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पाकिस्तान के प्यादे यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा, ‘कश्मीर बनेगा पाकिस्तान’ के नाम कैसे बनाए गये आतंकी?

पाकिस्तान की सत्ताधारी अभिजात्य वर्ग ने अपने लाभ के लिए पूरे पाकिस्तान में जमकर 'कश्मीर बनेगा पाकिस्तान' का चूरन बेचा और अभी भी बेच रहा है।

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इस्लामाबाद, मई 25: यासीन मलिक को उम्र कैद की सजा मिलने के साथ ही पाकिस्तान का एक और बड़ा मोहरा नप गया है। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कश्मीर के अलगाववादियों के खिलाफ सरकार ने जिस तरह से सख्त एक्शन लिए हैं, उससे कश्मीरी अलगाववादियों और पाकिस्तान के 'कश्मीर बनेगा पाकिस्तान' मुहिम की कमर टूटने लगी है। कश्मीर में अब ज्यादातर अलगाववादी नेता अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं और पाकिस्तान काफी मुश्किल से उन अलगाववादी नेताओं तक मदद पहुंचा पा रहा है। यासीन मलिक को सख्त सजा मिलने के बाद पाकिस्तानी नेता जिस तरह से प्रतिक्रिया दे रहे हैं, उससे साफ जाहिर होता है, कि उनकी मुहिम को कितना बड़ा झटका लगा है।

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'हुकूमत पेट्रोल से नहीं, कश्मीर कारण से चलती है'

'हुकूमत पेट्रोल से नहीं, कश्मीर कारण से चलती है'

पाकिस्तान की वरिष्ठ पत्रकार नाइला इनायत ने ‘द प्रिंट' में साल 2019 में एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने लिखा है, कि किस तरह से पाकिस्तान में अलग अलग तरीके से कश्मीरी लोगों के मन में ‘स्वतंत्र कश्मीर' बनाने का ख्वाब बनाया जाता था और उस मुहिम में कैसे पाकिस्तान के वो सिंगर भी अहम भूमिका निभा रहे थे, जिन्हें भारत में सिर आंखों पर बिठाया गया, जैसे नुसरत फतेह अली खान। नाइला इनायत ने साल 2019 में कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने प्रतिक्रियाएं दी थीं, उसको लेकर उन्होंने सवाल उठाया था और पूछा था, कि क्या इमरान खान की सरकार बिना कश्मीर के चल सकती है, जैसा कि कहावत है 'हुकूमत पेट्रोल से नहीं, कश्मीर कारण से चलती है'?

‘कश्मीर बनेगा पाकिस्तान’

‘कश्मीर बनेगा पाकिस्तान’

पाकिस्तान की सत्ताधारी अभिजात्य वर्ग ने अपने लाभ के लिए पूरे पाकिस्तान में जमकर 'कश्मीर बनेगा पाकिस्तान' का चूरन बेचा और अभी भी बेच रहा है। पाकिस्तानी सेना ने खुद को व्यवहार्य रखने के लिए, राजनेताओं ने चुनावों के दौरान इस्तेमाल करने के लिए, धार्मिक कार्टेल हिंदू विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने के लिए कश्मीर बनेगा पाकिस्तान का नारा बेचा और साधारण पाकिस्तानी इस नारे में वशीभूत होकर फंसते चले गये और उन्होंने हथियार उठाए और भारत में आतंक फैलान के लिए निकल पड़े। ज्यादातर गरीब पाकिस्तानी आतंकवाद की राह पर मारे गये, लेकिन पाकिस्तानी हुकूमत अपनी फैक्ट्री चलाता रहा और यासीन मलिक जैसे अलगाववादी नेता, पाकिस्तान के लिए प्यादे की तरह काम कर रहे थे।

बचपन से किया जाता ब्रेनवॉश

बचपन से किया जाता ब्रेनवॉश

नाइला इनायत ने साल 2019 में अपने लेख में लिखा था, कि 'कश्मीर बनेगा पाकिस्तान' हमें बचपन से ही सुनाया जाता था, लेकिन जब हम पूछते थे, 'लेकिन जब वह भारत में है तो वह पाकिस्तान का हिस्सा कैसे बनेगा?' तो हमें कहा जाता था, कि 'कश्मीर हमारा शहर है (कश्मीर पाकिस्तान की गले की नस है)'। तो हम इस नस के बिना जीवित रहने का कैसे सोच सकते हैं? जो प्रश्न हमें बताए गए थे, उनका कोई उत्तर नहीं होता था, इसलिए हमें कहा जाता था, कि ऐसे सवाल न पूछा जाए।

