क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

US-Saudi Tie: अमेरिका के सामने अड़ गया सऊदी अरब, कहा- चुनाव जीतने के लिए गिड़गिड़ा रहे थे बाइडेन

अफगानिस्तान से निकलने में जल्दबाजी और यूक्रेन में युद्ध रोकने में नाकाम रहने के लिए अमेरिका में जो बाइडेन के खिलाफ बड़ा माहौल बना हुआ है और उनकी रेटिंग ऐतिहासिक स्तर पर 30 प्रतिशत से भी नीचे जा चुकी है

Google Oneindia News

Saudi Arab-US conflict: अमेरिका और सऊदी अरब के बीच का विवाद काफी बढ़ गया है और अंजाम भुगतने की मिली धमकी के बाद सऊदी अरब ने यूएस पर बड़ा पलटवार किया है। अब सऊदी ने जबरदस्त पलटवार करते हुए कहा है, कि अमेरिका का मकसद तेल प्रोडक्शन कम करने के फैसले को सिर्फ एक महीने और टालना था, ताकि बाइडेन अगले महीने होने वाले सीनेटर्स चुनाव में उसका फायदा उठा सके। सऊदी अरब ने एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि, अमेरिका ने ओपेक और उसके सहयोगियों, जिसमें रूस भी शामिल है, उसके तेल उत्पादन में कटौती के फैसले को एक महीने और स्थगित करने का आग्रह किया था।

सऊदी अरब का सनसनीखेज आरोप

सऊदी अरब का सनसनीखेज आरोप

सऊदी अरब के आरोप अगर सही है, तो इससे साफ जाहिर होता है, कि अमेरिका को दुनिया में तेल और गैस की बढ़ती कीमतों से कोई फर्क नहीं है और बाइडेन हर हाल में मध्यावधि चुनाव जीतना चाहते हैं, ताकि चुनाव से पहले अमेरिका में तेल और गैस की कीमतों में इजाफा ना हो। बाइडेन अमेरिका में तेल और गैस की कीमतों को स्थिर कर चुनाव में होने वाले जोखिमों को कम करना चाहते थे। हालांकि, सऊदी अरब विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में विशेष रूप से 8 नवंबर के चुनावों का उल्लेख नहीं किया गया है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कांग्रेस में अपने डेमोक्रेटिक बहुमत को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, बयान में साफ साफ कहा गया है, कि अमेरिका ने "सुझाव" दिया कि कटौती में एक महीने की देरी की जाए। आपको बता दें कि, ओपेक प्लस ने वियना में अपनी 5 अक्टूबर की बैठक में हर दिन 2 मिलियन बैरल तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा की थी।

बाइडेन की पार्टी को होगा नुकसान?

बाइडेन की पार्टी को होगा नुकसान?

अफगानिस्तान से निकलने में जल्दबाजी और यूक्रेन में युद्ध रोकने में नाकाम रहने के लिए अमेरिका में जो बाइडेन के खिलाफ बड़ा माहौल बना हुआ है और उनकी रेटिंग ऐतिहासिक स्तर पर 30 प्रतिशत से भी नीचे जा चुकी है, लिहाजा बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी परेशान है। वहीं, रूसी तेल पर कई तरह के प्रतिबंध लगाने के बाद से अमेरिका में तेल और गैस की कीमतें काफी ज्यादा बढ़ी हुई हैं। वहीं, तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से अमेरिका समेत दुनियाभर में महंगाई काफी ज्यादा बढ़ी हुई हैं। जिसकी वजह से अमेरिका के ऊपर सहयोगी देशों का भी भारी दवाब है। इसके साथ ही यूक्रेन संकट ने वैश्विक खाद्य संकट को भी बढ़ा दिया है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि गैसोलीन की बढ़ती कीमत मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है और कई सांसदों ने चेतावनी दी है, कि अमेरिका को सऊदी अरब को हथियारों की सप्लाई रोकने पर विचार करनी चाहिए।

टूटने के कगार पर सऊदी-यूएस संबंध

टूटने के कगार पर सऊदी-यूएस संबंध

वहीं, व्हाइट हाउस ने सऊदी अरब के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, लेकिन अमेरिका को लेकर सऊदी अरब ने जो बयान दिया है, वो काफी दुर्लभ माना जा रहा है और साफ तौर पर इस बात का संकेत है, कि अमेरिका और सऊदी के बीच का संबंध किस हद तक खराब और तनावपूर्ण हो चुके हैं। जबकि, व्हाइट हाउस ने बगैर किसी देश का नाम लिए कहा कि, ओपेक के कुछ देश नहीं चाहते थे, कि तेल प्रोडक्शन में कमी की जाए। वहीं, अमेरिका ने तेल कटौती के इस फैसले को अदूरदर्शी फैसला करार दिया है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एड्रिएन वाटसन ने कहा कि, "इसे अमेरिकी चुनावों से जोड़ना स्पष्ट रूप से गलत है।" उन्होंने कहा कि, "यह हमेशा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और घर और दुनिया भर के परिवारों पर प्रभाव के बारे में रहा है, विशेष रूप से (रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर) पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ जबसे युद्ध छेड़ा है, उसके बाद से।"

