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वो इमरान ख़ान जो गावस्कर-कपिल के दीवाने थे

अयाज मेनन बताते हैं, "1987 में उनकी कप्तानी में पाकिस्तान ने बेंगलुरू टेस्ट में भारत को हराया था. गावस्कर का अंतिम टेस्ट था, उन्होंने 96 रन बनाए थे. इमरान ने हमेशा कहा है कि गावस्कर की पारी उनके करियर में देखी गई सबसे बेहतरीन पारी थी. कपिल का भी वे सम्मान करते रहे."

क्रिकेट से संन्यास लेने के तीन साल बाद 1995 में इमरान ने ब्रिटिश उद्योगपति गोल्ड स्मिथ की बेटी जेमिमा गोल्ड स्मिथ से शादी की

By BBC News हिन्दी
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इमरान ख़ान
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इमरान ख़ान

1976-77 में पाकिस्तानी क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर रही थी. एडिलेड में खेला गया पहला टेस्ट ड्रॉ रहा और मेलबर्न में खेले गए दूसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को 348 रन से हरा दिया.

सिरीज़ का निर्णायक टेस्ट मैच सिडनी में खेला गया. इस टेस्ट में लंबे बालों और खुली छाती वाले एक गेंदबाज़ का जलवा दुनिया ने पहली बार देखा. इस युवा गेंदबाज़ ने अपनी इनस्विंगरों से मैच की दोनों पारियों में छह-छह विकेट चटकाए.

ये ऑस्ट्रेलिया में पाकिस्तान की पहली टेस्ट जीत थी और 1959 में फ़ज़ल महमूद के वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ 12 विकेट के बाद ये पहला मौका था जब पाकिस्तान के किसी तेज़ गेंदबाज़ ने टेस्ट में 10 से ज़्यादा विकेट लिए थे.

भारत में खेली गई सर्वश्रेष्ठ टेस्ट पारी

कपिल नहीं, बॉथम का है नो बॉल न डालने का रिकॉर्ड

पाकिस्तान की इस जीत के हीरो बनकर उभरे थे इमरान ख़ान. इमरान ख़ान के बारे में पाकिस्तानी क्रिकेट के इतिहासकार ओमार नोमान ने लिखा था, "इमरान के उदय ने पाकिस्तान क्रिकेट के स्तर और टेस्ट जीतने की क्षमता को बढ़ा दिया. सिडनी में पहली बार इमरान और मियांदाद ने जीत में अहम योगदान दिया, लेकिन अगले 15 सालों में ये सिलसिला कई बार देखने को मिला."

इमरान का जवाब नहीं

जावेद मियांदाद ने इस टेस्ट की दूसरी पारी में अर्धशतक बनाया था. इमरान ख़ान न केवल तेज़ गेंदबाज़ी के बूते बल्कि अपनी ऑलराउंड प्रतिभा के ज़रिए क़रीब दो दशक तक पाकिस्तानी क्रिकेट के आधारस्तंभ बने रहे. लेकिन वे महज ऑलराउंडर ही नहीं रहे, क्रिकेट की दुनिया के सबसे कामयाब कप्तानों में उनका नाम आज भी शुमार किया जाता है.

इमरान ख़ान
Getty Images
इमरान ख़ान

इमरान ख़ान का अंदाज़, उनकी बॉडी लैंग्वेज और जिस तरह से वे पाकिस्तानी क्रिकेट में आए और छा गए, ये सब मिलाकर आपस में वैसा ही आभा मंडल रचते हैं जैसा भारत में राजघरानों से आए क्रिकेटरों का रहा है.

हालांकि ये बात दूसरी है कि इमरान किसी शाही परिवार से जुड़े नहीं थे. उनके पिता इक़रामउल्लाह ख़ान नियाजी एक आर्किटेक्ट थे, लंदन के इंपीरियल कॉलेज से पढ़े लिखे. लेकिन इमरान पर अपनी मां शौकत का असर ज़्यादा था.

शौकत उस बर्की परिवार से जुड़ी थीं, जिनका पाकिस्तान की क्रिकेट पर बहुत असर रहा. माज़िद ख़ान और जावेद बर्की, इमरान ख़ान के कजिन भाई थे.

