क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

गरीबी, भीषण महंगाई और हर तरफ सिर्फ डर, ये मुस्लिम देश भी आखिरकार कंगाली के कगार पर पहुंच ही गया

मिस्र विश्व के सबसे बड़े गेहूं खरीदने वाले देशों में आता है और वो अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत अनाज का आयात दूसरे देशों से करता है और यूक्रेन उसके लिए सबसे बड़ा सोर्स रहा है।

Google Oneindia News

काहिरा, सितंबर 25: गर्मी का महीना चल रहा है, लेकिन काहिरा के दुकाने के दुकानदार अपनी दुकानों में पिछली सर्दी के कपड़े बेच रहे हैं। गाड़ियों की मरम्मत करने वाले गराजों के पास स्पेयर पार्ट की भारी कमी है, लिहाजा वो ज्यादातर गाड़ियों की मरम्मत नहीं कर पा रहे है। नई कार खरीदने के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट है, क्योंकि देश में गाड़ियों की सप्लाई काफी ज्यादा कम है और 10 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले देश मिस्र में अनाज और ईंधन जैसी आवश्यक वस्तुओं को खरीदने के लिए आवश्यक विदेशी मुद्रा खत्म होने वाला है। यानि, मिस्र कंगाली के कगार पर पहुंच गया है और जल्द ही श्रीलंका जैसी तस्वीरें आप देखना शुरू करेंगे।

आयात पर कई तरह से प्रतिबंध

आयात पर कई तरह से प्रतिबंध

डॉलर बचाने के लिए मिस्र की सरकार ने कई तरह के आयात प्रतिबंध सख्ती से लागू कर दिए हैं और यही वजह है, कि देश में गर्मी के कपड़े नहीं खरीदे जा रहे हैं और गाड़ियों की आयात भी नहीं हो रही है। मिस्र के लगभग एक तिहाई लोग गरीबी में रह रहे हैं, और लाखों लोग खराब परिस्थितियों में जीवन गुजारने पर मजबूर हैं। देश के आर्थिक संकट का मतलब है, कि लोगों के खाने के टेबल खाली दिखाई पड़ रहे हैं। मध्य पूर्व के सबसे अधिक आबादी वाले देश में घातक विरोध और राजनीतिक उथल-पुथल के एक दशक बाद पहले से ही डगमगाती मिस्र की अर्थव्यस्था नई चुनोतियों में फंसी हुई है और वैश्विक संकट में घिरी हुई है। राजधानी काहिरा में सफाईकर्मी का काम करने वाली 32 साल की फातिमा कहती हैं, कि उनके परिवार ने पांच महीने पहले रेड मीट खरीदना बंद कर दिया था। चिकन भी लग्जरी हो गया है। वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए रिश्तेदारों से उधार ले रही है। उन्होंने कहा कि, "अगर कीमतें बढ़ती रहीं, तो देश गिर जाएगा और अब सुरक्षित नहीं रहेगा।" हालांकि, फातिमा ने डर की वजह से अपना पूरा नाम नहीं बताया।

देश में अपराध बढ़ने का डर

देश में अपराध बढ़ने का डर

फातिमा को अब ऐसी विकट परिस्थिति में कई तरह की चोरी की घटनाएं बढ़ने का डर सता रहा है। उन्होंने कहा कि, लोगों के पास अगर खुद का पेट भरने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं होगा, तो लोग चोरी और दूसरे तरह के अपराध करने पर मजबूर होंगे।" दशकों से, अधिकांश मिस्रवासी बुनियादी वस्तुओं को सस्ती रखने के लिए सरकार पर निर्भर रहे हैं, लेकिन यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद स्थितियां अब खतरनाक हो गई हैं। मिस्र की सरकार यूक्रेन से अनाज का आयात करती है, लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन से अनाज की आपूर्ति करीब करीब बंद है और लिहाजा, अनाज की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है, नतीजतन मिस्र की सरकार अनाज सब्सिडी देने की हैसियत में नहीं है। वहीं, डॉलर के मुकाबले, मिस्र की घरेलू मु्द्रा में भी भारी गिरावट आई है, लिहाजा अब अत्यंत जरूरी सामान खरीदने के लिए भी काफी ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार अब खत्म होने के कगार पर आ गया है।

80% अनाज का करता है आयात

80% अनाज का करता है आयात

मिस्र विश्व के सबसे बड़े गेहूं खरीदने वाले देशों में आता है और वो अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत अनाज का आयात दूसरे देशों से करता है और यूक्रेन उसके लिए सबसे बड़ा सोर्स रहा है। लेकिन, यूक्रेन की अस्थिरता ने मिस्र की चिंता काफी ज्यादा बढ़ा दी है और जैसे जैसे मिस्र की करेंसी कमजोर होती जा रही है, अनाज खरीदने के लिए उसे और ज्यादा पैसा चुकाना पड़ता है। तहरीर इंस्टीट्यूट फॉर मिडिल ईस्ट पॉलिसी के आर्थिक विशेषज्ञ टिमोथी कालदास ने कहा कि, 'तुम मुझे अपनी आजादी सौंप दो, मैं तुम्हें रोटी दूंगा, सरकार और जनता के बीच ये कॉन्ट्रैक्ट बहुत पहले ही टूट चुका है।' मिस्र में अगस्त महीने में वार्षिक मुद्रास्फीति बढ़कर 15.3% हो गई, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह केवल 6% थी। मिस्र की स्थानीय करेंसी पाउंड डॉलर के मुकाबले बुरी तरह से गिरी है और एक डॉलर के मुकाबले पाउंड का वैल्यू 19.5 पर पहुंच गया है। जिसकी वजह से मिस्र के व्यापार घाटे में एतिहासिक बढ़ोतरी हुई है।

मिस्र के पास क्या ऑप्शन बचे हैं?

