गिलगित बाल्टिस्तान कर रहा भारत में मिलने की मांग, पाकिस्तान के खिलाफ सड़कों पर विशाल जनसैलाब
यूक्रेन से गेहूं के आयात में गंभीर संकट के बाद क्षेत्र में गेहूं सब्सिडी में कटौती कर दी गई, इस कारण भी पिछले साल नवंबर से निवासियों के लिए परेशानी बढ़ गई है। क्षेत्र के लोग भारतीय कश्मीर की खुशहाली की भी बात करते हैं।
Anti-Pak protests in PoK: भीषण आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान में एक तरफ जहां आटा और दाल के लिए मारामारी चल रही है, वहीं गिलगित बाल्टिस्तान में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं और भारत में मिलने की मांग कर रहे हैं। लिहाजा, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके), गिलगित बाल्टिस्तान (जीबी) फिर से सुर्खियां बटोर रहा है और यहां के निवासी पाकिस्तान सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों के खिलाफ भारी प्रदर्शन कर रहे हैं। पाकिस्तान की सरकार ने इन क्षेत्रों के लोगों के साथ भारी भेदभाव और शोषण किया है, लिहाजा अब यहां के निवासियों के सब्र ने जवाब दे दिया है।
भारत में मिलने के लग रहे नारे
गिलगित बाल्टिस्तान से जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, उन वीडियो में गिलगित बाल्टिस्तान के लोग लद्दाख में भारत के साथ पुनर्मिलन की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में यहां के निवासियों में भारी असंतोष और गुस्सा देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में गिलगित-बाल्टिस्तान में एक विशाल रैली दिखाई गई है, जिसमें कारगिल सड़क को फिर से खोलने और भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के कारगिल जिले में मिलने की मांग की जा रही है। लोगों का कहना है, कि वो भारत में मिलना चाहते हैं, क्योंकि पाकिस्तान में उनके साथ भीषण शोषण किया जा रहा है।
करीब 2 हफ्तों से प्रदर्शन
करीब दो हफ्तों से पाकिस्तान के कब्जे वाले इन क्षेत्रों में प्रदर्शन चल रहा है और हजारों लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं। स्थानीय लोग लगातार गेहूं और अन्य खाद्य पदार्थों पर सब्सिडी की बहाली, लोड-शेडिंग, अवैध भूमि पर कब्जा, और क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों के शोषण जैसे विभिन्न मुद्दों को उठा रहे हैं। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र का बड़ा हिस्सा चीन को प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के लिए दे दिया है, लिहाजा स्थानीय निवासियों में इस बात को लेकर भी भारी गुस्सा है, जबकि पाकिस्तान का सैन्य प्रतिष्ठान गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र की भूमि और संसाधनों पर जबरदस्ती का दावा करता रहता है, लिहाजा पाकिस्तान सेना और सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध भी देखा गया है।
पाकिस्तान के खिलाफ क्यों फूटा गुस्सा
गिलगित-बाल्टिस्तान में जमीन का मुद्दा दशकों से विवादित बना हुआ है, लेकिन 2015 से स्थानीय लोग यह तर्क दे रहे हैं, कि जमीन गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों की ही है, क्योंकि यह क्षेत्र पीओके में है। वहीं, जिला प्रशासन का कहना है, कि जमीन पाकिस्तानी राज्य से संबंधित किसी व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं की गई है।
आर्थिक संकट और पाक विरोधी प्रदर्शन
पाकिस्तान एक बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है और देश भर के लोग गुज़ारे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। देश में बुनियादी जरूरतों के लिए लोगों को परेशान होना पड़ता है और आटा खरीदना भी पाकिस्तान के लोगों के लिए एक विलासिता बन गई हैं, क्योंकि देश के तीन प्रांतों में गेहूं नहीं है। इन सबके बीच रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। लिहाजा, गिलगित बाल्टिस्तान के लोग हजारों-हजार की संख्या में सड़कों पर आ गये हैं और कश्मीर घाटी में जाने वाले एक पारंपरिक मार्ग को व्यापार के लिए खोलने की मांग कर रहे हैं।
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इमरान खान की पार्टी की है सरकार
यूक्रेन से गेहूं के आयात में गंभीर संकट के बाद क्षेत्र में गेहूं सब्सिडी में कटौती कर दी गई, इस कारण भी पिछले साल नवंबर से निवासियों के लिए परेशानी बढ़ गई है। आपको बता दें कि, यह क्षेत्र इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेतृत्व वाली सरकार के अधीन आता है और कुछ पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स का कहना है, कि शहबाज शरीफ की सरकार जानबूझकर इमरान खान से बदले की राजनीति कर रही है।
भारत के लिए क्यों अहम है गिलगित-बाल्टिस्तान?
भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था, "भारत की उत्तर दिशा में विकास की यात्रा गिलगित और बाल्टिस्तान पहुंचने के बाद पूरी होगी।" जब रक्षा मंत्री ने यह बयान दिया, तो वह 1994 के एक प्रस्ताव का जिक्र कर रहे थे, जो संसद में पारित किया गया था और जिसमें कहा गया था, कि भारत इन क्षेत्रों को वापस हासिल करेगा। गिलगित बाल्टिस्तान को अक्सर जी-बी के रूप में संदर्भित किया जाता है, जो अपने शानदार ग्लेशियरों के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में ही इंडस नदी बहती है, जिससे पाकिस्तान को करीब 75 प्रतिशत जल की आपूर्ति होती है।
पाकिस्तान ने कैसे किया कब्जा?
26 अक्टूबर 1947 को जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने 1947 के जम्मू नरसंहार के साथ-साथ 1947 में कबीलों के भेष में घुसे पाकिस्तानी सैनिकों के आक्रमण के बाद भारत में शामिल होने के एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे। उस वक्त गिलगित, जो एक स्वतंत्र देश था, उसकी बड़ी आबादी, भारत में विलय के पक्ष में नहीं थी। जबकि क्षेत्र के निवासियों ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद पाकिस्तान में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी, वहीं पड़ोसी देश ने जम्मू और कश्मीर के साथ अपने क्षेत्रीय लिंक का हवाला देते हुए इस क्षेत्र में विलय नहीं किया। अब, पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यहां के निवासी भारत के साथ पुनर्मिलन की मांग कर रहे हैं।
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