क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

अफगानिस्तान में गृहयुद्ध के हालात, दर्जनों जिलों पर तालिबान ने किया कब्जा, आम लोगों ने उठाए हथियार

अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने लगातार कई चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि तालिबान बहुत बड़े नरसंहार के साथ अफगानिस्तान पर कब्जा करने की कोशिश में लगे हुए हैं और देश में आतंकवादियों को पूरी तरह से कब्जा हो सकता है।

Google Oneindia News

काबुल, जून 26: अफगानिस्तान में अमेरिकन सैनिकों के निकलने के साथ ही हालात काफी तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं और अब अफगानिस्तान गृहयुद्ध की दहलीज पर आ खड़ा हुआ है। अफगानिस्तान के दक्षिणी इलाके हेलमंद और कंधार से लेकर ताजिकिस्तान से लगी देश की उत्तरी सीमा तक तालिबान मार्च कर रहे हैं। मई में अमेरिका और नाटो बलों के देश से हटने के साथ ही देश में आतंकवादी समूह और उसके जिहादी लड़ाकों ने ग्रामीण इलाकों के विशाल क्षेत्रों पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया है। उन्होंने हेरात और काबुल जैसे प्रमुख शहरों के दरवाजे पर दस्तक देनी शुरू कर दी है, वहीं, पाकिस्तानी सेना का समर्थन देने के लिए आम लोगों ने भी हथियार उठाने शुरू कर दिए हैं। ऐसे में अफगानिस्तान का भविष्य पूरी तरह से बर्बाद नजर आ रहा है और देश गृहयुद्ध की आग में जलने के लिए तैयार दिख रहा है।

बर्बादी की तरफ अफगानिस्तान

बर्बादी की तरफ अफगानिस्तान

अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने लगातार कई चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि तालिबान बहुत बड़े नरसंहार के साथ अफगानिस्तान पर कब्जा करने की कोशिश में लगे हुए हैं और देश में आतंकवादियों को पूरी तरह से कब्जा हो सकता है 1989 में अफगानिस्तान से सोवियत संघ के निकलने के बाद ये जिहाद की सबसे बड़ी जीत होगी। इस तरह की जीत अमेरिकी और नाटो बलों द्वारा लगभग दो दशकों के काम को फिर से पहले जैसा ही कर देगी। जिसमें 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गये, अरबों डॉलर बर्बाद हुए, हजारों बच्चे अनाथ हुए और ट्रंप के फैसले पर बाइडेन का मुहर लगा देना, अफगानिस्तान की बर्बादी पर आखिरी कील है। अमेरिका के जनरलों ने कई महीने पहले से ही चेतावनी देनी शुरू कर दी थी अफगानिस्तान की स्थिति पूरी तरह से खराब हो सकती है। इस वक्त अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी अमेरिका के दौरे पर हैं और उनकी जो बाइडेन से मुलाकात प्रस्तावित है लेकिन, अफगानिस्तान मामलों के जानकारों का कहना है कि 'अफगानिस्तान से अमेरिकन सैनिकों का हटना सबसे ज्यादा मुर्खता भरा और अदूरदर्शी फैसला है, जिसका डोनाल्ड ट्रंप ने लिया था और जिसपर जो बाइडेन ने मुहर लगा दी।' (तस्वीर- तालिबान के नेता)

अफगानिस्तान कब्जाने की लड़ाई तेज

अफगानिस्तान कब्जाने की लड़ाई तेज

अमेरिकी सैनिकों के जाने के साथ ही तालिबान को रोकने की पूरी की पूरी जिम्मेदारी अफगानिस्तान के सैनिकों पर आ गई है, लेकिन वो तालिबान से लोहा लेने में कमयाब नहीं हो रहे हैं। वहीं, लगातार 20 सालों से लड़ते लड़के अफगान सैनिक बुरी तरह से थके हुए हैं और तालिबान के हाथों बुरी तरह से मारे जा रहे हैं। माना जा रहा था कि तालिबानी जेहादी देश के दक्षिण और पूर्वी हिस्सों में हमलों को अंजाम देंगे, जहां उनकी पकड़ मजबूत है। लेकिन उन्होंने अपने सबसे कमजोर इलाके यानि देश के उत्तरी हिस्सों में भयानक हमला करना शुरू कर दिया है, जिसकी उम्मीद अफगान सरकार ने कभी नहीं की थी। माना जा रहा है कि देश के उत्तरी हिस्सों में भारी तादाद में लोग मारे जाएंगे और वहां तालिबान के साथ काफी भयानक लड़ाई हो सकती है। (देश में हिंसा)

तालिबान ने कितने इलाकों पर किया कब्जा

तालिबान ने कितने इलाकों पर किया कब्जा

अमेरिकी मीडिया के मुताबिक पिछले महीने मई से तालिबान ने अफगानिस्तान के अलग अलग जिलों में अपना नियंत्रण बनाना शुरू किया है और रिपोर्ट के मुताबिक देश के 400 जिलों में से अब तक तालिबान ने 50 जिलों पर पूरी तरह से अपना नियंत्रण स्थापित सिर्फ एक महीने के अंदर ही कर लिया है। अफगानिस्तान पर नजर रखने वाली संस्था द लॉन्ग वॉर जर्नल के मुताबिक दर्जनों जिलों में अफगानिस्तानी सैनिक और तालिबानी जिहादियों के बीच भयानक लड़ाई छिड़ी हुई है। वहीं, अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगले 6 महीने के अंदर तालिबानी लड़ाके अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लेंगे, जहां से देश की सरकार चल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ताजा लड़ाई इमाम साहिब जिले में अफगान सैनिकों और तालिबान के बीच हुई है। जिसमें 100 अफगान सैनिकों के मुकाबले 300 तालिबानी लड़ाके थे। 2 दिनों तक चली लड़ाई के बाद तालिबान ने इमाम साहिब जिले पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है और ज्यादातर अफगान सैनिक मारे गये हैं। (मारे गये लोग)

