आर्कटिक की बर्फ में रूस ने जमा किए विध्वंसक हथियार, सैटेलाइट तस्वीरों में खुलासा, दुनिया खत्म करने में सक्षम
अमेरिका से तनाव के बीच रूस ने आर्कटिक में अपनी मिलिट्री बेस को काफी मजबूत कर लिया है। रूसी रक्षामंत्रालय ने इसको लेकर वीडियो भी जारी किया है।
वाशिंगटन: ऐसा लग रहा है कि पूरी दुनिया में महाविनाशक हथियारों का जखीरा जमा करने की होड़ सी लगी है और दुनिया की महाशक्तियां इस काम में सबसे आगे है। रूस और अमेरिका में तनाव काफी ज्यादा बढ़ा हुआ है और इन सबके बीच सैटेलाइट तस्वीरों में खुलासा हुआ है कि आर्कटिक की बर्फ में रूस ने महाविनाशक हथियारों का जखीरा जमा कर लिया है। सैटेलाइट तस्वीरों में खुलासा हुआ है कि आर्कटिक में रूस मे विध्वंसक हथियार के साथ बेहद खतरनाक मिलिट्री कैंप का निर्माण कर लिया है। (तस्वीर सौजन्य- सीएनएन)
आर्कटिक में परमाणु पनडुब्बियां
सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से अमेरिकन न्यूज पेपर सीएनएन ने खुलासा किया है कि रूस ने आर्कटिक की बर्फ में पल में दुश्मनों को नेस्त-नाबूत कर देने वाले हथियार जमा कर लिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक रूसी नौसेना ने कुछ हफ्ते पहले आर्कटक में तीन बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती की है। रूसी रक्षामंत्रालय ने बकायदा वीडियो जारी कर दुनिया को अपने महाविनाशक हथियारों के बारे में बताया है। सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस ने आर्कटिक में अपने मिलिट्री बेस कैंप को काफी ज्यादा बढ़ा लिया है और रूस लगातार इस इलाके में अपने नये नये हथियारों की टेस्टिंग कर रहा है।
प्रमुख शिपिंग मार्ग खोलने की कोशिश
सीएनएन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आर्कटिक के उत्तरी तट को रूस पूरी तरह से सुरक्षित करना चाहता है साथ ही साथ यूरोप के लिए एक प्रमुख समुन्द्री मार्ग खोलने की भी कोशिश लगातार रूस की तरफ से की जा रही है। वहीं, रूसी हथियारों पर नजर रखने वाले रक्षा विशेषज्ञों को खास तौर पर पोसाइडन 2 एम 39 टारपीडो को लेकर काफी ज्यादा चिंता है। बताया जा रहा है कि पोसाइडन 2 एम 39 टारपीडो के डेवलपमेंट का नेतृत्व खुद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कर रहे हैं।
बेहद खतरनाक परमाणु टारपीडो
इसी साल फरवरी महीने में रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू ने इस टारपीडो के टेस्ट को लेकर कहा था कि ये टेस्ट टारपीडो का की स्टेज है। रिपोर्ट के मुताबिक ये टारपीडो मानवरहित स्टील्थ टारपीजो है और इसे एक परमाणु रिएक्टर के जरिए एनर्जी मिलती है। इसके जरिए किसी भी टार्गेट पर मिनटों में परमाणु हमला किया जा सकता है। रूस ने दावा किया है कि इस टारपीडो की मदद से रूस अपने दुश्मन के किसी भी टार्गेट पर कई मेगाटन के परमाणु हथियारों से हमला कर सकता है और दुश्मनों के समुन्द्री इलाकों में रेडियोएक्टिव तरंगों को फैलाया जा सकता है। इन रेडियोएक्टिव तरंगों से समंदर के किनारे सदियों तक जीव जंतु ना जन्म ले सकेंगे और ना ही यहां रह सकेंगे।
समंदर में रेडियोएक्टिव सुनामी