बाइडेन के आने से बिगड़े संबंध

बाइडेन के आने से बिगड़े संबंध

डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में अमेरिका और सऊदी अरब के बीच के संबंध ऐतिहासिक तौर पर करीबी हो गये थे और डोनाल्ड ट्रंप के कहने पर सऊदी की मदद से संयुक्त अरब अमीरात ने इजरायल के साथ डिप्लोमेटिक संबंध भी जोड़ लिए थे। वहीं, जमाल खशोगी मर्डर के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को रिपोर्ट सार्वजनिक करने से रोक दिया था, जिसमें आरोप सीधे तौर पर सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पर थे। लेकिन, बाइडेन के सत्ता में आते ही दोनों देशों के बीच दूरी बनने लगी। पिछले साल राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद जो बाइडेन ने प्रिंस सलमान से फोन पर बात करने से मना कर दिया था, जबकि बाइडेन का फोन प्रिंस सलमान ने नहीं उठाया। मजबूरन जो बाइडेन को प्रिंस सलमान से मिलने के लिए रियाद तक का दौरा करने लगा। जो बताता है, कि बाइडेन के प्रशासन में अमेरिका की विदेश नीति कितनी कमजोर हो गई है। वहीं, रूस पर अमेरिका ने इतने ज्यादा प्रतिबंध थोप दिए हैं, कि उसका नुकसान रूस से भी ज्यादा उसके ही सहयोगियों पर हो रहा है।

तेल कटौती पर सऊदी का पक्ष

तेल कटौती पर सऊदी का पक्ष

सऊदी विदेश मंत्रालय के बयान में इस बात को स्वीकार किया गया है, कि सऊदी अरब पिछले सप्ताह घोषित ओपेक + की 2 मिलियन बैरल तेल कटौती को स्थगित करने के बारे में अमेरिका से बात कर रहा था। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि, "राज्य की सरकार ने अमेरिकी प्रशासन के साथ अपने निरंतर परामर्श के माध्यम से स्पष्ट किया है, कि सभी आर्थिक विश्लेषणों से संकेत मिलता है कि ओपेक + के फैसले को एक महीने के लिए स्थगित करने से नकारात्मक आर्थिक परिणाम होंगे।" वहीं, सऊदी अरब विदेश मंत्रालय ने इस सप्ताह वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक लेख के विवरण की पुष्टि की है, जिसमें अज्ञात सऊदी अधिकारियों के हवाले से कहा गया था, कि अमेरिका ने मध्यावधि चुनाव से ठीक पहले ओपेक + उत्पादन में कटौती करने की मांग की थी। जर्नल ने सऊदी अधिकारियों के हवाले से इस कदम को वोट से पहले बाइडेन द्वारा एक राजनीतिक जुआ के रूप में वर्णित किया। वहीं, सऊदी अरब ने तेल कटौती के फैसले को यूक्रेन युद्ध से जोड़ने के लिए अमेरिका की आलोचना भी की है।

यूक्रेन युद्ध पर सऊदी का पक्ष

यूक्रेन युद्ध पर सऊदी का पक्ष

आपको बता दें कि, सऊदी अरब और पड़ोसी संयुक्त अरब अमीरात, जो ओपेक के प्रमुख उत्पादक देस हैं, उन्होंने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें रूस के चार यूक्रेनी क्षेत्रों के "अवैध रूप से कब्जा करने का प्रयास" की निंदा की गई और इसके तत्काल उलटने की मांग की गई। यानि, संयुक्त राष्ट्र में सऊदी अरब और यूएई ने रूस के खिलाफ मतदान किया था। वहीं, जब साल 2016 में अमेरिकी प्रोडक्शन में तेज इजाफा किया गया और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत गिरकर 30 डॉलर प्रति बैरल तक आ गया, उस वक्त भी सऊदी ने तेल की कीमतों को मेंटेन रखने के लिए प्रोडक्शन में कमी कर दी थी और 2016 के समझौते ने तथाकथित ओपेक + को जन्म दिया, जिसमें रूस को भी शामिल किया गया, जो कीमतों को प्रोत्साहित करने में मदद करने के लिए उत्पादन में कटौती करने वाले कार्टेल में शामिल हो गया।

अमेरिका सऊदी अरब का क्या कुछ बिगाड़ सकता है? परिणाम भुगतने और रिश्ते पर पुनर्विचार की धमकीअमेरिका सऊदी अरब का क्या कुछ बिगाड़ सकता है? परिणाम भुगतने और रिश्ते पर पुनर्विचार की धमकी

Comments
English summary
Saudi Arabia has alleged that the Biden administration had asked to postpone the decision to cut oil production by a month because of the election.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X