इजरायल पहली बार खोलेगा किंग हेरोद के महल का अनदेखा हिस्सा, यही दफन हुआ था यहूदी राजा
येरूशलम। इजरायल प्रशासन ने पहली बार हेरोडियम टीले पर बने किंग हेरोद (Herod The Great) किले के अनदेखे हिस्से तक आम लोगों को जाने देने का फैसला किया है। येरूशलम से करीब छह मील दूर हेरोडियम के ऊंचे टीले पर स्थित इस पैलेस का निर्माण प्राचीन यहूदी साम्राज्य जुदेआ के शासक हेरोद द ग्रेट ने करवाया था। वेस्ट बैंक के कब्जे वाले इलाके में स्थित टीले पर इजरायल का नियंत्रण है। इजरायल के नेचर और पार्क प्रशासन ने कहा है कि वह रविवार को इस ऐतिहासिक धरोहर के उस हिस्से तक लोगों को जाने देंगे जहां अब तक किसी को अनुमति नहीं थी।
हेरोद द ग्रेट को यहां किया गया था दफन
हेरोद द ग्रेट ने 37 ईसा पूर्व से 4 ईसा पूर्व तक जुदेआ (इजरायल का प्राचीन नाम) पर शासन किया था। इतिहास में उसे बेहद क्रूरता और उसके भव्य भवन निर्माण कार्यक्रमों के लिए याद किया जाता है। हेरोद को रोम की सीनेट ने यहूदी राजा नियुक्त किया था। उसने अपनी मौत के वक्त अपने बेटे को सत्ता सौंपी थी। हेरोद की मौत एक बेहद ही लंबी और दर्दनाक बीमारी के चलते हुई थी और उसकी इच्छानुसार इसी किले में दफन कर दिया गया था।
पुरातत्वविद मानते हैं इस किले का निर्माण गुलामों और ठेकेदारों की मदद से किया गया था। इस किले में चार मीनारें थीं जिनमें हेरोद रहा करता था। इस किले को हेरोद की शान के हिसाब से काफी भव्य बनाया गया था। इसकी दीवारों पर भित्ति चित्र के साथ ही पानी सप्लाई के लिए खास तरह की नाली, मोजेक फर्श और गलियारों को आपस में जोड़ने के लिए धनुषाकार रास्ते बनाए गए थे।
रोमन साम्राज्य के पोम्पी शहर से तुलना
आस-पास के झरनों से हेरोडियम में पानी की सप्लाई के लिए खास पुल बनाया गया था जिसके माध्यम से बगीचों में पानी पहुंचाने के साथ ही पहाड़ी की चोटी पर बनी विशाल कुंड में भी पानी भरा जाता था।
इजरायल के नेचर और पार्क प्रशासन ने बताया कि ये पहली बार है जब वे हेरोद का शाही मेहमान कक्ष आम लोगों के लिए खोल रहे हैं। ये वह जगह है जहां हेरोद के जमाने में राजा के खास मेहमानों को ही आने की अनुमति थी।
यहां आने वाले दर्शकों को इस शाही कक्ष में शानदार नजारा देखने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। जहां वे सीढ़ियों के माध्यम से ऊपर मेहराब हाल तक जा सकेंगे।
हेरोद के किले में काम कर रहे पुरातत्वविदों के मुताबिक ये एक अनूठी पुरातात्विक प्रयोगशाला है। वे इसकी तुलना पोम्पी शहर से करते हैं। पोम्पी रोमन साम्राज्य का एक शहर था जो ज्वालामुखी से निकले गर्म लावा के पहाड़ के नीचे दब गया था। बाद में पुरातत्वविदों ने खुदाई में उसे खोज निकाला था।
बेहद दिलचस्प है हेरोद के राजा बनने की कहानी
इस किले की कहानी से पहले थोड़ा राजा हेरोद की कहानी जान लेते हैं। हेरोद की किस्मत का सितारा तब चमका जब रोम के पहले डिक्टेटर जूलियस सीजर ने सेवाओं से खुश होकर एंटीपेटर को जुदेआ का शासक नियुक्त किया। शासक बनने के बाद एंटीपेटर ने हेरोद को गवर्नर बना दिया। लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन नहीं रही। उधर 44 ईसा पूर्व में सीजर की रोम में हत्या और उसके एक साल बाद ही जुदेआ राज्य पर हमले शुरू हो गया। 43 ईसा पूर्व में एंटीपेटर की हत्या कर दी गई और जुदेआ पर पार्थियनों ने अधिकार कर लिया। हेरोद भागकर रोम पहुंचा जहां एंटोनी ने उसे समर्थन दिया और 40 ईसा पूर्व में सीनेट की अनुमति से उसे यहूदी साम्राज्य का शासक नियुक्त करके भेज दिया। 3 साल बाद रोमन सेनाओं की मदद से उसने फिर से जुदेआ पर कब्जा कर लिया और यहूदी राजा के तौर पर गद्दी पर बैठा।
गद्दी पर बैठने के बाद भी उसकी स्थिति में डगमग बनी रही। वजह थी रोम में एंटोनी और जूलियस सीजर के वंशज ऑगस्टस (ऑक्टेवियन) में युद्ध शुरू हो गया। विद्रोहियों पर विजय के बाद ऑगस्टस ने उसे अपना समर्थन दिया इसके बाद हेरोद के शासन में स्थिरता आई लेकिन वह पूरी जिंदगी भय में रहा। यही वजह है कि उसने क्रूरता भी जारी रखी।
हेरोद ने दी इजरायल को एक मजबूत विरासत
