पाकिस्तान के हवाई अड्डे पर जब हुआ था पोलैंड के राष्ट्रपति पर जानलेवा हमला
नई दिल्ली, 01 अप्रैल। सेना, आइएसआइ और कट्टरपंथ के त्रिकोण में फंसा पाकिस्तान राजनीतिक रूप से एक असुरक्षित देश है। यहां तक कि विदेशी मेहमान की भी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं। खासकर लाहौर में तो कुछ भी हो सकता है। 2009 में श्रीलंका की क्रिकेट टीम पाकिस्तान के दौरे पर आयी थी। लाहौर में श्रीलंकाई टीम की बस पर आतंकियों ने गोलियों की बौछार कर दी। इसी तरह 1970 में लाहौर हवाई अड्डे पर पोलैंड के राष्ट्रपति मैरियन स्पिखल्स्की और उनकी पत्नी को मारने के इरादे से हमला किया गया था। राष्ट्रपति तो बच गये लेकिन पोलैंड के विदेश उपमंत्री जेगफ्रेड वेलेनिक मारे गये थे। पोलैंड तब खांटी कम्युनिस्ट देश था। आतंकी इस कम्युनिस्ट देश के शासक को मारना चाहते थे।
आज इमरान खान कह रहे हैं कि अमेरिका उनसे इसलिए नाराज है क्यों उन्होंने रूस की यात्रा की थी। लेकिन 1970 में पाकिस्तान के कट्टरपंथी साम्यवादियों से नफरत की भावना रखते थे। उनका मानना था कि साम्यवादी इस्लाम को कमजोर कर रहे हैं। फरवरी 1970 में पाकिस्तान के उलेमाओं ने साम्यवाद को काफिरों का निजाम करार दिया था। पोलैंड के राष्ट्रपति पर लाहौर में हमलायूक्रेन की सीमा पर बसा पोलैंड पहले साम्यवादी देश था। तब यह सोवियंत संघ के गुट में शामिल था। अक्टूबर 1970 में पोलैंड के राष्ट्रपति मैरियन स्पिखल्स्की अपनी पत्नी और एक प्रतिनिधिमंडल के साथ पाकिस्तान की यात्रा पर आये थे। चार दिन तक इस्लामाबाद में रहे। पाकिस्तान के अखबारों में पोलैंड के राष्ट्रपति के स्वागत और अन्य कार्यक्रमों की खबरें छपती थीं। पहली बार पोलैंड का कोई राष्ट्रपति पाकिस्तान आया था। ये रुटीन खबरें थीं। लेकिन एक जमात को ये बात अखर रही थी। पोलैंड के राष्ट्रपति इस्लामाबाद के बाद लाहौर पहुंचे थे।
ड्राइवर मोहम्मद साम्यवादी मेहमानों को खत्म कर देना चाहता था
लाहौर एयरपोर्ट पर उनका विमान लैंड हुआ। राष्ट्रपति मैरियन अपनी पत्नी के साथ नीचे उतरे। हवाई अड्डा पर पाकिस्तान के अधिकारी, राजनयिक और सुरक्षा बल के जवान उनकी आगवानी के लिए पहले से खड़े थे। पत्रकार और छायाकार भी समाचार संकलन के लिए वहां मौजूद थे। पाकिस्तानी अधिकारियों से तार्रूफ के बाद राष्ट्रपति मैरियन अपनी पत्नी के साथ आगे बढ़ गये। ठीक इसी समय हवाई अड्डे पर खड़ी एक बैन खुली और तेजी से मेहमानों की तरफ बढ़ने लगी। वैन चला रहा ड्राइवर मोहम्मद फिरोज साम्यवादी मेहमानों को खत्म कर देना चाहता था। उसने समझा कि पोलैंड के राष्ट्रपति और विदेशी मेहमान एक ही जगह खड़े हैं। उसने वैन की रफ्तार तेज कर दी और लोगों को कुचलता हुआ आगे बढ़ गया। चार लोग वैन की चपेट में आये और उनकी लाश गाड़ी के साथ दूर तक घसीटती चली गई। शव गांड़ी में इस तरह गुंथ गये थे कि उसे आसानी से निकालना मुमकिन न हुआ। पोलैंड के विदेश उपमंत्री की हत्याफिरोज ने तो राष्ट्रपति मैरियन को मारने की नीयत से गाड़ी दौड़ायी थी लेकिन संयोग से वे अपनी पत्नी के साथ कुछ दूर खड़े थे। वे तो बच गये लेकिन उनके विदेश उपमंत्री जगफ्रेड वेलेनिक मारे गये। इसके बाद राष्ट्रपति और उनके प्रतिनिधिमंडल को हवाई अड्डे के एक सुरक्षित स्थान पर लाया गया। सुरक्षा बलों ने कहर बरपाने वाली बैन को चारो तरफ घेर लिया। मोहम्मद फिरोज को गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन उसके चेहरे पर अपने किये का बिल्कुल अफसोस न था।
लाहौर एयरपोर्ट अफरा-तफरी मच गयी
वैन में फंसे शवों को निकालने के लिए क्रेन को लाना पड़ा। इस घटना के बाद लाहौर एयरपोर्ट अफरा-तफरी मच गयी। हालात को काबू में करने के लिए एयरपोर्ट को सील कर दिया गया। इस हमले के बाद पौलैंड की खुफिया एजेंसी ने सूचना दी की राष्ट्रपति पर दोबारा हमला हो सकता है। तब आनन फानन में राष्ट्रपति मैरियन ने अपनी पाकिस्तान रद्द कर दी। वे अपने प्रतिनिधिमंडल और विदेश उपमंत्री के शव के साथ तत्काल वारसा (पोलैंड की राजधानी) लौट गये।हमलावर को फांसीन्यूयॉर्क टाइम्स ने इस घटना के बारे में लिखा था, हमलावर (मोहम्मद फिरोज) एक धार्मिक कट्टरपंथी था। वह कम्युनिस्ट मेहमानों को मारना चाहता था। उसका मानना था कि साम्यवादी या समाजवादी इस्लाम को कमजोर कर रहे हैं। खबरों के मुताबिक हमलावर ने पकड़े जाने के बाद कम्युनिज्म मुर्दाबाद का नारा लगाया था। उसने कहा था, मैंने एक दो दिन पहले अखबारों में विदेशी मेहमान की फोटो देखी थी। अब मेरा मिशन पूरा हो गया।
फिरोज की छाती पर जमाते इस्लामी का बैज लगा हुआ था
उस समय पाकिस्तान के ही एक अखबार ने दावा किया थी घटना के वक्त फिरोज की छाती पर जमाते इस्लामी का बैज लगा हुआ था। लेकिन जमाते इस्लामी ने इसका खंडन कर दिया था। इस घटना के बाद पाकिस्तान की पूरी दुनिया में बहुत किरकिरी हुई थी। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पाकिस्तान को एक असुरक्षित देश माना जाने लगा। तब फिरोज को गिरफ्तार करने के बाद उसके खिलाफ पाकिस्तान की विशेष सैन्य अदालत में मुकदमा
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