वैज्ञानिकों ने देखा अबतक का सबसे विशाल धूमकेतु, 85 मील है चौड़ाई, जानिए क्यों हो रही है ग्रह से तुलना
लंदन, 9 फरवरी: अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को अबतक के सबसे विशाल धूमकेतु का पता चल गया है, जिसे मेगाकॉमेट कहा जा रहा है। इससे पहले जो धूमकेतु खुली आंखों से भी देखा गया था, वह भी आकार में इसका लगभग आधा ही था। इतने विशाल धूमकेतु के दिखने को लेकर चर्चा ऐसे समय में शुरू हुई है, जब अमेरिका अपने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को आने वाले वर्षों में नष्ट करने पर विचार कर रहा है। अभी जो 2014 यूएन271/(बर्नार्डिनेली-बर्नस्टीन) नाम का विशाल धूमकेतु वैज्ञानिकों ने देखा है, वह 8 वर्ष पहले भी नजर आया था। लेकिन, तब इसके आकार का सटीक अनुमान नहीं लग पाया था और अंदाजे से ही काम चल रहा था। इस धूमकेतु का आकार कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इसी से लग जाता है कि इसके दसवें हिस्से के बराबर उल्का पिंडों की वजह से करोड़ों वर्ष पहले डायनासोर जैसे जीव इस धरती से विलुप्त ही हो गए थे। खास बात ये है कि वैज्ञानिकों के मुताबिक ऊर्ट क्लाउड में ऐसे खरबों पिंड पड़े हुए हैं, जो समय-समय पर वैज्ञानिकों की चिंता और चर्चा के कारण बनते हैं।
वैज्ञानिकों ने देखा अबतक का सबसे विशाल धूमकेतु
मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने एक विशाल धूमकेतु देखा है, जिसे अबतक का सबसे बड़ा धूमकेतु कहा जा रहा है। कॉमेट 2014 यूएन271/(बर्नार्डिनेली-बर्नस्टीन) की पहली झलक करीब आठ वर्ष पहले ही मिली थी। तभी वैज्ञानिक उसे देखकर भौंचक्के रह गए थे और माना था कि यह अबतक का सबसे विशाल धूमकेतु हो सकता है। उस समय माना गया कि यह 60 मील से 230 मील (100 से 370 किलोमीटर) चौड़ा हो सकता है। लेकिन, इसके आकार का सही अंदाजा नहीं लग पाया था। उस समय यह उतनी ही दूरी पर था, जितना कि नेप्चून है। लेकिन, अब इसके आकार को लेकर तथ्यात्मक रूप से पुष्टि कर दी गई है।
दिल्ली से मथुरा जितना विशाल धूमकेतु
वैज्ञानिकों ने सटीक गणना के आधार पर संकेत दिया है कि यह विशाल धूमकेतु या जिसे मेगाकॉमेट कह रहे हैं, वह 85 मील यानी करीब 137 किलोमीटर बड़ा है। यह दूरी लगभग उतनी है, जितनी सड़क मार्ग से लंदन से बर्मिंघम या न्यूयॉर्क से फिलाडेल्फिया या फिर दिल्ली से हवाई मार्ग के जरिए भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा। पेरिस ऑब्जर्वेटरी के डॉक्टर एम्मयुनल लेलॉच ने न्यू साइंटिस्ट से कहा है, 'हमने अनुमान की पुष्टि कर ली है।' 'यह अब तक मिले ऊर्ट क्लाउड का सबसे विशाल धूमकेतु है।' डॉ लेलॉच और उनकी टीम ने चिली में अटाकामा लार्ज मिलीमीटर/सबमिलीमीटर ऐरे (एएलएमए) का इस्तेमाल करके इसके सही आकार की खोज की है।
Recommended Video
ऊर्ट क्लाउड क्या है ?
नासा के मुताबिक ऊर्ट क्लाउड हमारे सौर मंडल का सबसे दूरस्थ क्षेत्र है। इसकी व्याख्या 'अंतरिक्ष के मलबे के बर्फीले टुकड़ों से बने बड़े, मोटी दीवार वाले बुलबुले" के रूप में किया गया है। कुछ टुकड़े तो पहाड़ों के आकार के और उससे भी विशाल होते हैं और ऐसे खरबों टुकड़े उसमें मौजूद हो सकते हैं। यह विशाल धूमकेतु इससे पिछले विशालकाय धूमकेतु हेल-बोप से भी दोगुना है, जिसे 1995 में दो शौकिया खगोलविदों, न्यू मैक्सिको में एलन हेल और एरिजोना में थॉमस बोप ने खोजा था। उन्हीं के नाम पर उसका नाम पड़ा था। वह करीब 74 से 80 किलोमीटर बड़ा था। 1990 की दशक में वह पुच्छलतारा करीब 18 महीनों तक खुली आंखों से भी देखा जा सकता था।
मेगाकॉमेट की क्यों हो रही है ग्रह से तुलना
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के बीच इस विशाल धूमकेत की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि इसका आकार इतना बड़ा है कि यह छोटे ग्रह जितना है। यही नहीं यह आकार उन उल्का पिंडों से भी 10 गुना बड़ा है, जिसके बारे में माना जाता है कि 6.5 करोड़ साल से भी पहले वे डायनासोर के विलुप्त होने के कारण बने थे। एक उल्का पिंड का आकार करीब 11 किलोमीटर से थोड़ा ज्यादा होता है। हालांकि, इसकी विशालता के बावजूद वैज्ञानिक इसको लेकर चिंतित नहीं हैं, क्योंकि यह जिस कक्षा में है, उससे कभी भी ये शनि को नहीं पार करेगा, जो कि करीब 74.6 करोड़ मील दूर है।
विशाल धूमकेतु के बारे में पता लगना क्यों अहम है ?
नए और विशाल धूमकेतु का पता तब लगा है, जब अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा अगले दस वर्षों में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को समुद्र में गिराने पर विचार कर रहा है। स्पेस एजेंसी की योजना इस लैब को उसकी कक्षा से निकालकर 2031 के जनवरी में 'स्पेसक्राफ्ट की कब्रगाह' में भेजने की है। लैटिन में प्वाइंट नीमो या 'कोई नहीं' ही अनुपयोगी सैटेलाइट, स्पेस स्टेशन और रॉकेट को डुबोने का आदर्श स्थान माना जाता है, जो कि पृथ्वी पर जमीन से सबसे दूर वाली जगह है। इससे सबसे नजदीकी इंसान इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर मौजूद अंतरिक्ष यात्री हैं, जो उससे 400 किलोमीटर ऊपर मौजूद हैं। उस जगह को 1971 से स्पेस एजेंसियां डंपिंग ग्राउंड के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 2030 तक तो आईएएस को चलाने का वादा किया हुआ है, लेकिन उससे आगे को लेकर अभी कुछ साफ नहीं है।
अंतरिक्ष में यह विशाल चीज क्या है ?
वैसे अंतरिक्ष में एक और ऑब्जेक्ट भी मौजूद है, जिसे 95पी/चिरॉन के नाम से जाना जाता है। इसकी कक्षा शनि और यूरेनस के बीच है जो 130 मील जितना बड़ा है। लेकिन, वैज्ञानिक इसको लेकर अबतक यह तय नहीं कर सके हैं कि वह धूमकेतु है या फिर कोई छोटा ग्रह। (तस्वीरें- सांकेतिक)