Special Report: सऊदी शहजादे सलमान की क्रूरता और जमाल खशोगी की दूतावास में हत्या की खौफनाक कहानी
पत्रकार जमाल खशोगी हत्याकांड की पूरी कहानी। जानिए कैसे दूतावास में पत्रकार को मारा गया और सऊदी क्राउन प्रिंस ने कैसे रची थी कत्ल की साजिश।
वाशिंगटन/अंकारा: अमेरिकी इंटेलीजेंस की रिपोर्ट में साफ तौर पर सबूतों के हवाले से कहा गया है कि अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट में कॉलम लिखने वाले पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की मंजूरी के बाद ही की गई थी। अमेरिकन रिपोर्ट में विस्तारपूर्वक बताया गया है कि किस तरह से पत्रकार जमाल खशोगी को जाल में फंसाकर मारा गया है और ये भी बताया गया है कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कत्ल का ऑर्डर कैसे दिया था। साल 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में धोखे से की गई थी लेकिन इस हत्याकांड की पूरी कहानी दिल दहलाने और सऊदी प्रिंस की क्रूरता को बयां करने के लिए काफी है। इस हत्याकांड को स्टेस स्पॉंसर्ड किलिंग भी कहा गया है यानि राज्य आधारित हत्याकांड।
सऊदी प्रिंस से दुश्मनी क्यों?
पत्रकार जमाल खशोगी अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट के लिए मासिक कॉलम लिखा करते थे। उनके कॉलम को सऊदी राजपरिवार के खिलाफ माना जाता था। अपने कॉलम में पत्रकार जमाल खशोगी सऊदी सरकारी की नीतियों की जमकर आलोचना किया करते थे और माना जाता है कि क्राउन प्रिंस सलमान की आंखों में पत्रकार जमाल खशोगी खटकने लगे थे लेकिन पत्रकार जमाल अपनी पत्रकारिता से समझौता करने से मना कर देते हैं। 2017 से पहले तक सऊदी की सरकार पर क्राउन प्रिंस का प्रभुत्व नहीं था और उस वक्त उनके पिता किंग सलमान की सऊदी का पूरा कामकाज देखते थे मगर 2017 के बाद क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को सऊदी की सिक्योरिटी और इंटेलीजेंस का कंट्रोल हासिल हो गया। सऊदी सिक्योरिटी ऑफिस और इंटेलीजेंस बिना शाही परिवार के हुक्म के एक भी कदम नहीं उठा सकता है और इस इंटेलीजेंस को अब MBS यानि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के अंदर काम करता था। क्राउन प्रिंस के हाथ सिक्योरिटी कंट्रोल आने के बाद पत्रकार जमाल खशोगी ने सऊदी अरब छोड़ने का मन बना लिया।
पत्रकार जमाल ने सऊदी छोड़ा
जून 2017- साल 2017 जून में पत्रकार जमाल खशोगी ने सऊदी अरब को छोड़ दिया और वो हमेशा के लिए अमेरिका शिफ्ट हो गये। जहां उन्होंने वाशिंगटन पोस्ट के लिए मासिक कॉलम लिखना शुरू कर दिया। माना जाता है कि सऊदी अरब शाही परिवार और सऊदी अरब सरकार की नीतियों के खिलाफ अगर किसी ने लिखा तो वो सिर्फ पत्रकार जमाल खशोगी थे। उनके अलावा सऊदी अरब के किसी भी पत्रकार ने एक शब्द भी शाही परिवार के खिलाफ नहीं लिखा है। सऊदी अरब में महिलाओं की आजादी से लेकर कई कट्टरपंथी कानून के खिलाफ पत्रकार जमाल खशोगी ने कई आर्टिकल लिखे थे जिसमें कानून में तब्लिदी लाने की मांग की गई थी।
तुर्की की लड़की से प्यार
मई 2018- मई 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी की मुलाकात तुर्की की रहने वाली 36 साल की पीएचडी स्टूडेंट Hatice Cengiz से हुई और दोनों ने प्यार के बाद शादी करने का फैसला कर लिया। 28 सितंबर 2018 को पत्रकार जमाल खशोगी तुर्की स्थिति सऊदी अरब दूतावास पहुंचे थे जहां उन्हें पर्सनल डॉक्यूमेंट लेना था। पत्रकार जमाल खशोगी को अपनी पहली पत्नी से तलाक से जुड़े कागजात लेना था ताकि वो Hatice Cengiz से शादी कर सकें।
सऊदी दूतावास में जमाल की हत्या