क्रिकेट से नाता

इमरान के मामा अहमद रज़ा ख़ान (बाद में पाकिस्तानी टीम के चयनकर्ता भी रहे), 1965 में इमरान को पाकिस्तान और न्यूज़ीलैंड के बीच रावलपिंडी में खेले गए टेस्ट मैच को दिखाने ले गए और अपने दोस्तों के बीच कहा कि इमरान भी पाकिस्तान के लिए क्रिकेट खेलेगा एक दिन.

इमरान ने बहुत बाद में एक इंटरव्यू में कहा भी कि वे उन शब्दों को कभी नहीं भूल पाए. 16 साल की उम्र में इमरान लाहौर की तरफ़ से क्रिकेट खेलने लगे और 19 साल की उम्र में वे इंग्लैंड जाने वाले पाकिस्तानी टीम में चुन लिए गए.

डेब्यू सिरीज़ में इमरान ने भले कोई कमाल नहीं किया हो लेकिन वे ऑक्सफ़ोर्ड पहुंच गए पढ़ने. ऑक्सफ़ोर्ड ने में पढ़ने के दौरान वे घरेलू क्रिकेट से दूर हो गए लेकिन यूनिवर्सिटी की टीम में उनका खेल निखरने लगा.

वे यूनिवर्सिटी टीम के शुरुआती गेंदबाज़ थे, नंबर चार के बल्लेबाज़ और कप्तान. इमरान दो दशक तक पाकिस्तान की ओर से यही भूमिका निभाते रहे. यूनिवर्सिटी क्रिकेट की बदौलत इमरान अनुशासित बने, मेहनती बने और करिश्माई तो वे थे ही.

लव अफ़ेयर के चर्चे भी कम नहीं

उनकी पर्सनालिटी का ऐसा असर था कि इमरान की क्रिकेट से ज़्यादा उनके लव अफ़ेयर के चर्चे होने लगे थे. इमरान ख़ान की बायोग्राफ़ी लिखने वाले क्रिस्टोफ़र सैनफ़ोर्ड ने इमरान के बारे में लिखा है कि लड़कियां उन पर जान झिड़कती थीं और इतना ही नहीं इस लेखक के मुताबिक़ ऑक्सफोर्ड के दिनों में इमरान का अफ़ेयर बेनज़ीर भुट्टो से भी रहा था.

इमरान ख़ान
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इमरान ख़ान

बीच-बीच में वो पाकिस्तानी टीम की ओर से खेलते रहे लेकिन सिडनी टेस्ट ने उन्हें इस पटरी पर ला दिया जहां से 1992 के वर्ल्ड कप जीत तक पाकिस्तानी क्रिकेट में इमरान ख़ान की तूती बोलती रही.

एक कामयाब क्रिकेटर के तौर पर इमरान का नाम भारत की जीनत अमान से भी जोड़ा गया. 1979-80 में पाकिस्तानी टीम भारत के दौरे पर आई थी और फेवरिट होने के बाद भी उसे हार का सामना करना पड़ा था.

कपिल देव और सुनील गावस्कर की बदौलत भारत ये सिरीज़ 2-0 से जीतने में कामयाब रहा था. इस सिरीज़ में हार के चलते इमरान ख़ान को ख़ूब आलोचना का सामना करना पड़ा था.

पाकिस्तानी क्रिकेट के सुपर बॉस

एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में इमरान ने उस सिरीज़ को याद करते हुए कहा था, "सिरीज़ में हारने के बाद हमारी टीम मीटिंग हुई थी कि कोलकाता से इस्लामाबाद कब पहुंचे ताकि पूरा शहर सो रहा हो. हम चार बजे सुबह पहुंचे थे. इस सिरीज़ में मेरी रिब्स में तकलीफ़ हो गई थी और लोग कह रहे थे इमरान के बैक में तकलीफ़ है."

लेकिन इमरान ने इस सिरीज़ की भरपाई अगली सिरीज़ में कर दी और 1982-83 के पाकिस्तान दौरे पर भारत को 0-3 से हार का सामना करना पड़ा. 6 टेस्ट में इमरान ने कुल 40 विकेट चटकाए थे और एक शतक के साथ 247 रन बनाए.

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इमरान ख़ान

इमरान ख़ान की कप्तानी में ही 1987 में पाकिस्तान की टीम किसी टेस्ट सिरीज़ में भारत को भारत में हराने में कामयाब रही, ये करिश्मा कोई दूसरा कप्तान नहीं कर पाया.

