फिनलैंड के बाद अब स्वीडन बनेगा नाटो का हिस्सा, रूस हुआ नाराज, कहा- बहुत बड़ी गलती कर दी
बर्लिन, 16 मईः स्वीडन ने फिनलैंड की राह पर चलते हुए नाटो की सदस्यता लेने का फैसला किया है। स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन ने सोमवार को नाटो में शामिल होने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उपजे हालात को देखते हुए स्वीडन भी फिनलैंड की तरह नाटो की सदस्यता के लिए अनुरोध करेगा।
रूस बोला- बहुत बड़ी गलती कर दी
इससे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नाराजगी और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। रूस नार्डिक देशों के इस कदम से आगबबूला है। रूस ने फिनलैंड और स्वीडन को चेतावनी दी है कि उन्होंने नाटो से जुड़ने का ऐलान कर उन्होंने एक 'बहुत बड़ी गलती' कर दी है। रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने सोमवार को कहा कि फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो सैन्य गठबंधन में शामिल होना एक गलती है। इसके दूरगामी परिणाम होंगे और वैश्विक स्थिति में आमूल-चूल परिवर्तन होगा। रयाबकोव ने कहा कि फिनलैंड और स्वीडन को इस बात का कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि रूस उनके फैसले को आसानी से स्वीकार कर लेगा।
फिनलैंड ने पहले ही कर दिया था ऐलान
बतादें कि स्वीडन और फिनलैंड भी यूक्रेन की तरह रूस के सीमावर्ती देश हैं। रूस द्वारा यूक्रेन पर कार्रवाई के बाद से इन देशों पर नाटो की सदस्यता लेने का दबाव बढ़ा है। फिनलैंड के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने गुरुवार को ही कह दिया था कि उनका देश नाटो में शामिल होने जा रहा है। अक्टूबर के अंत तक फिनलैंड पूर्ण रूप से नाटो का सदस्य बन सकता है। हालांकि इन दोनों देशों को नाटो की सदस्यता मिलने में एक बड़ा अड़ंगा तुर्की बन सकता है। एर्दोआन के मुताबिक ये नॉर्डिक देश कुर्द लड़ाकों का समर्थन करते हैं, जिन्हें तुर्की आतंकवादी मानता है।
तुर्की लगा सकता है अड़ंगा
तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगान ने कहा है कि वो इन देशों की नाटो सदस्यता के रुख का समर्थन नहीं करता। उन्होंने कहा था कि अंकारा एक बार फिर से गलती नहीं करेगा। बतादें कि किसी नए देश को नाटो सदस्यता के लिए सभी मौजूदा सदस्य देशों का समर्थन चाहिए होता है। अगर तुर्की वीटो करता है तो यह मामला खटाई में पड़ सकता है। पुतिन पहले ही कह चुके हैं कि नाटो का पूर्वी सीमा में विस्तार उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए चुनौती है और वो इसका पुरजोर तरीके से विरोध करेगा। नाटो में अभी 30 सदस्य देश हैं और अमेरिका इन्हें किसी भी हमले या कार्रवाई पर सैन्य सुरक्षा की गारंटी देता है।