नार्वे में रूसी जासूस गिरफ्तार, ब्राजीली पहचान बनाकर हाईब्रिड खतरों पर कर रहा था रिसर्च
नॉर्वे में सिक्योरिटी सर्विसेज का कहना है कि उन्होंने एक विश्वविद्यालय के व्याख्याता को रूस के लिए जासूसी का काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। संदिग्ध की उम्र 30 वर्ष बताई जा रही है।
नॉर्वे में सिक्योरिटी सर्विसेज का कहना है कि उन्होंने एक विश्वविद्यालय के व्याख्याता को रूस के लिए जासूसी का काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। संदिग्ध की उम्र 30 वर्ष बताई जा रही है। नार्वे सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक संदिग्ध ने खुद को आर्कटिक मुद्दों पर काम कर रहे एक ब्राजीलियाई शोधकर्ता होने के रूप में पेश किया था, लेकिन वह वास्तव में रूसी नागरिक है और अवैध रूप से रूस में रह रहा है।
ओस्लो में मास्को के दूतावास ने स्थानीय मीडिया को बताया कि वह उस व्यक्ति की पहचान से अनजान था। नॉर्वे के अधिकारियों ने कहा कि वह व्यक्ति 2021 से देश के उत्तर में ट्रोम्सो विश्वविद्यालय में एक शोधकर्ता के रूप में काम कर रहा था। हालांकि संदिग्ध के वकील ने स्थानीय मीडिया को बताया कि वह इन सभी आरोपों से इनकार करते हैं।
4 सप्ताह तक हिरासत में रहेगा संदिग्ध
संदिग्ध व्यक्ति को लेकर अदालत ने उस व्यक्ति को चार सप्ताह तक हिरासत में रखने का आदेश दिया है। नार्वे की आंतरिक सुरक्षा एजेंसी के उप प्रमुख हेडविग मोय ने संवाददाताओं से कहा कि यह मामला काफी बड़ा है। जब उन्हें संदिग्ध के बारे में पता चला तो वे चिंतित हो गए थे। जांचकर्ताओं को भी यह डर था कि उस व्यक्ति ने नॉर्वे की नीति के बारे में काफी जानकारी हासिल कर ली होगी।
सेमीनार में भी हुआ था शामिल
नार्वे अधिकारियों का मानना है कि संदिग्ध रूस के तथाकथित "अवैध" कार्यक्रम के तहत नॉर्वे में काम कर रहा था। जानकारी के मुताबिक संदिग्ध रूसी जासूस ने हाल ही में हाइब्रिड खतरों पर एक सेमिनार में भाग लिया जिसमें एक पाइपलाइन विस्फोट का जवाब देने के लिए आयोजित किया गया था। फिलहाल उस व्यक्ति की आधिकारिक तौर पर पहचान नहीं की गई है, लेकिन स्थानीय मीडिया ने बताया कि उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स से पता चलता है कि उसने 2018 में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलगरी के सेंटर फॉर मिलिट्री, सिक्योरिटी एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज से मास्टर्स किया था।
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पुतिन ने जासूसी प्रोग्राम को किया पुर्नजीवित
बता दें कि पहले भी शीत युद्ध के दौरान केजीबी ऐसे जासूसों को तैयार करती रही है जिसका काम विदेशों में खूफिया जानकारियां इकट्ठा करना होता था। कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हाल के सालों में रूसी राष्ट्रपति ने केजीबी के इस प्रोग्राम को पुनर्जीवित किया है और काफी बड़ी संख्या में नकली पहचान वाले लोगों को तैयार किया है।