करियर के आख़िरी दस साल तक वे पाकिस्तान क्रिकेट टीम के सुपर बॉस रहे, 1982 में वे कप्तान चुने गए लेकिन उनकी भूमिका टीम गढ़ने से लेकर खिलाड़ियों को निखारने तक की हो गई थी. उनकी एक बात पर खिलाड़ियों का करियर बनने और बिगड़ने लगा था.

वरिष्ठ क्रिकेट पत्रकार अयाज मेनन कहते हैं, "इमरान के दौर में कपिल देव, इयन बॉथम और रिचर्ड हैडली भी थी. चारों के चारों अपनी टीम के दिग्गज खिलाड़ी. लेकिन इमरान इन चारों में इस बात में आगे थे कि उनमें युवाओं की प्रतिभाओं को पहचानने की अद्भुत क्षमता थी."

चाहे वो वसीम अकरम हों या फिर वकार यूनुस, इंज़माम उल हक हों या मुश्ताक अहमद, इन सबको इंटरनेशनल क्रिकेट में जमाने का काम इमरान ख़ान ने ही किया. हालांकि जावेद मियांदाद के साथ उनकी तकरार की ख़बरें भी ख़ूब आती रहीं लेकिन दोनों एक-दूसरे के साथ लगातार खेलते रहे.

इमरान ख़ान
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इमरान ख़ान

इमरान ख़ान के करियर का सबसे सुनहरा क्षण 1992 में आया जबकि उनकी कप्तानी में पाकिस्तान ने वर्ल्ड कप जीतने का करिश्मा कर दिखाया.

इमरान ख़ान ने अपने करियर में 88 टेस्ट मैचों में 362 विकेट लिए, 3807 रन बनाए. जबकि 175 वनडे में 182 विकेट लेने के साथ उन्होंने 3709 रन बनाए. वैसे दिलचस्प ये है कि इमरान ख़ान ने अपने पूरे इंटरनेशनल करियर में कोई नो बॉल नहीं फेंकी थी.

नहीं मिला इमरान जैसा सितारा

बतौर क्रिकेटर इमरान का रिकॉर्ड उनकी कामयाबी की पूरी कहानी नहीं बताता लेकिन क्रिकेट की दुनिया को इमरान जैसा दूसरा सितारा नहीं मिला. अयाज मेनन कहते हैं, "वे एक बेमिसाल क्रिकेटर तो थे ही, उनमें क्रिकेट की समझ भी बहुत थी. पाकिस्तान में न्यूट्रल अंपायर लाने की उन्होंने सबसे पहले मुहिम चलाई थी."

इमरान भारत के ख़िलाफ़ ज़ोरदार प्रदर्शन करते थे और इसकी वजह दर्शकों का भारी दबाव बताते रहे. लेकिन भारतीय खिलाड़ियों के प्रति उनके मन में सम्मान भी बहुत था.

सुनील गावस्कर
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सुनील गावस्कर

अयाज मेनन बताते हैं, "1987 में उनकी कप्तानी में पाकिस्तान ने बेंगलुरू टेस्ट में भारत को हराया था. गावस्कर का अंतिम टेस्ट था, उन्होंने 96 रन बनाए थे. इमरान ने हमेशा कहा है कि गावस्कर की पारी उनके करियर में देखी गई सबसे बेहतरीन पारी थी. कपिल का भी वे सम्मान करते रहे."

क्रिकेट से संन्यास लेने के तीन साल बाद 1995 में इमरान ने ब्रिटिश उद्योगपति गोल्ड स्मिथ की बेटी जेमिमा गोल्ड स्मिथ से शादी की, हालांकि बाद में दोनों में तलाक़ हो गया. इसके बाद उन्होंने टेलीविज़न एंकर रेहम ख़ान से भी दूसरी शादी की, लेकिन ये शादी ज़्यादा दिनों तक नहीं चली.

1996 में उन्होंने अपनी मां के नाम पर शौकत ख़ानम कैंसर मेमोरियल अस्पताल बनवाया. इसी साल उन्होंने तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी का गठन किया जो मौजूदा समय में पाकिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन गया है. लेकिन राजनीति में पैर जमाने में इमरान को उतनी मेहनत करनी पड़ रही है जितनी उन्हें कभी नहीं करनी पड़ी.

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English summary
It was Imran Khan who was a fan of Gavaskar-Kapil
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