नवंबर 2020 में अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के तत्कालीन सहायक सचिव क्रिस्टोफर ए फोर्ड ने कहा था कि पोसाइडन के रेडियोएक्टिव सुनामी के साथ अमेरिका के समुन्द्री इलाकों और समंदर के पास स्थित शहरों में घुसने के लिहाज से डिजाइन किया गया है। हथियार विशेषज्ञ मानते हैं कि रूस का ये हथियार वास्तविक और विनाशकारी है। सीएनएन से बात करते हुए नॉर्वे के खुफिया विभाग के प्रमुख वाइस एडमिरल नेल्स एंड्रियास स्टेंसोनेस ने कहा था कि उनकी एजेंसी ने पोसाइडन का आंकलन नये प्रकार के परमाणु हथियार के तौर पर किया है। इसका मतलब ये हुआ कि अगर कोई देश रूस के ऊपर न्यूक्लियर अटैक करता है तो रूस इन टारपीडो के जरिए फौरन उस देश पर जवाबी हमला कर सकता है। उन्होंने कहा कि ये न्यूक्लियर टारपीडो पोसाइडन रूस के स्टैटजिक सिस्टम का हिस्सा है, इसीलिए इसे किसी निश्चित टार्गेट पर ही फायर किया जा सकता है।
टारपीडो से नाटो-अमेरिका को डर
रूस अपने इस टारपीडो पोसाइडन का प्रदर्शन पहले ही दुनिया के सामने कर चुका है और इसकी मारक क्षमता को लेकर अमेरिका और सहयोगी नाटो देशों में भी डर है। माना जा रहा है कि रूस अपने इस टारपीटो को बहुत जल्द नौ-सेना में शामिल करेगा। दरअसल, नॉर्वे में अमेरिका ने अपने बॉम्बर्स की तैनाती कर दी है जिसकी वजह से रूस काफी गुस्से में है और उसने अपनी नौसेना के उत्तरी फ्लीट की तैनाती कर दी है। ये फ्लीट रूसी नौ-सेना की सबसे खतरनाक फ्लीट मानी जाती है। इसे खासतौर पर रूस ने अमेरिका और यूरोपीय देशों से होने वाले किसी भी लड़ाई को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है। इस फ्लीट में कई युद्धपोक, परमाणु पनडुब्बियों को रूस ने शामिल कर रखा है। ये फ्लीट कितनी खतरनाक है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इसके जरिए रूस पूरी पृथ्वी को खत्म करने की क्षमता रखता है।
आर्कटिक में लड़ाकू विमान
अमेरिकी चैनल सीएनएन ने स्पेस टेक्नोलॉडी कंपनी मैक्सार की सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर दावा करते हुए रिपोर्ट जारी की है कि आर्कटिक में रूस ने अपने सैन्य ठिकाने को काफी ज्यादा मजबूत कर लिया है। रूस ने यहां पर पोसाइडन टारपीडो के अलावा कई बेहद घातक हथियारों की तैनाती कर रखी है। रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने आर्कटिक में बम बरसाने वाले विमान, मिग-31 बीएम जेट्स की भी तैनाती कर चुका है। साथ ही रूस ने अलास्का के तट पर नये रडार सिस्टम की भी तैनाती की है। रूस ने इस इलाके में नाटो और अमेरिका के बराबर ही फौजियों और हथियारों की तैनाती कर रखी है। उदाहरण के तौर पर नॉर्वे के आरलैंड एयरबेस में अमेरिकी बी-1 लांसर बमवर्षकों ने कुछ समय पहले ही पूर्वी बेरेंट सागर में अपने खास मिशन को पूरा किया है।
200 से ज्यादा मिसाइलों की टेस्ट
इसके अलावा अमेरिका और नाटो को चुनौती देने के लिए रूस ने इस साल 200 से ज्यादा मिसाइलों के परीक्षण करने का ऐलान किया है। रूस ने ये ऐलान उस वक्त में की है, जब उसकी खतरनाक सतान-2 हाइपरसोनिक अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल बहुत जल्द बनकर तैयार होने वाली है। रूस के रक्षामंत्रालय के तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति पुतिन के नेतृत्व में 200 मिसाइलों का परीक्षण किया जाएगा। रूस ने पिछले साल भी 200 के करीब मिसाइलों का परीक्षण किया था। इसके अलावा रूस इस समय आरएस-28 सरमत मिसाइल को फ्लाइट ट्रायल के लिए तैयार कर रहा है। कहा जा रहा है कि ये मिसाइल किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह से बर्बाद करने में सक्षम है।