम लिए बिना कहा था कि भारत जानता है कि किसके कहने पर नेपाल ने अचानक सीमा विवाद खड़ा कर दिया है। एजेंसियों के मुताबिक नेपाल में चीन की राजदूत होऊ यांगी ने नक्शे में बदलाव के लिए पीएम केपी ओली को राजी किया था। इसके बाद ही ओली ने ऐसा नक्शा तैयार किया जिसे भारत के खिलाफ एक बड़े कदम की तरह देखा जा रहा है।
पीएम ओली के घर और ऑफिस तक जाती थीं यांगी
एजेंसियों को जानकारी मिली है उसके मुताबिक यांगी का पीएम ओली के ऑफिस और यहां तक कि निवास पर भी लगातार आना-जाना था। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस राजदूत की नेपाल की स्थानीय राजनीति में पकड़ मजबूत है।साथ ही नेपाल की सत्तासीन पार्टी का वो प्रतिनिधिमंडल, जो नक्शा बदलने के लिए संविधान संशोधन विधेयक बना रहा था, यांगी लगातार उनके संपर्क में भी रहीं। नेपाल के नए नक्शे को चीन की साजिश के तौर पर पहले से ही देखा जा रहा था, जब विधेयक पास भी नहीं हुआ था। चीन भी लद्दाख में गलवान घाटी पर लगातार भारत से भिड़ रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि भारत पर हर ओर से दबाव बढ़ाने के लिए चीनी राजदूत यांगी ने नेपाल के पीएम को भड़काया।
पाकिस्तान में भी रही हैं तैनात
चीनी राजनयिक होऊ यांगी ने साल 2018 में नेपाल में चीनी राजदूत का पद संभाला था। इसी वर्ष चीन के प्रेमी ओली ने सत्ता संभाली थी। पेइकिंग यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली 50 साल की यांगी को दक्षिण एशियाई मामलों का जानकार माना जाता है। इसी वजह से उन्हें चीन के विदेश मंत्रालय में भी लंबे समय तक डिप्टी डायरेक्टर का पद दिया गया था। यांगी ने इस पद रहते हुए कई ऐसे अहम फैसले लिए जिनसे जिनसे चीन का संबंध पड़ोसी देशों से प्रभावित हुआ। यांगी ने चीनी राजदूत के तौर पर पाकिस्तान में भी तीन साल बिताए हैं। भारत और नेपाल के संबंध हमेशा से अच्छे रहे हैं लेकिन नए नक्शे के बाद संबंधों में दरार आ चुकी है।
पाकिस्तान में रहीं तो सीख डाली उर्दू भी
चीनी नागरिक होऊ यांगी को दक्षिण एशियाई मामलों का जानकार माना जाता है। इसी लिहाज से यांगी ने मिनिस्ट्री ऑफ फॉरेन अफेयर्स में भी लंबे वक्त तक डिप्टी डायरेक्टर की भूमिका निभाई और कई अहम फैसले लिए, जिनसे चीन का संबंध पड़ोसी देशों से प्रभावित हुआ। यांगी ने चीनी राजदूत के तौर पर पाकिस्तान में भी तीन साल बिताए। यांगी किस कदर कूटनीति की बाजी चलती हैं इसे समझना बहुत ही आसान है। चीनी देश से आने वाली यांगी को जब पाकिस्तान में जिम्मा दिया गया तो उन्होंने मेलजोल बढ़ाने के लिए उर्दू भाषा तक सीख ली थी और पाक राजनेताओं से मेलजोल के मौके पर फ्लूएंट उर्दू बोला करती थीं ताकि उन्हीं में से एक लगें।
नेपाल की संसद को भी करवाया राजी
भारतीय खुफिया एजेंसियों की मानें तो पाकिस्तान में राजदूत रहते हुए यांगी ने कई पाकिस्तानी नीतियों के लिए काम किया, जिसका भारत से कहीं न कहीं ताल्लुक था। पाकिस्तान जैसे जटिल देश में तीन अहम साल देने के बाद यांगी को नेपाल भेजा गया। इसके पीछे एक राजदूत के तौर पर यांगी की सफलता ही मानी जाती है। भारत-नेपाल के संबंध हमेशा से ही बड़े-छोटे भाई जैसे ही रहे और कूटनीतिक टकराव की नौबत नहीं आई थी। अब माना जा रहा है कि नेपाल के पीएम के विवादित नक्शा बनाने के पीछे यांगी का ही हाथ है। उन्होंने ही पीएम ओली और नेपाल की संसद को इसके लिए तैयार किया।
ट्विटर पर चीन की इमेज चमकाने की कोशिश
यांगी को चीन में फिलहाल सबसे महत्वपूर्ण राजदूतों में गिना जाता है और उनकी पोस्टिंग पहले पाकिस्तान और फिर नेपाल में होना चीन की किसी खास रणनीति की ओर इशारा करता दिख रहा है। यांगी सोशल मीडिया को भी अपने देश की स्थिति मजबूत करने के लिए प्रयोग करती आई हैं। ट्विटर जो चीन में बैन है, उस पर वह चीन की छवि को बेहतर बनाने के लिए जानी जाती हैं।इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वे चीन की सांस्कृतिक और सामाजिक बातों का बखान करती हैं ताकि बड़े स्तर पर लोगों के मन में चीन की स्थिति बेहतर की जा सके। इसे राजनैतिक शब्दावली में सॉफ्ट पावर बढ़ाना कहते हैं।