भयानक हुए हालात

भयानक हुए हालात

इमाम साहिब जिले के स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़कों पर लोगों के शव ऐसे ही पड़े हुए हैं और उन्हें सड़कों से हटाने वाला तक कोई नहीं है। सैकड़ो घर और दुकाने पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं। अफगानिस्तान के उत्तर में तालिबान द्वारा कब्जा किए गये ये सिर्फ एक जिले की छोटी सी कहानी है, जबकि देश के दर्जनों जिलों में भयानक संघर्ष चल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान को ताजिकिस्तान के साथ महत्वपूर्ण रणनीतिक सीमा पार करने का नियंत्रण मिल गया है। 22 साल के अफगान सैनिक सैफुल्ला ने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन ने तालिबान से जंग की शुरूआत की थी, लेकिन अब वो देश को बुरी तरह से जलता छोड़कर भाग रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कई चौकियों पर अफगान सैनिक नाउम्मीद होकर आत्मसमर्पण कर रहे हैं तो कई चौकियों पर बिना एक भी गोली चले ही तालिबान ने कब्जा जमा लिया है। (अफगान सरकार)

अफगान सेना को जनता का साथ

अफगान सेना को जनता का साथ

अफगान मीडिया टोलो न्यूज ने रिपोर्ट दी है कि अफगान सैनिकों का साथ देने के लिए अब सामान्य लोगों ने हथियार उठाने शुरू कर दिए हैं और तालिबान के खिलाफ लड़ाई का ऐलान कर दिया है। तालिबान से लड़ने के लिए अपनी तैयारी की घोषणा करते हुए अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों के समर्थन में आम लोग आने लगे हैं। रिपोर्ट के मुकाबिक अफगानिस्तान के 10 राज्य में हजारों लोग हथियार के साथ तो निहत्था ही, अफगान सैनिकों का साथ देने के लिए सड़कों प उतर चुके है। अफगानिस्तान के 10 राज्यों में तालिबान के खिलाफ बड़ी बड़ी रैलियां निकाली जा रही हैं, और स्थानीय लोगों का कहना है कि वो तालिबान को अपने गांवों पर कब्जा करने नहीं देंगे। उत्तरी तखर प्रांत में सैकड़ों महिलाओं सड़कों पर उतर आई हैं और अफगानिस्तान सुरक्षा बलों के साथ तालिबान से लड़ाई लड़ने की प्रैक्टिस कर रही हैं। तखर के एक आदिवासी बुजुर्ग मोहम्मद आशेर अरब ने कहा कि, "अच्छा होगा अगर हम अफगान एक-दूसरे को मारने के बजाय एक साथ बैठें।" तखर के पुलिस प्रमुख एकरामुद्दीन साड़ी ने कहा कि, 'आम लोगों से सहयोग मिलना अफगान सैनिकों के मनोबल को बढ़ाने वाला है' (तालिबान के खिलाफ जनता ने उठाए हथियार)

तालिबान के खिलाफ आम जनता

तालिबान के खिलाफ आम जनता

अफगानिस्तान के उत्तरी हिस्से में स्थिति सर-ए-पुल प्रांत के उत्तरी हिस्से में स्थिति एक जिले पर तालिबान ने नियंत्रण स्थापित कर लिया है, जिसके बाद आम लोगों ने तालिबान का मुकाबला करने के लिए हथियार उठा लिया है। जिसके बाद भारी संघर्ष शुरू हो गया है। घोर प्रांत के निवासी गुलाम सखी ने कहा कि, "हम तालिबान के काले शासन के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिरोध की दूसरी पीढ़ी को जुटाने के लिए हथियार उठा रहे हैं, इसलिए हम अपने खून की आखिरी बूंद तक देश का बचाव करेंगे।" वहीं, घोर प्रांत के एक परिषद के प्रमुख नूर रहमानी ने कहा कि "हम अगले हफ्ते तक इंतजार करेंगे। यदि खोए हुए क्षेत्र को सुरक्षा बलों द्वारा वापस नहीं लिया जाता है, तो हम अपने दम पर कार्रवाई करेंगे'' टोलों न्यूज के मुताबिक खोस्त प्रांत में सैकड़ों निवासियों ने तालिबान के खिलाफ हथियार उठा लिए हैं। स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि गवर्नर हमीदुल्लाह तोखी के नेतृत्व में ज़ाबुल के कम से कम 200 निवासियों ने तालिबान के खिलाफ लड़ाई के लिए हथियार उठा लिए हैं। इसके अलावा, कुछ प्रभावशाली राजनीतिक हस्तियों ने युद्ध के मैदान में अफगान सेना का समर्थन करने के लिए सैकड़ों सशस्त्र लोगों को जुटाया है। बगलान की यात्रा करने वाले आंतरिक मामलों के उप मंत्री नकीबुल्लाह फ़ैक ने कहा कि, "किसी को भी यह नहीं सोचना चाहिए कि इन अधिग्रहणों के साथ तालिबान मजबूत है, हमें तालिबान कबूल नहीं है'। (सेना का साथ देने हथियारों के साथ जनता)

अफगान राष्ट्रपति को पाकिस्तान ने दी चेतावनी, अमेरिका से शिकायत की तो बुरा होगा अंजामअफगान राष्ट्रपति को पाकिस्तान ने दी चेतावनी, अमेरिका से शिकायत की तो बुरा होगा अंजाम

Comments
English summary
Afghanistan stands on the threshold of civil war. The Taliban is continuously occupying different districts of Afghanistan, so now the local people have stood against the Taliban.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X