पीएम नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक समुदाय को दिया 'चाणक्य मंत्र', क्या संयुक्त राष्ट्र बचा पाएगा अपनी प्रासंगिकता?
हालिया वर्षों में देखने को मिला है कि संयुक्त राष्ट्र कई अहम मसलों को सुलझाने में नाकाम रहा है। अफगानिस्तान संकट, चीन की आक्रामक नीति उसका अहम उदाहरण हैं।
वॉशिंगटन, सितंबर 25: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने वैश्विक समुदाय के उत्थान के लिए भारत द्वारा किए गये कामों का व्याख्यान किया तो पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र को नसीहत भी दी है। पीएम मोदी ने भारत के महान अर्थशास्त्री और नीति के जानकार चाणक्य के कथन को कहकर संयुक्त राष्ट्र को बेहद अहम सलाह दी है।
संयुक्त राष्ट्र को 'चाणक्य मंत्र'
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण के दौरान पीएम मोदी ने भारत के तीन महापुरुषों का जिक्र किया। पीएम मोदी ने अपने भाषण में आचार्य चाणक्य, दीन दयाल उपाध्याय और रवींद्रनाथ टैगोर का जिक्र किया। पीएम मोदी ने भारतीय रणनीतिकार चाणक्य के शब्दों को याद किया, जिन्होंने कहा था, "जब सही समय पर सही काम नहीं किया जाता है, तो समय ही उस काम की सफलता को नष्ट कर देता है।" प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि, "यदि संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक रखना है, तो उसे अपनी प्रभावशीलता में सुधार करना होगा और इसकी विश्वसनीयता बढ़ानी होगी।"
संयुक्त राष्ट्र को चाणक्य मंत्र क्यों?
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र पर हमेशा आरोप लगते रहे हैं कि वो कई वैश्विक मसलों को सुलझाने में नाकाम रहा है और शक्तिशाली देशों के प्रभाव में काम करता है। अफगानिस्तान में पाकिस्तान की आतंकी भूमिका को लेकर भी संयुक्त राष्ट्र अब तक खामोश रहा है। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय नियमों की धज्जियां उड़ा देने वाले चीन को लेकर भी संयुक्त राष्ट्र चुप ही रहा है। ऐसे में कई देश अब संयुक्त राष्ट्र पर उस तरह से यकीन नहीं कर रहे हैं, जिस तरह का यकीन उन्हें करना चाहिए। पहले विश्व युद्ध के बाद भी संयुक्त राष्ट्र की तरह की एक संस्था का निर्माण किया गया, ताकि वैश्विक मसलों को बातचीत के द्वारा सुलझाया जा सके, लेकिन वो संस्था ऐसा करने में नाकाम रही थी और दूसरा विश्व युद्ध हो गया। दुनिया में अभी भी हथियारों की होड़ लगी है और कई देश बार बार युद्ध के मुहाने पर खड़ा हो जाते हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र बयान जारी करने के अलावा कुछ और नहीं कर पाता है। लिहाजा पीएम मोदी ने साफ तौर पर कहा कि संयुक्त राष्ट्र को अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए कदम उठाने होंगें।
''वैश्विक कानूनों का पालन हो''
पीएम मोदी ने कहा कि ''यह जरूरी है कि हम वैश्विक व्यवस्था, वैश्विक कानूनों और वैश्विक मूल्यों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र को मजबूत करना जारी रखें।'' दरअसल, कई देश अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, जिसमें चीन सबसे आगे है। चीन ने समुद्र में वअंतर्राष्ट्रीय कानूनों को मानने से जिस तरह से इनकार किया है, उसने साउथ चायना सी और हिंद महासागर में भी तनाव बढ़ा रखा है। समुद्र में चीन के गुंडई को रोकने के लिए ही क्वाड का निर्माण किया गया है। ऐसे में पीएम मोदी ने समुद्री कानून का जिक्र कर सीधे तौर पर चीन को कटघरे में खड़ा किया है और साफ साफ कहा है कि सभी वैश्विक ताकतों को अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन करना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र पर सवाल
पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि, "आज संयुक्त राष्ट्र पर बहुत सारे सवाल उठाए जा रहे हैं। हमने इन सवालों को जलवायु संकट के दौरान और अब हाल ही में कोविड -19 के दौरान देखा था। दुनिया के कई हिस्सों में चल रहे छद्म युद्ध और वर्तमान अफगान संकट इन सवालों को और बढ़ा देते हैं। लिहाजा संयुक्त राष्ट्र को अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए कदम उठाने चाहिए। इसके साथ ही पीएम मोदी ने रवींद्रनाथ टैगोर (बंगाली में) को उद्धृत करते हुए अपना संबोधन समाप्त किया। जिसमें उन्होंने 'गुरुदेव' की कविता, "साहसपूर्वक अच्छे कर्म के मार्ग पर आगे बढ़ें और रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करें" का संदेश पूरी दुनिया को दिया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया में शांति और समृद्धि लाने के लिए सभी के प्रयासों की आवश्यकता है।