
जब अमेरिका में मिला ‘शिवलिंग’, लोगों ने की मंदिर बनाने की मांग, फिर क्या हुआ ?
नई दिल्ली, 18 मईः वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे के बीच इन दिनों अमेरिका का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है। यह वीडियो 29 साल पुराना बताया जा रहा है। इस वीडियो के द्वारा अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में मिले 'शिवलिंग' की खूब चर्चा हो रही है। साल 1993 के इस वीडियो में एक 'शिवलिंग' की पूजा की खबर दिखाई गई है। यह वीडियो अमेरिका के सीएनएन टीवी चैनल की रिपोर्टिंग की है।

1993 में मिला था शिवलिंग
रिपोर्ट के मुताबिक साल 1993 में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में अचानक लोग एक 4 फीट के पत्थर को शिवलिंग समझ कर पूजने लगे। असल में इस पत्थर का इस्तेमाल ट्रैफिक बैरिकेड के रूप में होता था। लेकिन बाद में जरूरत न पड़ने पर उस पत्थर को एक क्रेन ऑपरेटर ने उठाकर एक पार्क में रख दिया। इसके बाद एक हिन्दू व्यक्ति की नजर उस पत्थर पर पड़ी। आस्था के अनुरूप उस शख्स ने उसकी पूजा करनी शुरू कर दी। इसके बाद तो उस पत्थर को पूजने के लिए लोगों का तांता लग गया।

मंदिर बनाने की भी उठी मांग
आसपास रहने वाले हिन्दू उस कथित शिवलिंग पर दूध और शहद चढ़ाने लगे। सुबह शाम धूप और अगरबत्ती जलाने लगे। सोमवार को यहां पर काफी भीड़ जमा होने लगी और दूर-दूर से लोग यहां पूजा करने के लिए आने लगे। लोग सुबह यहां आकर योग करते और ध्यान लगाते थे। बांसुरीवादक यहां आकर बांसुरी बजाने लगे जिसके बाद तो यहां का माहौल बेहद अध्यात्मिक हो गया। इसके बाद लोगों ने यहां पर एक मंदिर बनाने की मांग उठायी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया।

पार्क से पत्थर को हटाया गया
कुछ समय बाद इस पत्थर को लेकर द न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार में साल 1994 में एक रिपोर्ट छापी। इस रिपोर्ट के मुताबिक पत्थर को गोल्डेन गेट पार्क से हटाकर एक आर्टिस्ट के स्टूडियो में शिफ्ट कर दिया गया। इस मामले को लेकर खुद को विजिनरी आर्टिस्ट बताने वाले माइकल बोवेन जिनका हिंदू नाम कालिदास था, वह सामने आए। उन्होंने एक मुकदमा दर्ज करवाया और कहा कि पत्थर को यहां से हटाने के फैसले के खिलाफ लड़ेगे। लेकिन उन पर 14,000 हजार डॉलर का जुर्माना लगा दिया गया।

सन डिस्ट्रिक्ट में पत्थर को किया शिफ्ट
वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक इस गोल्डन गेट पार्क के प्लानर रहे देब्रा लर्नर ने बताया कि यहां पूजा-पाठ के लिए आने वाले लोग बेहद मधुर स्वभाव के हैं। लेकिन इन्हें स्थिति समझनी चाहिए। यह एक पार्क है, यहां मंदिर बनाना कहीं से सही नहीं होगा। लोगों की श्रृद्धा इससे जुड़ी होने के कारण इसे सन डिस्ट्रिक्ट में रख दिया गया, ताकि वहां लोग जाते रहें। हालांकि बहुत से लोग इस फैसले से खुश नहीं थे।