2 अक्टूबर 2018- 2 अक्टूबर 2018 को पत्रकार जमाल खशोगी फिर से सऊदी दूतावास पहुंचे जहां सिक्योरिटी कैमरे में उन्हें दूतावास बिल्डिंग में जाते हुए देखा गया। वहीं उनकी मंगेतर Hatice Cengiz काउंसलेट के बाहर उनका इंतजार कर रही थीं। मंगेतर Hatice Cengiz को पत्रकार जमाल ने कहा था कि अगर उन्हें कुछ भी गड़बड़ लगे तो वो फौरन Yasin Aktay नाम के शख्स को फोन कर ले जो तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इर्दुगन के बेहद करीबी हैं। तीन घंटे तक Hatice Cengiz तुर्की में सऊदी दूतावास के बाहर पत्रकार जमाल खशोगी का इंतजार करती रहीं और जब वो बाहर नहीं निकले तो फिर वो खुद दूतावास में गईं, जहां उन्हें बताया गया कि जमाल खशोगी काफी पहले ही दूतावास के पिछले दरवाजे से बाहर जा चुके हैं।
3 अक्टूबर 2018- पत्रकार जमाल खशोगी के गायब होने की खबर अब धीरे धीरे पूरी दुनिया में फैलने लगी थी। जिसपर सऊदी अरब प्रशासन को एक बयान जारी करना पड़ा। बयान में बार बार इसी बात पर जोर दिया गया कि खशोगी तुर्की स्थिति सऊदी दूतावास से बाहर चले गये थे। सऊदी सरकार के स्टेटमेंट में कहा गया कि 'जमाल खशोगी अपने तलाक से जुड़े कागजात लेने आये और उन कागजातों को लेकर वो फौरन बाहर चले गये'। वहीं, तुर्की राष्ट्रपति भवन एक अधिकारी ने अपने बयान में कहा कि जमाल खशोगी दूतावास से बाहर नहीं निकले थे।
4 अक्टूबर 2018 को तुर्की विदेश मंत्रालय ने सऊदी अरब एंबेसडर को जबाव देने के लिए समन भेजा वहीं 5 अक्टूबर को सऊदी क्राउन प्रिंस ने एक बयान जारी कर कहा कि खशोगी दूतावास के अंदर नहीं थे और तुर्की सरकार अगर जांच कराना चाहती है तो करवा ले। वहीं 7 अक्टूबर को तुर्की के राष्ट्रपति ने अपने बयान में कहा कि वो उम्मीद कर रहे हैं कि पत्रकार जमाल सही सलामत हों। हालांकि कई मीडिया रिपोर्ट्स में अबतक कहा जाने लगा था कि पत्रकार जमाल की हत्या की जा चुकी है। तुर्की स्थिति सऊदी अरब के दूतावास के अंदर तो पत्रकार खशोगी जाते दिखाई दे रहे थे मगर दूतावास से बाहर आने के एक भी सबूत नहीं मिले थे। वहीं, तुर्की के राष्ट्रपति के करीबी Yasin Aktay ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को कहा कि पत्रकार जमाल की हत्या सऊदी दूतावास के अंदर ही की जा चुकी है। Yasin Aktay ने ये भी दावा किया 15 लोगों की एक टीम ने पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या की है।
पहली बार कत्ल का दावा
9 अक्टूबर को वाशिंगटन पोस्ट अखबार ने दावा किया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी के हाथ ऑडियो क्लिप लगा है जिसमें सऊदी अरब के अधिकारी और इंटेलीजेंस एजेंसी के अधिकारी पत्रकार खशोगी की हत्या की प्लानिंग कर रहे थे। वहीं 10 अक्टूबर 2018 को तुर्की मीडिया ने एक रिपोर्ट में दावा किया कि सऊदी अरब दूतावास के बाहर 15 लोगों की टीम थी जिसने पत्रकार जमाल की हत्या की है। तुर्की मीडिया ने सबूत के तौर पर वीडियो फुटेज जारी किया था जिसमें दिख रहा था कि 15 लोग सऊदी दूतावास के बाहर हैं और उनकी हरकत संदिग्ध लग रही थी। तुर्की मीडिया ने उन सभी 15 लोगों की तस्वीरें भी जारी कर दीं जो इस ऑपरेशन को अंजाम देने आये थे। वहीं अमेरिकन इंटेलीजेंस ने भी उन 15 लोगों के नाम पर मुहर लगा दी थी। हालांकि, सऊदी अरब की तरफ से बार बार दूतावास के अंदर 'कुछ होने' की बात से इनकार किया जा रहा था। 15 अक्टूबर को तुर्की की जांच टीम सऊदी अरब दूतावास के अंदर जाती है जिसके हाथ पत्रकार जमाल की हत्या से जुड़े कई सबूत लगते हैं। तुर्की की तरफ से आधिकारिक तौर पर बयान दिया जाता है कि पत्रकार जमाल की हत्या तुर्की स्थिति सऊदी अरब दूतावास में ही की गई है।
डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका
तुर्की आधिकारिक तौर पर सऊदी दूतावास में पत्रकार जमाल की हत्या की बात कहता है मगर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मीडिया के सामने आकर कहते हैं कि पत्रकार जमाल की हत्या के पीछे भाड़े के कातिलों का हाथ हो सकता है और उन्हें नहीं लगता है कि शाही राजपरिवार इसमें शामिल है। दरअसल, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और सऊदी के शहजाते मोहम्मद बिन सलमान के बीच काफी करीबी संबंध थे। वहीं 18 अक्टूबर 2018 को तुर्की की मीडिया पहली बार दावा करती है कि दूतावास के अंदर दाखिल होते ही 'एक मिनट के अंदर' पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या कर दी गई। जबकि डोनाल्ड ट्रंप इसपर शक जताते हैं।
सऊदी अरब का कबूलनामा
20 अक्टूबर 2018- तमाम सबूत सऊदी अरब के खिलाफ थे और उसपर अंतर्राष्ट्रीय दबाव भी काफी ज्यादा बन रहा था। जिसके बाद 20 अक्टूबर 2018 को सऊदी अरब की तरफ से पहली बार पत्रकार जमाल की हत्या की बात कबूल की गई। सऊदी अरब की तरफ से जारी बयान में स्वीकार किया गया कि 2 अक्टूबर को जर्नलिस्ट जमाल खशोगी की हत्या सऊदी अरब दूतावास के अंदर की गई थी। जिसमें 18 लोंगो को गिरफ्तार किया गया है जिनमें पांच अधिकारी शामिल थे।
सऊदी अरब ने आधिकारिक बयान देते हुए समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि 15 सदस्यीय टीम को तुर्की पत्रकार जमाल खशोगी को किडनैप करने के लिए भेजा गया था मगर उन लोगों ने जमाल खशोगी की हत्या कर दी। सऊदी अरब पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या नहीं करवाना चाहता था। वहीं तुर्की के राष्ट्रपति ने सीधे सीधे सऊदी अरब पर आरोप लगाया कि सऊदी अरब ने ही पत्रकाम जमाल की बेरहमी से हत्या करवाई है और तुर्की के राष्ट्रपति ने सऊदी अरब से उस शख्स का नाम सार्वजनिक करने को कहा जिसका हाथ इस कत्ल के पीछे था। 10 नवंबर को तुर्की की जांच एजेंसी ने तमाम सबूत, जिनमें कई ऑडियो रिकॉर्डिंग, वीडियो फुटेज और दूसरे तरह के सबूत थे उसे तुर्की सरकार को सौंप दिया।
तुर्की सरकार ने 10 नवंबर को ही तमाम सबूत अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी के साथ साथ सऊदी अरब को भी सौंप दिया। वहीं, अमेरिकन जांच एजेंसी CIA ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने पत्रकार जमाल की हत्या करवाई है। मोहम्मद बिन सलमान ने ही पत्रकार जमाल की हत्या करने का आदेश दिया था। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के फॉक्स न्यूज को दिए गये इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने कोई ऑडियो टेप नहीं सुना है और उन्हें ऑडियो टेप सुनने की जरूरत भी नहीं है।
28 जनवरी 2019- पत्रकार जमाल खशोगी हत्याकांड की जांच के लिए यूनाइटेड नेशंस की भी टीम बनाई गई। इस टीम ने काफी विस्तारपूर्वक जांच की। टीम ने सऊदी अरब दूतावास का भी दौरा किया। इस टीम का काम ये पता करना था कि क्या एक देश एक आम आदमी की हत्या में शामिल है? जून 2019 को UN की रिपोर्ट में कहा गया कि पत्रकार जमाल की हत्या के पीछे कई लोगों का हाथ है और सऊदी क्राउन प्रिंस MBS और सऊदी के अधिकारियों की जांच होनी चाहिए। यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट में जमाल की हत्या को राज्य द्वारा प्रायोजित हत्या बताते हुए सऊदी अरब को सीधे सीधे जिम्मेदार बताया था। हालांकि सऊदी अरब ने तमाम सबूतों को खारिज कर दिया था।
23 दिसंबर 2019- 23 दिसंबर 2019 को 11 आरोपियों में से जांच के दौरान 8 को सऊदी अरब ने कत्ल का दोषी माना और पांच आरोपियो को फांसी की सजा सुनाई। हालांकि बाद में पांचों की फांसी की सजा माफ कर दी गई। माफी देने के पीछे कहा गया कि मई 2020 में खशोगी के बेटे ने एक ट्वीट के जरिए अपने पिता के कातिलों को माफ करने की अपील की गई थी और इस्लामिक कानून के मुताबिक अगर पीड़ित का परिवार दोषी को माफ कर दे तो उसे माफी मिल जाती है। हालांकि अब अमेरिकन रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद ये विवाद फिर से गहरा गया है और माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में पत्रकार जमाल हत्याकांड पर सऊदी अरब और अमेरिका के बीच काफी बवाल मचने वाला है।