रूस ने भारत को अब भारी छूट पर तेल देने से किया मना, दो भारतीय कंपनियों के साथ सौदे से इनकार
रोसनेफ्ट के साथ नए टर्म सप्लाई सौदों पर बात नहीं बनने के बाद अब भारतीय रिफाइनर अधिक महंगे तेल के लिए स्पॉट बाजार की ओर रुख करना पड़ सकता है।
मॉस्को/नई दिल्ली, जून 10: रूस ने अब भारत को भारी छूट पर कच्चा तेल देने से इनकार कर दिया है। यानि, भारी छूट पर अभी तक रूस से तेल मिलने का ऑफर अब खत्म हो गया है। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस ने भारत को भारी छूट पर कच्चे तेल के निर्यात का ऑफर दिया था, लेकिन अब ताजा रिपोर्ट ये है, कि रूस ने भारत की दो तेल कंपनियों के साथ भारी छूट पर कच्चे तेल का सौदा करने से इनकार कर दिया है।
भारी छूट पर तेल का ऑफर खत्म
रूस के रोसनेफ्ट ने दो भारतीय रिफाइनर के साथ नए कच्चे तेल के सौदों पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। मामले की जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों ने कहा कि, रूस की तेल कंपनियों को अपने दूसरे ग्राहकों को भी तेल की आपूर्ति करनी थी, इसीलिए अब भारत को भारी छूट पक तेल देने के फैसले को ठंढ़े बस्ते में डाल दिया गया है। 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद मास्को के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से भारतीय रिफाइनर सस्ते रूसी तेल खरीद रहे हैं, क्योंकि पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ कई सख्त प्रतिबंध लगाए हैं और यूरोप ने तय किया है, कि अगले कुछ महीनों में रूसी तेल पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
महंगे दर पर खरीदना पड़ेगा तेल
रोसनेफ्ट के साथ नए टर्म सप्लाई सौदों पर बात नहीं बनने के बाद अब भारतीय रिफाइनर अधिक महंगे तेल के लिए स्पॉट बाजार की ओर रुख करना पड़ सकता है। वहीं, भारतीय तेल कंपनियों को छूट पर तेल देने से इनकार करना इस बात के सबूत हैं, कि पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गये कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का रूस के राजस्व पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा है और ज्यादातर देशों ने रूस से पहले की ही तरह तेल खरीदना जारी रखा है।
कौन सी कंपनियां खरीद रही थीं तेल
आपको बता दें कि, भारत की तीन तेल कंपनियां इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियन और हिंदुस्तान पेट्रोलियन ने इस साल की शुरूआत में रोसनेफ्ट के साथ कच्चे तेल के आयात के लिए बातचीत शुरू की थी, जिसके तहत रूस भारत को आकर्षक दरों पर तेल की सप्लाई करने वाला था और ये सौदा 6 महीने के लिए होने वाला था। लेकिन, सूत्रों ने बताया है कि, अब तक सिर्फ इंडियन ऑयल ही रोसनेफ्ट के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने में सफलता पाई है और इस समझौते के तहत इंडियन ऑयल हर महीने 60 लाख बैरल रूसी तेल खरीदेगा, जिसमें 30 लाख बैरल अधिक खरीदने का विकल्प होगा। सूत्रों ने कहा कि अन्य दो तेल कंपनियों के अनुरोधों को रूसी निर्माता ने ठुकरा दिया है।
एचपीसीएल, बीपीसीएल को झटका
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पेट्रोलियन और हिंदुस्तान पेट्रोलियन को झटका देते हुए रोसनेफ्ट ने करार करने से इनकार कर दिया है। सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सूत्र ने कहा कि, 'रोसनेफ्ट एचपीसीएल और बीपीसीएल के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है। वे कह रहे हैं कि उनके पास अब तेल ही नहीं बचा है'। सूत्रों ने कहा कि, आईओसी के साथ अनुबंध में सभी प्रमुख मुद्राओं जैसे रुपये, डॉलर और यूरो में भुगतान शामिल है, जो लेनदेन के समय उपलब्ध भुगतान तंत्र पर निर्भर करता है। वहीं, इस मुद्दे पर अभी तक आईओसी, एचपीसीएल और बीपीसीएल ने रॉयटर्स के सवालों का जवाब नहीं दिया है।
रूसी तेल पर हो चुका है बवाल
अब जाकर पता चल रहा है कि, रूस ने भारत की दो बड़ी कंपनियों को सस्ता तेल देने से इनकार कर दिया है, जबकि इस तेल के लिए पिछले तीन महीने से अच्छा खासा बवाल हो चुका है और यूरोपीय देशों के साथ साथ अमेरिका लगातार भारत के सामने एतराज जता चुका है। अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ साथ व्हाइट हाउस भी रूस से भारी छूट पर तेल खरीदने को लेकर भारत के सामने एतराज जता चुका है, लेकिन भारत की तरफ से साफ कर दिया गया था, कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदकर ही रहेगा। लेकिन, अब रूस ने भारत को भारी छूट पर कच्चा तेल देने से इनकार कर दिया है।