इजरायल से मजबूत संबंध बनाने से वोट बैंक की राजनीति ने रोका, अब वो समय गया... बोले विदेश मंत्री जयशंकर
इजरायल टेक्नोलॉजी की दुनिया का बादशाह है और अगर भारत ने पहले से ही इजरायल के साथ मजबूत संबंध बनाए होता, तो भारतीय डिफेंस सेक्टर के साथ साथ वाटर मैनेजमेंट और कृषि क्षेत्र में भारी फायदा हुआ रहता।
गांधीनगर, सितंबर 05: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है, कि अब वो समय चला गया है, जब भारत की विदेश नीति पर वोट बैंक की राजनीति हावी रहती थी और अब भारत देश हित में अपने फैसले लेता है और वोट बैंक की राजनीति का भारतीय विदेश नीति पर कोई असर नहीं पड़ता है। भारतीय विदेश मंत्री ने साफ तौर पर कहा, कि वोट बैंक की राजनीति ने ही भारत को इजरायल से मजबूत संबंध बनाने से रोका।
एस. जयशंकर ने क्या कहा?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुजरात में एक कार्यक्रम में भारत-इजरायल संबंधों के बारे में बोलते हुए कहा है कि, वे दिन गए जब वोट बैंक की राजनीति विदेश नीति पर हावी रहती थी और तेल अवीव के साथ नई दिल्ली के वर्तमान संबंध इस बात सबूत हैं। उन्होंने कहा कि, "कुछ राजनीतिक कारणों से, हमें इज़राइल के साथ संबंध बढ़ाने से खुद को प्रतिबंधित करना पड़ा। पीएम मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे जो इजराइल गए थे ...अब वो समय चला गया है जब हम वोट बैंक की राजनीति के लिए राष्ट्रीय हित को अलग रख देते थे।" जयशंकर का ये बयान काफी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि अकसर कहा जाता रहा है, कि मुस्लिम वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए अब तक सरकारों ने इजरायल से नजदीकी संबंध बनाने से परहेज किया और फिलीस्तीन के साथ अच्छे संबंध बनाए रखे। लेकिन, पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत और इजरायल काफी करीब आ चुके हैं और पीएम मोदी इजरायल का दौरा भी कर चुके हैं।
भारत की विदेश नीति पर क्या कहा?
जयशंकर अपनी पुस्तक 'द इंडिया वे: स्ट्रैटेजीज फॉर एन अनसर्टेन वर्ल्ड' के गुजराती अनुवाद का विमोचन करते हुए भारत की विदेश नीति पर प्रकाश डाल रहे थे। उन्होंने कहा कि, भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां इजरायल के पास भारत के जल प्रबंधन क्षेत्र में प्रगति के लिए इजरायल की सर्वोत्तम प्रथाओं और प्रौद्योगिकियों को साझा करने में मदद करने के लिए जल अताशे की स्थिति है। विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की सराहना करते हुए कहा कि, यह इस समय पद संभालने के लिए "एक बड़ी ताकत" थी। उन्होंने कहा कि, "मैं उस व्यक्ति से ईर्ष्या करूंगा जो 2047 में विदेश मंत्री होगा, लेकिन मैं आपको एक बात बताऊंगा, नरेंद्र मोदी सरकार का विदेश मंत्री होना भी एक बड़ी ताकत है। इसमें मूल विश्वास, आत्मविश्वास है और दुनिया इसे पहचान कर रही है। उन्होंने कहा कि, भारत की विदेश नीति पूरी तरह से स्वतंत्र हो, ये पीएम नरेन्द्र मोदी का विचार था और अब ये बदल गई है।
इजरायल के साथ बने मजबूत संबंध
इजरायल टेक्नोलॉजी की दुनिया का बादशाह है और अगर भारत ने पहले से ही इजरायल के साथ मजबूत संबंध बनाए होता, तो भारतीय डिफेंस सेक्टर के साथ साथ वाटर मैनेजमेंट और कृषि क्षेत्र में भारी फायदा हुआ रहता। लेकिन, भारतीय राजनीति में हमेशा से वोट बैंक हावी रहा है, लिहाजा मुस्लिम वोट के चलते पुरानी सरकारों ने इजरायल से संबंध मजबूत करना तो दूर, किसी प्रधानमंत्री ने इजरायल जाना भी जरूरी नहीं समझा। वहीं, अगर कोई भारत सरकार का मंत्री इजरायल का दौरा करता था, तो वो फिलीस्तीन जरूर जाता था। लेकिन मोदी सरकार ने इसे सिरे से बदल दिया है और पीएम मोदी ने जब इजरायल का दौरा किया है, तब वो फिलीस्तीन नहीं गये थे और इजरायल ने उसके बाद से भारत को हथियारों के साथ कृषि क्षेत्र के लिए कई अहम टेक्नोलॉजी दिए हैं, जिससे भारत को काफी फायदा हो रहा है।
भारत-इजरायल वाणिज्य संबंध कैसे बदला
साल 1992 में भारत और इजरायल के बीच द्विपक्षीय व्यापार 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जब साल 2020-21 में बढ़कर 4.14 अरब डॉलर हो गया है, जिसमें रक्षा क्षेत्र में किए गये समझौते और खरीददारी शामिल नहीं हैं। इसके साथ ही इसी साल इजरायल ने भारत के साथ एक समझौते पर दस्तखत किए हैं, जिसमें उल्लेख है, कि रक्षा टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इजरायल मेक इन इंडिया के तहत काम करेगा, जिससे आने वाले वक्त में भारत को जबरदस्त फायदा होने वाला है, क्योंकि इससे भारत के पास टेक्नोलॉजी आएगी। इसके साथ ही भारत, इजरायल से सैन्य उपकरणों की खरीददारी करने वाला सबसे बड़ा खरीददार बन गया है और अब रूस दूसरे नंबर पर आ गया है।
इजरायल ने दिए महत्वपूर्ण हथियार
इतना ही नहीं, इजरायल ने भारत को चीन और पाकिस्तान को काउंटर करने के लिए काफी घातक हथियार सौंपे हैं, जिससे सीमा की सुरक्षा काफी मजबूत हुई है। पिछले कुछ सालों में इजरायल ने भारत को फाल्कन 'AWACS' और हेरान, सर्चर-2 और हरोप ड्रोन, बराक एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम और स्पाइडर क्विक-रिएक्शन एंटी- एयरक्राफ्ट मिसाइल प्रणाली शामिल हैं। इसके साथ ही इजरायल ने भारत को पिन प्वाइंट टारगेट को हिट करने वाली मिसाइलें और कई अलग अलग तरह की युद्ध सामग्रियां सौंपी है, जिनमें पायथन और डर्बी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लेकर क्रिस्टल मेज बम दिए हैं। इसके अलावा भी भारत ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ मिलकर इजरायल के साथ एक अलग तरह का गठबंधन किया है, जिसका मकसद व्यापार के नये स्रोतों की तलाश करना है।
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