Wuhan Summit: जिस होटल में रुकेंगे पीएम मोदी वहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम, खिड़कियां भी रहेंगी बंद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब से कुछ ही देर में चीन के दो दौरे पर रवाना होंगे। पीएम मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इनवाइट पर 'अनौपचारिक मुलाकात' के लिए सेंट्रल चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान पहुंचेंगे। पीएम मोदी शाम को चीन के लिए रवाना होंगे तो जिनपिंग वुहान पहुंच चुके हैं।
वुहान। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब से कुछ ही देर में चीन के दो दौरे पर रवाना होंगे। पीएम मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इनवाइट पर 'अनौपचारिक मुलाकात' के लिए सेंट्रल चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान पहुंचेंगे। पीएम मोदी शाम को चीन के लिए रवाना होंगे तो जिनपिंग वुहान पहुंच चुके हैं। पीएम मोदी को जिनपिंग की ओर अनौपचारिक मुलाकात का निमंत्रण दिया गया था। साल 2015 में पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच पहली द्विपक्षीय मुलाकात हुई थी और यह दूसरी द्विपक्षीय मुलाकात है। पीएम मोदी की सुरक्षा को लेकर यहां पर कड़े इंतजाम किए गए हैं।
दो दिनों तक बंद रहेंगी खिड़कियां
वुहान में जिस होटल में पीएम मोदी रुकेंगे उस होटल के सामने स्थित घरों और बाकी प्रतिष्ठानों की खिड़कियों को अगले दो दिन तक बंद रखा जाएगा। ऐसा एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से जारी आदेश के बाद किया गया है। जिनपिंग पीएम मोदी के स्वागत के लिए चीन पहुंच चुके हैं। वुहान, सेंट्रल चीन का दिल है और यह शहर में चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का सेंटर भी है। चीन का शहर वुहान में माओ त्से तुंग या जिन्हें माओ जेदोंग के नाम से भी जानते हैं, उनका बंगला है। माओ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक हैं और साल 1949 में उन्होंने इस पार्टी की स्थापना की थी। 1949 से लेकर साल 1976 तक यानी अपने निधन तक उन्होंने पार्टी का जिम्मा संभाला। माओ के लेखों, सैन्य रणनीतियों और राजनीतिक नीतियों को आज माओवाद के नाम से जानते हैं। सूत्रों की मानें तो मोदी और जिनपिंग की मुलाकात वुहान स्थित माओ के बंगले पर ही होगी।
मसूद अजहर पर होगी बात
चीन में भारत के राजदूत गौतम बंबावाले ने इस मुलाकात से पहले कहा है कि पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात के दौरान डोकलाम विवाद के साथ ही यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल में जैश-ए-मोहम्मद सरगान मौलाना मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने जैसे कई मुद्दों पर चर्चा होगी। इससे पहले चीन के विदेश वांग ई ने कहा था कि चीन इस 'अनौपचारिक मुलाकात' को निश्चित तौर पर मील के पत्थर में तब्दील होते और पूरी तरह से सफल होते देखना चाहेगा। पीएम मोदी से पहले चीन की ओर से इस तरह की मुलाकात का निमंत्रण साल 1988 में दिया गया था। उस समय राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे। राजीव के उस दौरे को दोनों देशों के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने वाला करार दिया जाता है। अब उम्मीद है कि पीएम मोदी की यह वुहान यात्रा भी उसी तरह से दोनों देशों के बीच रिश्तों को एक नए स्तर पर लेकर जाएगी। पीएम मोदी चौथी बार चीन के दौरे पर जा रहे हैं।