Special Report: बाइडेन के सामने भी ‘कश्मीर राग’ ही अलापेगा पाकिस्तान, जानिए और क्या चाहता है पाकिस्तान
राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार से पाकिस्तान के कैसे संबंध होंगे, इन दिनों पाकिस्तान में इस मुद्दे पर काफी बात की जा रही है। खासकर कश्मीर को लेकर पाकिस्तान क्या चाहता है। और कश्मीर मुद्दे को जो बाइडेन के सामने कैसे रखेगा ?
Hope of Pakistan from Joe Biden: इस्लामाबाद: अमेरिका में जो बाइडेन (Joe Biden) सत्ता संभाल चुके हैं और उनकी पहली प्राथमिकता अमेरिका को कोरोनो (Corona Virus) के कहर से बचाना है। लेकिन, अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के साथ ही विश्व के तमाम देश अपनी-अपनी उम्मीदों का इजहार अमेरिका के नये राष्ट्रपति से करते हैं। खासकर पाकिस्तान (Pakistan) के लिए जो बाइडेन काफी अहम हैं, क्योंकि बतौर राष्ट्रपति (President) डोनाल्ड ट्रंप का दौर पाकिस्तान के लिए किसी खराब सपने से कम नहीं था।
अमेरिका पाकिस्तान संबंध
अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन के जमाने में पाकिस्तान अमेरिका के बेहद करीबी हुआ करता था। अमेरिका ने पाकिस्तान को अरबों डालर की मदद की। लेकिन, अब अमेरिका-पाकिस्तान का संबंध बेहद जटिल और महत्वपूर्ण रास्ते पर पहुंच चुका है। पाकिस्तानी अखबार 'द डॉन' के मुताबिक, एक दूसरे का सहयोगी होने के बाद भी पाकिस्तान और अमेरिका कई मसलों पर अलग अलग राय रखते हैं। अमेरिका, पाकिस्तान के लिए सबसे ज्यादा जरूरी इसलिए हो जाता है, क्योंकि अमेरिका अभी भी विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। लिहाजा, पाकिस्तान अमेरिका को किसी भी कीमत पर साइड नहीं कर सकता है।
डेमोक्रेट ओबामा और रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप के दौर में अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध काफी तनावभरे रहे हैं। खासकर आतंकवाद के मुद्दे पर ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को कई बार फटकार लगाया था। ऐसे में जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद पाकिस्तान नई उम्मीदों के साथ अमेरिका की तरफ देख रहा है।
पाकिस्तान क्या करे?
पाकिस्तानी अखबार 'द डॉन' का मानना है कि सिर्फ पाकिस्तान को ही अमेरिका से मदद नहीं मिलता है, बल्कि व्हाइट हाउस भी पाकिस्तान से लाभान्वित होता है। ऐसे में पाकिस्तान को व्हाइट हाउस के सामने अपनी बात मजबूती से रखनी चाहिए। पाकिस्तान को चाहिए कि व्हाउट हाउस के सामने स्पष्ट तरीके से वैश्विक मसलों के साथ पाकिस्तान की असलियत से वाशिंगटन को वाकिफ करवाए। अफगानिस्तान में शांति, पाकिस्तान और अमेरिका दोनों के लिए कॉमन एजेंडा है, जिसका जिक्र पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी कर चुके हैं। हालांकि, राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन साफ कर चुका है कि अफगानिस्तान को लेकर डोनाल्ड ट्रंप शासनकाल में जो भी फैसले और समझौते किए गये थे, उन सभी पर फिर से विचार किया जाएगा। ऐसे में पाकिस्तान के लिए जरूरी हो जाता है कि निश्चित रूप से इस फाइल को सावधानी से संभाल जाए और अब तक अफगानिस्तान को लेकर जो भी प्रगति हुई है, उसपर उठाया गया एक भी गलत कदम शांति प्रक्रिया को खत्म कर सकता है।
कश्मीर पर बाइडेन से पाकिस्तान को उम्मीदें
पाकिस्तान ने कश्मीर को लेकर जो बाइडेन से कई उम्मीदें पाल रखी हैं। पाकिस्तानी अखबार लिखता है कि जो बाइडेन ने चुनावी कैंपेन में कश्मीर को लेकर भारत के उठाए गये कदम की बहुत थोड़ी आलोचना की थी, लेकिन पाकिस्तान को चाहिए कि वो व्हाइट हाउस के सामने अपनी बात रखे। पाकिस्तान को चाहिए कि कश्मीर को लेकर भारत की हकीकत को उजागर करे। हालांकि, पाकिस्तान को यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्तता की बात की थी जिसे भारत ने सिरे से अस्वीकार कर दिया था।
अमेरिका से व्यापार बढ़ाए पाकिस्तान
पाकिस्तानी
अखबार
'द
डॉन'
का
कहना
है
कि
अमेरिका
की
डेमोक्रेटिक
पार्टी
मानवाधिकार
के
मसले
पर
काफी
ध्यान
देती
है।
लिहाजा,
पाकिस्तान
को
चाहिए
कि
पाकिस्तान
में
कोई
भी
ऐसी
घटना
नहीं
होनी
चाहिए
जो
उसे
डेमोक्रेट
की
नजरों
में
नीचा
दिखा
दे।
पाकिस्तान
को
अमेरिका
के
साथ
अपने
संबंध
बनाने
के
लिए
व्यापक
रवैया
अपनाना
चाहिए
क्योंकि
पाकिस्तान
को
लेकर
वाशिंगटन
ने
काफी
अलग
दृष्टिकोण
बना
रखा
है,
खासकर
अफगानिस्तान
में
शांति
स्थापित
करने
के
लिए।
पाकिस्तान
को
चाहिए
कि
पाकिस्तान
में
अमेरिकी
कंपनियों
को
व्यापार
का
विस्तार
देने
के
लिए
आमंत्रित
करे,
क्योंकि
अमेरिकी
कंपनियों
का
पाकिस्तान
में
निवेश
करने
से
पाकिस्तान
का
पक्ष
अमेरिका
के
सामने
मजबूत
होगा।
पाकिस्तानी
अखबार
मानता
है
कि
दोनों
देशों
को
विश्वास
का
रिश्ता
बहाल
करने
के
लिए
सावधानी
पूर्वक
कदम
उठाने
होंगे।
जिन
मुद्दों
पर
दोनों
देशों
का
एक
समान
सोचना
है,
वहां
मजबूती
से
आगे
बढ़ना
होगा
तो
जिन
मुद्दों
पर
दोनों
देशों
के
बीच
मतभेद
है
उसे
बातचीत
से
हल
करने
की
कोशिश
होनी
चाहिए।
पाकिस्तानी अखबार ने अमेरिका के सामने पाकिस्तान का पक्ष कैसे रखे इसका उल्लेख तो विस्तार से किया है लेकिन आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान क्या करे इसका जिक्र नहीं किया है। क्योंकि, अमेरिका के नये रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने साफ शब्दों में पाकिस्तान को कह दिया है कि पाकिस्तान को सबसे पहले अपनी जमीन से आतंकी तत्वों को बढ़ावा देना बंद कर देना चाहिए। इसके साथ ही पाकिस्तान चीन की गोद में बैठा हुआ देश है और चीन को रोकना ही अमेरिका का मकसद है, लिहाजा पाकिस्तान के लिए अमेरिका से मधुर संबंध बनाना कतई आसान नहीं होने वाला है।