कश्मीर पर पाकिस्तानी कार्यक्रम

कश्मीर पर पाकिस्तानी कार्यक्रम

नायला इनायत लिखती हैं, कि 1990 के दशक में पले-बढ़े लोगों का ब्रेनवॉश करने के लिए पाकिस्तान टेलीविजन पर रात 9 बजे की खबर के बाद कश्मीर पर 20 मिनट का कार्यक्रम शामिल था और ये खुराक पाकिस्तान और कश्मीर के लोगों को हर दिन दिया जाता था। इस कार्यक्रम में नुसरत फतेह अली खान की ‘इस दुनिया के गम जाने कब हु गी' बैकग्राउंड में बजाया जाता था। इस कार्यक्रम में मीरवाइज उमर फारूक, यासीन मलिक, सैयद अली शाह गिलानी और अन्य कश्मीरी नेताओं की प्रशंसा की जाती थी और उन्हें असली नायक बताया जाता था।

कौन है यासीन मलिक?

कौन है यासीन मलिक?

यासीन मलिक का जन्म 3 अप्रैल 1966 को श्रीनगर के मैसुमा में हउआ था और उसके पिता गुलाम कादिर मलिक एक सरकारी बस ड्राइवर थे। यासीन की पूरी पढ़ाई-लिखाई श्रीनगर में ही हुई है और उसने श्री प्रताप कॉलेज से ही स्नातक किया है। यासीन मलिक का कहना है कि उसने कश्मीर में सेना का जुल्म देखा था और उसी नफरत में उसने हथियार उठाने का फैसला किया था और इसी वजह से उसने अस्सी के दशक में ' ताला पार्टी ' का गठन किया था, जिसके चलते उसने घाटी में कई बार नफरत की आग सुलगाई थी। हालांकि, यासीन मलिक ने घाटी में हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाई और पाकिस्तान के इशारे पर कश्मीरी पंडितों को घाटी से बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई थी।

पाकिस्तान का पालतू यासीन मलिक

पाकिस्तान का पालतू यासीन मलिक

पाकिस्तान में सत्ता बदलती रही, नये नये शासक आते रहे, प्रधानमंत्री बदलते रहे, लेकिन ‘कश्मीर बनेगा पाकिस्तान' जिंदा रहा और यासीन मलिक जैसे अलगाववादी नेताओं तक पाकिस्तान से पैसा पहुंचता रहा और ये अलगाववादी नेता कश्मीर में दहशत फैलाने का फॉर्मूला बनाते रहे। इनकी ही वजह से कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम किया गया, हजारों लोगों को मारा गया। लेकिन, भारत की पहले की सरकारों ने इन नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। लिहाजा, कश्मीर में हालात बिगड़ते रहे और ये नेता फलते-फूलते रहे। लेकिन, पाकिस्तान का ये पालतू अब नप गया है और इसके साथ ही उसका एक प्यादा और खत्म हो गया है।

काफी खतरनाक है यासीन मलिक

काफी खतरनाक है यासीन मलिक

1987 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यासीन मलिक के नेतृत्व में इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग, मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट (MUF) में शामिल हो गई थी। हालांकि संविधान पर भरोसा ना होने के कारण आईएसएल ने किसी भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ा लेकिन उसने श्रीनगर के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में एमयूएफ के लिए प्रचार करने की जिम्मेदारी ली। इसके बाद यासीन मलिक 1988 में Jammu Kashmir Liberation Front (JKLF) का एरिया कमांडर बन गया। लेकिन, अब अदालत ने यासीन मलिक को उम्र कैद की सजा सुना दी है और अब यासीन मलिक जिंदगी भर जेल में रहेगा।

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English summary
Pakistan's pawn Yasin Malik has been sentenced to life imprisonment. Know how 'Kashmir Banega Pakistan' filled the hearts of Kashmiri people with poison?
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