मिस्र के पास क्या ऑप्शन बचे हैं?

मिस्र के पास अपनी खराब वित्तीय परिस्थतियों से निपटने के लिए कुछ विकल्प बचे हैं, जिनमें सबसे बड़ा विकल्प अपने खाड़ी सहयोगियों से वित्तीय मदद लेने के अलावा आईएमएफ से राहत पैकेज लेना है। हालांकि, एक नया आईएमएफ ऋण मिस्र के घटते विदेशी भंडार को बढ़ाएगा, जो फरवरी में 41 अरब डॉलर से गिरकर 33 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। मिस्र के केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, अगर मिस्र आईएमएफ से और लोन लेता है, तो पहले से ही उसके कर्ज के भंडार में और भी भारी इजाफा होगा। मिस्र के ऊपर साल 2010 में सिर्फ 37 अरब डॉलर का ही कर्ज था, लेकिन इस साल मार्च के महीने तक ये कर्ज बढ़कर 158 अरब डॉलर हो गया है। यानि, मिस्र के लिए अब इस कर्ज को चुकाना नाको चने चबाने के बराबर है, जबकि देश के पास अब सिर्फ 33 अरब डॉलर ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा है।

क्या कहती है देश की सरकार?

क्या कहती है देश की सरकार?

मिस्र के नेताओं ने कोरोनोवायरस महामारी पर देश की स्थिति को खराब करने के आरोप लगाया है, जिसने महत्वपूर्ण पर्यटन उद्योग को भारी चोट पहुंचाई है और फिर यूक्रेन में युद्ध से कीमतों को झटका लगा। इसके साथ ही उन्होंने मिस्र में आंदोलन करने वाले क्रांतिकारियों को देश की बिगड़ती स्थिति के लिए दोष दिया है। राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी ने इस महीने टेलीविजन पर टिप्पणी में कहा कि, "आपने 2011 से 2013 के बीच देश का जितना नुकसान किया है, उसकी भरपाई आप क्यों नहीं कर रहे हैं?" उन्होंने क्रांतिकारियों से पूछा कि, "आपने क्या किया, क्या इससे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा?" मिस्र के राष्ट्रपति विरोध का जिक्र कर रहे थे, जिसने मिस्र के लंबे समय तक राष्ट्रपति को सरकार से हटा दिया था। और फिर उसके बाद एक विभाजनकारी मुस्लिम ब्रदरहुड राष्ट्रपति पद की शुरुआत हुई। देश में सेना की मदद से राष्ट्रपति आए और लोकलुभावन वादों ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया। वहीं, एक पू्र्व सैन्य जनरल ने कहा कि, उन वर्षों के नतीजों से मिस्र को 450 अरब डॉलर का नुकसान हुआ और इसकी भरपाई हर किसी को करनी होगी और इसकी कीमत हर किसी को चुकानी होगी।

बिगड़ रहा मध्यवर्गीय मिस्रवासियों का जीवन

बिगड़ रहा मध्यवर्गीय मिस्रवासियों का जीवन

एक टेक कंपनी में काम करने वाली और दो बच्चों की मां ने कहा कि, "मुझे लगता है कि हम बहुत जल्द अत्यंत गरीब हो जाएंगे और शायद हमें खाने के लिए भी संघर्ष करना पड़े।" मिस्र की सरकार ने इस साल गर्मी में विश्व बैंक से 500 मिलियन डॉलर और अफ्रीकी विकास बैंक से 221 मिलियन डॉलर का ऋण लिया है, ताकि गेहूं खरीदने में मदद मिल सके। इसमें लगभग छह सप्ताह का रोटी सब्सिडी कार्यक्रम शामिल है जो 70 मिलियन कम आय वाले मिस्रियों का समर्थन करता है, वहीं चीन ने 2.8 अरब डॉलर की मुद्रा अदला-बदली में सहायता की है। वहीं, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कतर ने अल्पकालिक जमा और निवेश में 22 अरब डॉलर मिस्र की बैंकों में जमा कराया है, जिससे मिस्र की सरकार उम्मीद कर रही है, कि आने वाले कुछ महीनों के बााद देश की स्थिति सुधरने के करीब पहुंच सकती है।

सीमा विवाद में क्या भारत को बड़ा नुकसान उठाकर समझौता करना पड़ा? चीन की सरकारी मीडिया का दावासीमा विवाद में क्या भारत को बड़ा नुकसान उठाकर समझौता करना पड़ा? चीन की सरकारी मीडिया का दावा

Comments
English summary
Egypt, another country, is caught in the grip of a severe economic crisis.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X