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कोरोना के बीच दक्षिण कोरिया में Brain-Eating Amoeba से पहली मौत, जानें क्या है यह घातक रोग ?

कोरोना के कहर के बीच दक्षिण कोरिया में ब्रेन-ईटिंग अमीबा से मौत का पहला मामला सामने आया है। पीड़ित चार महीने थाईलैंड में रहकर लौटा था। यह बीमारी बहुत ही जानलेवा मानी जाती है।

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Brain-Eating Amoeba case in South Korea: चीन में कोरोना वायरस की नई लहर के चलते त्राहिमाम मचा है तो उसके पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया में एक नई बीमारी ने दस्तक दे दी है। इस बीमारी का नाम है ब्रेन-ईटिंग अमीबा या दिमाग खाने वाला अमीबा। साउथ कोरिया में इस रोग का यह पहला मामला है, जिसमें पीड़ित की अस्पताल में मौत हो चुकी है। मृतक की ट्रैवल हिस्ट्री यह रही है कि वह चार महीने थाईलैंड में रहकर आया था और अपने देश लौटने के साथ ही उसमें मैनेंजाइटिस वाले लक्षण उभरने शुरू हो गए थे। आइए जानते हैं कि क्यों बहुत ही घातक मानी जाती यह बीमारी और भारत में इसका पहला मामला कहां और कब सामने आया था।

ब्रेन-ईटिंग अमीबा से दक्षिण कोरिया में पहली मौत

ब्रेन-ईटिंग अमीबा से दक्षिण कोरिया में पहली मौत

दक्षिण कोरिया में 50 साल की उम्र के एक शख्स की नेगलेरिया फाउलेरी के इंफेक्शन से मौत हो गई है। इसे सामान्य भाषा में 'ब्रेन-ईटिंग अमीबा' (मस्तिष्क खाने वाला अमीबा) के नाम से जाना जाता है। दिवंगत व्यक्ति थाईलैंड से लौटा था और कोरिया टाइम्स के मुताबिक कोरिया डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन एजेंसी का कहना है कि देश में इस जानलेवा बीमारी से हुई यह पहली मौत है। वह शख्स 10 दिसंबर को ही थाईलैंड से लौटा था, जहां वह चार महीने रहकर आया था।

इलाज के दौरान मरीज ने दम तोड़ा

इलाज के दौरान मरीज ने दम तोड़ा

रिपोर्ट के मुताबिक थाईलैंड से लौटने के बाद इस मरीज में मैनेंजाइटिस के लक्षण दिखने शुरू हो गए। जैसे कि सिर में दर्द, बुखार, उल्टी, अस्पष्ट उच्चारण और गर्दन में अकड़न। यह लक्षण उसमें उसकी वापसी वाले दिन में ही शाम में दिखाई पड़ने लगे और अगले दिन उसे इमरजेंसी में दाखिल कराया गया। उसका करीब 10 दिन इलाज चला, लेकिन 21 दिसंबर को उसने इलाज के दौरान ही दम तोड़ दिया। कोरियाई हेल्थ एजेंसी के मुताबिक उसकी मौत का कारण जानने के लिए तीन अलग-अलग संक्रमण की जेनेटिक टेस्टिंग की गई, जिससे कि नेगलेरिया फाउलेरी होती है। जांच में खुलासा हुआ कि उसके शरीर में वह जीन मौजूद है जो विदेश में मैनेंजाइटिस के मरीज में पाए गए जीन से 99.6% समान है।

ब्रेन-ईटिंग अमीबा का संक्रमण कैसे होता है ?

ब्रेन-ईटिंग अमीबा का संक्रमण कैसे होता है ?

कोरिया डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन एजेंसी अभी तक इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाया है कि पीड़ित 'ब्रेन-ईटिंग अमीबा' से कैसे संक्रमित हुआ। हालांकि, उसने इस बात की ओर इशारा किया है कि यह दूषित पानी में तैरने और उससे नाक धोने से हो सकता है। अमेरिकी नेशनल हेल्थ एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक नेगलेरिया फाउलेरी एक अमीबा है जो कि मिट्टी और गर्म ताजा पानी में रहता है। यानि यह झीलों, नदियों, तालाबों और गर्म झरनों में रहता है।

नेगलेरिया फाउलेरी को ब्रेन-ईटिंग अमीबा क्यों कहते हैं ?

नेगलेरिया फाउलेरी को ब्रेन-ईटिंग अमीबा क्यों कहते हैं ?

नेगलेरिया फाउलेरी को आम भाषा में ब्रेन-ईटिंग अमीबा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसकी वजह से मस्तिष्क का संक्रमण होता है। जब नाक के माध्यम से दूषित पानी मस्तिष्क में पहुंच जाता है तो यह रोग होने की आशंका रहती है। वैसे अमेरिका में हर साल करीब तीन लोग ही इस अमीबा से संक्रमित होते हैं, लेकिन यह इस वजह से बहुत ही खतरनाक माना जाता है, क्योंकि आमतौर पर यह प्राण घातक साबित होता है।

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ब्रेन-ईटिंग अमीबा का भारत में पहला केस ?

ब्रेन-ईटिंग अमीबा का भारत में पहला केस ?

नेगलेरिया फाउलेरी का पहला मामला 1937 में अमेरिका में सामने आने की बात कही जाती है। यह नाक के माध्यम से दिमाग तक पहुंचकर उसके ऊतकों को तबाह करना शुरू कर देता है। यह अपना प्रतिरूप भी बहुत ही तेजी से तैयार करता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की वेबसाइट के मुताबिक भारत में इसका पहला मामला करीब दो दशक पहले कर्नाटक के मैंगलोर में आया था। इसकी चपेट में 5 महीने का एक नवजात आ गया था, जिसके बारे में आशंका है कि यह अमीबा दूषित पानी से नहाने (कुएं के पानी) के दौरान उसके मस्तिष्क में पहुंच गया होगा। वह नवजाज पहले कोमा में चला गया और अस्पताल में दाखिल कराने के दूसरे दिन ही उसकी मौत हो गई।


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English summary
Infection with brain-eating amoeba killed one person in South Korea. The person had returned from Thailand some time back. This disease is caused by bathing in contaminated water
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