दक्षिण कोरिया ने पहली बार लॉन्च किया चंद्रमा के लिए बड़ा मिशन, ISRO भी कर रहा है ऐतिहासिक तैयारी
भारत और दक्षिण कोरिया काफी अच्छे दोस्त हैं और दोनों मिशन मून के लिए काफी तेजी से काम कर रहे हैं और रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण कोरिया का यह मिशन 180 मिलियन डॉलर है।
सियोल, अगस्त 05: भारत का दोस्त दक्षिण कोरिया भी चंद्रमा की रेस में शामिल हो गया है और पहली बार दक्षिण कोरिया ने लुनार ऑर्बिटर को लॉन्च किया है, जो भविष्य में चंद्रमा पर कहां कहां उतरा जा सकता है, उसकी खोज करेगा। दक्षिण कोरिया के इस लुनार ऑर्बिटर को एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने लॉन्च किया है,जो तेल बचाने के लिए गोल चक्कर लगाते हुए दिसंबर महीने में चंद्रमा पर उतरेगा। दक्षिण कोरिया के इस रास्ता बताने वाले लुनार ऑर्बिटर का नाम 'डेनुरीक' रखा गया है और अगर यह मिशन कामयाब हो जाता है, तो फिर दक्षिण कोरिया भी अमेरिका के अंतरिक्ष यान में शामिल हो जाएगा और भारत पहले से ही चंद्रमा के चारों ओर काम कर रहा है, वहीं, चीन का भी एक रोवर चंद्रमा के सबसे दूर वाले इलाके की खोज कर रहा है।
ISRO भी जल्द लॉन्च करेगा ऐतिहासिक मिशन
भारत भी अपने मिशन मून की दिशा में काफी तेजी से काम कर रहा है और माना जा रहा है, कि इस साल के अंत तक या फिर अगले साल की शुरूआत में भारत अपने चद्रमा मिशन को लॉन्च करेगा। भारत के साथ साथ रूस और जापान भी इस साल के अंत कर चंद्रमा के लिए अपने विशेष अभियान को लॉन्च करने वाले हैं। हालांकि, अमेरिका में स्पेसक्राफ्ट भेजने का काम अब निजी कंपनियां, जैसे स्पेसएक्स करने लगी है, वहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अपने मेगा मून रॉकेट को इसी महीने लॉन्च करेगा और वो इस रेस में सबसे आगे निकल जाएगा।
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180 मिलियन डॉलर का है मिशन
भारत और दक्षिण कोरिया काफी अच्छे दोस्त हैं और दोनों मिशन मून के लिए काफी तेजी से काम कर रहे हैं और रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण कोरिया का यह मिशन 180 मिलियन डॉलर है। चंद्रमा पर खोज की दिशा में दक्षिण कोरिया का ये पहला कदम है, जो चंद्रमा की सतह से सिर्फ 62 मील यानि करीब 100 किलोमीटर की ऊंचाई से काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। दक्षिण कोरिया का ये सैटेलाइट सूरज की ऊर्जा से संचालित होगा और निम्न ध्रूवीय कक्षा से काम करने वाले इस स्पेसक्राफ्ट के जरिए कम से कम एक साल कर चंद्रमा के भू-गर्भ, लैंडिंग साइट और दूसरी तरह की जानकारियों को इकट्ठा करने के लिए डिजाइन किया गया है। दक्षिण कोरिया ने पिछले 6 हफ्तों में अंतरिक्ष में दूसरा बड़ा मिशन लॉन्च किया है। इससे पहले जून में, दक्षिण कोरिया ने पहली बार अपने खुद के रॉकेट का उपयोग करके उपग्रहों के एक पैकेज को पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। इससे पहले दक्षिण कोरिया की एक कोशिश खराब हो चुकी है, लेकिन जून महीने में मिशन कामयाब हो गया था।
दक्षिण कोरिया के कई स्पेस मिशन
वहीं, इससे पहले मई महीने में दक्षिण कोरिया ने नासा के साथ मिलकर चंद्रमा के लिए एक मिशन लॉन्च किया था, जिससे आने वाले सालों में दशकों तक पता चलता रहे, कि वैज्ञानिकों को लेकर गई टीम कहां कहां पर चंद्रमा पर उतर सकती है। इसके साथ ही, नासा अपने आर्टेमिस कार्यक्रम में पहले प्रक्षेपण के लिए इस महीने के अंत का लक्ष्य बना रहा है। लक्ष्य दो साल में एक चालक दल के चढ़ने से पहले सिस्टम का परीक्षण करने के लिए चंद्रमा के चारों ओर एक खाली क्रू कैप्सूल भेजना है। दक्षिण कोरिया का मिशन डेनुरीक, जिसका मतलब 'चंद्रमा पर आनंद' है, वो अपमे साथ नासा का एक कैमरा समेत 6 वैज्ञानिक उपकरण लेकर गया है। इसे चंद्र ध्रुवों पर स्थायी रूप से छायांकित, बर्फ से भरे क्रेटरों में देखने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जमे हुए पानी के सबूत के कारण नासा भविष्य के अंतरिक्ष यात्री चौकी के लिए चंद्र दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की कोशिश कर रहा है। इसके साथ ही, दक्षिण कोरिया की योजना 2030 तक एक रोबोटिक जांच के लिए अपना खुद का अंतरिक्ष यान को चंद्रमा पर उतारने की है।
डेनुरीक मिशन है सिर्फ एक शुरूआत
कोरिया एयरोस्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष सांग-रयूल ली ने स्पेसएक्स लॉन्च वेबकास्ट में कहा कि, "डेनुरीक सिर्फ शुरुआत है और स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट ने डेनुरीक को लेकर केप कैनावेरल से सूर्यास्त के करीब उड़ान भरी। पहले चरण का बूस्टर अपनी छठी उड़ान बनाते हुए आगे के पुनर्चक्रण के लिए कई मिनट बाद एक समुद्र के प्लेटफॉर्म पर उतरा। दक्षिण कोरिया का ये ऑर्बिटर चंद्रमा पर बर्फ, यूरेनियम, हीलियम-3, सिलिकॉन और एल्यूमीनियन खोजने के काम का सर्वेक्षण करेगा और भविष्य में चंद्रमा पर कहां कहां उतरा जा सकता है, उसका नक्शा तैयार करेगा।
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