25 ईसा पूर्व के बाद से लेकर 13 ईसा पूर्व तक उसके शासन काल का महत्वपूर्ण भाग शुरू होता है जब उसने बेहद भव्य भवनों के निर्माण करवाए जो उस समय बेहद ही शानदार थे। यही वो समय था जब उसने हेरोडियम के इस विशाल टीले पर किलेबंदी की, महल और रोम के तरीके से थियेटर भी बनवाया। इस चोटी पर बना महल जिसका प्रवेश द्वार येरूशल की तरफ था, हेरोद का पसंदीदा था और इसका नाम उसने खुद के नाम पर रखा था। जिस हेरोडियम टीले पर यह महल बना है यह इस इलाके का सबसे ऊंचा टीला है। इसकी ऊंचाई समुद्रतल से 2,450 फीट (758 मीटर) है।
उसने सिर्फ इस महल ही नहीं बल्कि येरूशलम का पुननिर्माण करवाया। इसमें यहूदियों का सबसे प्रमुख स्थल टेंपल माउंट भी है जिसका उसने फिर से निर्माण शुरू किया। टेंपल माउंट को 70 ईस्वी में रोमन आक्रमण के दौरान पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। टेंपल माउंट का स्थान यहूदियों के लिए वैसा ही है जैसा मुस्लिमों के लिए मक्का और ईसाइयों के लिए वेटिकन का है।
बाद के जीवन में हेरोद किडनी की गंभीर बीमारी और भयानक संक्रमण की चपेट में आ गया। इसके चलते उसके आखिरी दिन बहुद कष्टपूर्ण रहे। उसे आंतों का भयंकर दर्द, सांसों की तकलीफ और हर अंग में दर्द के साथ ही गुप्तांगों में गैंग्रीन हो गया था।
जब हेरोद को समझ में आ गया कि अब उसका बच पाना मुश्किल है तो उसने अपनी मौत के बाद की तैयारी शुरू कर दी। उसकी शान के हिसाब से कहीं और दफनाना ठीक नहीं लगा और उसने खुद को मृत्यु के बाद महल में ही दफनाने का आदेश दे दिया था।
अपने साथ महल को भी दफनाने का दिया था आदेश
हेरोद ने अपने जिंदा रहते ही ये तय कर लिया था कि उसका नाम लंबे समय तक इस दुनिया में अंत तक याद रखा जाए। पुरात्वविदों के मुताबिक हेरोद ने आदेश दिया था कि उसकी मौत के बाद उसके शरीर के साथ ही इस महल को भी दफन कर दिया जाए। महल में दफनाने का अर्थ यह था कि उसकी कब्र लंबे समय तक इस दुनिया में रहेगी। लेकिन उसके इस कदम ने इस स्थान को भी 2000 साल तक संरक्षित रखा है।
साल 2007 में पुरातत्वविदों ने हेरोद की कब्र खोज निकालने का दावा किया। आज हेरोडियम वेस्ट बैंक में पर्यटकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। कब्र के पास से सीढ़ियां निकल रही हैं जो थियेटर तक पहुंचती हैं जिसमें 300 सीटें बनाई गई थीं। इसी के बगल शाही हाल है जहां पर हेरोद ने रोमन सम्राट ऑगस्टस के बाद साम्राज्य के दूसरे सबसे बड़े अधिकारी मार्कस एग्रिप्पा की आगवानी की थी।
इस हाल की खास बात यह है कि इसकी दीवारों पर चित्र बने मिलते हैं जो कि बिल्कुल रोमन स्टाइल था। इसके पहले हेरोद यहूदी रीति-रिवाजों को मानता था जिसमें जानवरों और इंसानों के चित्र की मनाही थी लेकिन यहां उसने पूरा नया स्टाइल शुरू किया जो कि पूरी तरह से रोमन था।
इतिहास में बेहद क्रूर शासक के तौर पर जिक्र
इन भव्य निर्माणों के साथ ही हेरोद को बेहद क्रूर शासक के तौर पर दिखाया गया है। खास तौर पर ईसाई ग्रंथों में उसे हत्यारे के तौर पर चित्रित किया गया था। हेरोद का आखिरी वक्त वही समय था जब जीसस के पैदा होने की भविष्यवाणी हुई थी। ईसाई ग्रंथ लिखते हैं कि जीसस को दुनिया में आने से रोकने के लिए हेरोद ने साम्राज्य में दो साल से नीचे के सभी बच्चों (लड़के) को मारने का आदेश दे दिया था। ईसाई धार्मिक किताबों में इस घटना को मासूमों के नरसंहार नाम से लिखा गया है। हालांकि कुछ इतिहासकार इसे अतिशयोक्ति बताते हैं।
भले ही वह एक क्रूर शासक रहा हो जो जुदेआ में रोम के प्रतिनिधि के रूप में भले ही वह एक क्रूर शासक रहा हो लेकिन वह एक दूरदर्शी था। वास्तुकला के हिसाब से उसने ऐसी इमारतों का निर्माण कराए जो आज भी इजरायल की धरोहर के रूप में जाने जाते हैं। इसके साथ ही उसने येरूशलम में दूसरे मंदिर का निर्माण शुरू किया।
73 ईसा पूर्व में जन्मे और 4 ईसा पूर्व में मौत के बीच 69 वर्षों के जीवनकाल में हेरोद ने जो कुछ किया उसने उसका नाम इतिहास में दर्ज कर दिया है। अब जब उसके महल के खास हिस्सों को खोला जा रहा है तो वहां जाने वालों को उसके बारे में और करीब से जानने का मौका मिलेगा।